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रेखा चौहान ने रूरल गेम्स फेडरेशन की स्टेट चैंपियनशिप की फर्राटा दौड में स्वर्ण जीता

उत्तरकाशी । हुनर और हौसला हो तो सफलता खुद ही कदम चूम लेती है। इसका उदाहरण है उत्तरकाशी जिले के सुदूरवर्ती नगाण गांव की 19 वर्षीय रेखा चौहान। सौ मीटर दौड़ में विश्व विजेता बनाने का लक्ष्य बनाकर रेखा इन दिनों फरवरी के अंतिम सप्ताह थाईलैंड में होने वाली विश्व ग्रामीण खेलकूद प्रतियोगिता की तैयारियों में जुटी है

नगाण गांव जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 98 किलोमीटर दूर नौगांव ब्लाक में पड़ता है। यहां पहुंचने के लिए ग्रामीणों को तीन किलोमीटर की दूरी पैदल नापनी पड़ती है। रेखा के पिता प्रेम सिंह चौहान गांव में ही खेतीबाड़ी और मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। चार भाई-बहनों में रेखा दूसरे नंबर की है। एक बहन और एक भाई उससे छोटे हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण रेखा ने पांचवीं के बाद कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय खरादी में प्रवेश लिया और आठवीं तक वहीं पढ़ाई की। जबकि, नवीं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई उसने आवासीय विद्यालय में रहते हुए इंटर कॉलेज खरादी से की। पढ़ाई के साथ वह दौड़ स्पर्धाओं में भी हमेशा अव्वल रही।

बीते दो साल से रेखा गांव में रहकर प्राइवेट बीए कर रही है। लेकिन, घर की व्यस्तताओं के चलते उसका फर्राटा दौड़ का अभ्यास छूट गया। इसी बीच नवंबर 2017 में रेखा के रिश्ते के भाई शशिमोहन रावत ने देहरादून से फोन कर उसे बताया कि 11-12 नवंबर को रोहतक (हरियाणा) में रूरल गेम्स फेडरेशन की स्टेट चैंपियनशिप होने जा रही है। साथ ही उसका संपर्क भारत स्पोघ्र्ट्स ऐकेडमी रोहतक के कोच प्रवीण सहगल से भी कराया।

खुशकिस्मती से रेखा को ऐकेडमी की ओर से प्रतियोगिता की फर्राटा दौड़ में प्रतिभाग करने का मौका मिला और उसने इसमें स्वर्ण जीतकर न सिर्फ अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया, बल्कि नेशनल के लिए भी चयनित हुई। इसके बाद 29 से 31 दिसंबर तक अमृतसर में आयोजित सातवें नेशनल रूरल गेम्स फेडरेशन कप में भी उसने 18 राज्यों के धावकों को पछाड़ते हुए फर्राटा दौड़ का स्वर्ण पदक जीता। रेखा ने महज 12 सेकेंड में सौ मीटर की दौड़ पूरी की। वर्तमान में भारत की ओर से बालिका वर्ग में 100 मीटर दौड़ सबसे कम 11.30 सेकेंड में पूरा करने का रिकार्ड दुति चंद के नाम है।

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