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स्थानिक आयुक्त कार्यालय पर सवाल : क्या दिल्ली में नियुक्त अफसरों ने हाथ खड़े कर दिए, जो बगोली को दी जिम्मेदारी

देवभूमि मीडिया की खबर का असर : परिवहन सचिव बगोली को दी अहम जिम्मेदारी

उत्तराखंड के निवासियों को अपने मूल निवास तक पहुंचाने के लिए राज्यों से समन्वय करेंगे बगोली

आपात स्थिति में काम नहीं आए उत्तराखंड स्थानिक आयुक्त कार्यालय में नियुक्तयों के नाम पर सुविधाएं पाने वाले अफसर 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून। लॉक डाउन में दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में फंसे उत्तराखंड के निवासियों, जो अपने मूल निवासों की ओर आना चाहते हों, को सुविधाओं तथा राज्यों से समन्वय के लिए सरकार ने शहरी विकास व परिवहन सचिव शैलेश बगोली  को राज्य नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। सवाल यह उठता है कि सरकार को किसी अधिकारी की नियुक्ति क्यों करनी पड़ी, जबकि दिल्ली स्थित उत्तराखंड स्थानिक आयुक्त कार्यालय में इसी काम के लिए अधिकारियों की फौज तैनात है। क्या ये अधिकारी सालभर सरकारी सुविधाएं पाने के लिए हैं और किसी आपात स्थिति में हाथ खड़े कर दें।

यह देवभूमि मीडिया की 26 मार्च को प्रकाशित खबर तो किस काम की है दिल्ली में तैनात उत्तराखंड के अधिकारियों की फौज का असर है कि सरकार ने दिल्ली और अन्य राज्यों में फंसे उत्तराखंड मूल के लोगों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सचिव स्तर के अधिकारी को नियुक्त किया है।

वहीं सरकार ने इसके मद्देनजर देहरादून पुलिस लाइन में एक कंट्रोलरूम स्थापित किया है। इस कंट्रोल रूम से प्राप्त सूचनाओं के निकट पर्यवेक्षण एवं नोडल अधिकारी के सहयोग के लिए आईपीएस अधिकारी अजय सिंह तथा पीसीएस अधिकारी आलोक पांडेय को प्रभारी नियुक्त किया गया है।

क्या दिल्ली में मिलीं सुविधाएं परिवारों और रिश्तेदारों के लिए हैं ?

सरकार को ये नियुक्तियां इसलिए करनी पड़ी कि दिल्ली और देहरादून में दो-दो पदों की जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकारी सुविधाएं तो दोनों जगहों की ले रहे हैं, पर आपात स्थिति में सरकार की मंशा को पूरा करने की बजाय हाथ खड़े कर रहे हैं।

जानकारी के अनुसार, स्थिति तो यह है कि इनमें कुछ अधिकारियों के परिवार, उनके रिश्तेदार दिल्ली में मिली सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं, जबकि ये अधिकारी देहरादून में तैनात हैं। क्या दिल्ली उत्तराखंड स्थानिक आयुक्त कार्यालय में नियुक्ति का जिम्मा अपने परिवारों और रिश्तेदारों की सुविधाएं के लिए लिया है। यह इस बात से भी स्पष्ट होता है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान लॉकडाउन में फंसे उत्तराखंड के निवासियों के लिए कुछ नहीं कर रहे।

जब कुछ करना ही नहीं तो नियुक्ति क्यों?

आपको मालूम है कि दिल्ली में हर राज्य का अपना कार्यालय है, जो अपने राज्यों के निवासियों के लिए ठीक किसी दूतावास की तरह होता है। यहां तैनात स्थानिक आयुक्त और अधिकारियों का कार्य केंद्र में अपने राज्य के मसलों की मॉनिटरिंग करना, उनको फॉलोअप करना तथा हर अपडेट से राज्य को अवगत कराना है, ताकि समय रहते किसी भी मुद्दे पर तेजी से कार्य हो सके। इसके साथ ही इनका कार्य अपने राज्य के निवासियों के हितों का ख्याल रखना तथा उनसे जुड़े मसलों पर कार्यवाही कराना है। अगर, यहां नियुक्त अफसरों को आपात स्थिति में कुछ सहयोग नहीं करना है तो इनकी नियुक्ति क्यों की गई है।

इन अफसरों की एक भी उपलब्धि सामने नहीं आई

अब आपको बताते हैं कि उत्तराखंड के कौन अधिकारी दिल्ली स्थित स्थानिक आयुक्त कार्यालय में नियुक्त हैं- प्रमुख स्थानिक आयुक्त ओम प्रकाश, स्थानिक आयुक्त राधिका झा, इला गिरी अपर स्थानिक आयुक्त, आलोक पांडे विशेष कार्यधिकारी के साथ ही पर्यटन एवं सूचना विभाग तथा राज्य सम्पत्ति विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम दिल्ली सहित अन्य महानगरों में नियुक्त हैं। लॉकडाउन के दौरान इन अधिकारियों की कोई एक उपलब्धि अभी तक सामने नहीं आई है।

फोन रीसिव नहीं कर रहीं ये अधिकारी

कहने को तो पीसीएस अधिकारी इला गिरी के उत्तराखंड की दिल्ली में अपर स्थानिक आयुक्त हैं लेकिन काम कर रहीं हैं उत्तराखंड सदन के प्रबंधक का। सोशल मीडिया से मिल रही जानकारी के अनुसार कोरोना महामारी के इस आपातस्थिति में भी उत्तराखंड की यह अपर स्थानिक आयुक्त मुसीबत में फंसे उत्तराखंड के लोगों के फोन रीसिव नहीं कर रहीं हैं।

उत्तर प्रदेश के इन अफसर से सीखना होगा

उत्तराखंड के अफसरों के विपरीत उत्तर प्रदेश के इन अफसर का उदाहरण जानिए। उत्तर प्रदेश के स्थानिक आयुक प्रभात कुमार सारंगी ने 26 मार्च 2020 को एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से उत्तर प्रदेश के निवासियों को सूचना दी कि कोरोना वायरस (कोविड-19) के कारण लॉकडाउन से उत्पन्न परिस्थियों के क्रम में नई दिल्ली स्थित उत्तर प्रदेश भवन में चौबीस घंटे कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है। उत्तर प्रदेश के निवासियों, जिन्हें यदि किसी भी प्रकार की समस्या है तो वह उत्तर प्रदेश के भवन कंट्रोल रूम से संपर्क करें। विज्ञप्ति में दो लैंडलाइन फोन नंबर तथा एक मोबाइल नंबर  उपलब्ध कराया है। इसी नंबर पर व्हाट्सएप की व्यवस्था की गई है।

जो कार्य उत्तर प्रदेश के स्थानिक आयुक्त सारंगी ने अपने प्रदेश के निवासियों के लिए किया है, वह कार्य उत्तराखंड के इन अधिकारियों ने नहीं किया। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड के दिल्ली स्थित स्थानिक आयुक्त कार्यालय में नियुक्ति अधिकारी आपात स्थिति से निपटने के लिए कितने गंभीर हैं।

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