- ऋषिकेश में दी जाएगी समाधि
रुद्रप्रयाग । जोशीमठ स्थित ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज ने शुक्रवार सुबह अपना शरीर त्याग दिया। वर्ष 1993 से ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य पद पर आसीन माधवाश्रम महाराज ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में देह त्याग दिया। वे लगभग पिछले चार साल से लकवा की बीमारी से ग्रस्त थे। उनके पार्थिव शरीर को ऋषिकेश लाया लाया गया, जहां शनिवार को उनके शव को समाधि दी जाएगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शंकराचार्य के निधन पर शोक जताते हुए गहरा दुःख व्यक्त किया है।
स्वामी माधवाश्रम लगभग 75 वर्ष की उम्र के थे। स्वामी माधवाश्रम बद्रीनाथ तीर्थ के समीप जोशीमठ तीर्थ स्थित ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य थे। यह आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में से एक है। स्वामी माधवाश्रम उत्तराखण्ड क्षेत्र से शंकरारार्य के पद पर सुशोभित होने वाले पहले सन्यासी थे। वे अखिल भारतीय धर्म संघ समेत विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के अघ्यक्ष एवं सदस्य भी थे।
स्वामी का जन्म रुद्रप्रयाग जिले के अन्तर्गत बेंजी ग्राम में हुआ था। इनका मूल नाम केशवानन्द था। आरम्भिक विद्यालयी शिक्षा के पश्चात इन्होंने हरिद्वार, अम्बाला में सनातन धर्म संस्कृत कॉलेज, वृंदावन में बंशीवट में प्रभुदत्त ब्रह्मचारी के आश्रम एवं वाराणसी समेत देश के विभिन्न स्थानों पर वेदों एवं धर्मशास्त्रों की दीक्षा ली।
विवाह के उपरान्त कुछ वर्ष पश्चात इन्होंने सन्यास ग्रहण किया। इनकी विद्वता को देखते हुए धर्म संघ के तत्वावधान में धर्मसम्राट स्वामी करपात्री के आशीर्वाद से जगन्नाथ पुरीपीठ के तत्कालीन शंकराचार्य स्वामी निरंजनदेव तीर्थ ने इन्हें ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य नियुक्त किया। तब से वे इस परम्परा का बखूबी पालन कर रहे थे। स्वामी माधवाश्रम धर्मप्रचार एवं गौहत्या विरोधी विभिन्न आंदोलनों एवं संगठनों से जुड़े रहे। इनके निधन पर विभिन्न सामाजिक संगठनों ने शोक जताया है।