जौनसार के रमेश चंद जोशी बने सीबीआई के मुख्य सूचना अधिकारी
2010 में जौनसारी शब्दकोश प्रकाशित करने गढ़ बैराट सम्मान मिला
2018 में उत्तराखंड गौरव सम्मान से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथों से नवाजे गए
रमेश चन्द जोशी
देहरादून : उत्तराखंड में जौनसार निवासी रमेश चंद जोशी का चयन भारत सरकार ने देश की सर्वोच्च एवं प्रतिष्ठित जाँच एजेन्सी CBI में मुख्य सूचना अधिकारी (प्रवक्ता ) के पद पर किया है। इस प्रतिष्ठित पद को पाने वाले उत्तराखंड से रमेश चंद जोशी पहले अधिकारी हैं। रमेश चंद जोशी वर्तमान में अपर महानिदेशक पत्र एवं सूचना कार्यालय हैं।
रमेश चंद जोशी जौनसार के खत बणगांव के मैरावना गॉव के रीठाण परिवार से आते हैं। भारत सरकार के विभाग PIB की प्रधानमंत्री कार्यालय जन संचार यूनिट के हेड निदेशक के रूप में दो कार्यकाल मिले रमेश चंद जोशी को सरकार की कुछेक नीतियों के प्रारूप बनाने का मौक़ा मिला। जिसमें पत्रकार कल्याण फ़ंड योजना का विस्तार एवं सरलीकरण, पत्रकारों मान्यता की ऑनलाइन व्यवस्था विकसित करना शामिल हैं।
रमेश चंद जोशी की प्राथमिक शिक्षा गाँव में हुई, फिर आश्रम स्कूल अम्बाड़ी से हाईस्कूल वर्ष 1982, में करने के बाद उन्होंने राजकीय इंटर कॉलेज चकराता से इंटर वर्ष 1984 और देहरादून के डीएवी कॉलेज से वर्ष 1986 में प्रथम श्रेणी में एम ए किया। एम ए करने के बाद उन्होंने नौकरी के साथ ही प्राईवेट विद्यार्थी के रूप में राजनीतिक विज्ञान से पढाई की। इसी दौरान उनकी नौकरी बैंक में लगी। जहाँ ग्रामीण इलाक़े से जहाँ बिजली भी बड़ी मुश्किल से आती थी और ज्यादात्तर लालटेन के नीचे पढ़ाई करते हुए उन्होंने वर्ष 1987 की सिविल सेवा परीक्षा की मुख्य परीक्षा पहले में ही प्रयास में मात्र 21 वर्ष की आयु में पास करने के बाद वे इंटरव्यू तक पहुँचे।जिसके बाद उनकी नौकरी पीआईबी में लगी।
उनकी पढ़ाई के साथ साथ कृषि कार्य, खेल, सामाजिक हित के कार्य, और साहित्य व संगीत में बचपन से ही रूचि रही। उन्होंने जौनसारी शब्दकोश की रचना की, इसका उद्देश्य जौनसारी बोली का भाषा में विकास के लिए था। जौनसारी भाषा व्याकरण पर शब्दकोश में प्रारम्भिक लेखन,और जौंनसारी भाषा की लिपि पर किताब( प्रकाशनार्थ), अपनी संस्कृति को अग्रसर करने जैसेकुछ प्रयास कर पाया।
समाज कल्याण कार्य अग्रसर करने हेतु JBTWS के गठन में अग्रणी कार्य किया और इसके प्रथम संस्थापक प्रेसिडेंट रहे हैं ।उन्होंने लुप्त हो रहे लोकगीतों (जोंगू) के पुनर्जीवित करने हेतु का पहला प्रयास एक एल्बम के माध्यम से किया।
जौनसारी कविता व गीत लेखन का कार्य 1991 में प्रारम्भ किया और अब क़रीब पचास कविताएँ और गीत लिख चुके हैं । लेखन के क्षेत्र में जौनसार बावर की संस्कृति पर भी लेख लिखे हैं जैसे पुरानी दीवाली, हमारी न्याय व्यवस्था, फूल पूजाई, रूमानी, जखोली, पाँयतो, आदि पर लेख लिखें हैं । उत्तराखंड विधान सभा चुनाव की भूमिका में प्रजातंत्र में सही मायने में बहुमत की असल स्थिति विषय को भी उन्होंने लेखबद्ध किया। इसके अलावा उनका एक ब्लॉग भी है जिसमें जौनसार बावर को सचित्र दिखाने की कोशिश की है । जिसे यह २०११ में ब्लॉग ओफ़ द मन्थ भी रहा।
खेतीपशुपालन का कार्य, गाँव के स्कूल मे पढ़ाई-खेलकूद, मेले तीज-त्योहारों में सहभाग, विषम परिस्थित्यों को ख़ुशी ख़ुशी से निभाना, क़रीब १० किलॉमेटर की पहाड़ चढ़कर के प्रत्येक सोमवार को खेतख़लियान, पशुपालन में योगदान के बाद इंटर कॉलेज की क्लासें निभाना।
जीवन में कुछ घटनाओं को निभाने में लमनदेवी-देवताओं का विशेष आशीर्वाद मिला। इनमे एक घटना वर्ष 1988 में चेन्नई के निकट महाबलीपुरम के समुद्र-तट की है। मेरे तत्कालीन job के ek साथी ट्रेनी- ऑफ़िसर को समुद्र में डूबने से ईश्वर कृपा से बचाने में सफल हो सका ।