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राज्य में कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते जनहित याचिकाओं में 15 दिन के पूर्ण लॉकडाउन की मांग

हाई कोर्ट के निर्देश पर पूर्व में प्रदेश के जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में कमेटी के सुझावों पर होगा विचार 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
नैनीताल : उत्तराखंड में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच उत्तराखंड हाई कोर्ट में कई जनहित याचिकाएं दायर की गईं हैं इनमें से कुछ याचिकाओं में क्वारंटीन सेंटरों की बदहाली मामले में दायर किए गए हैं जबकि कुछ में प्रदेश में पूर्णत: लॉकडाउन की बात भी कही गई है। अलग-अलग इन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि देहरादून की निगरानी कमेटी के सुझावों पर क्या किया जा सकता है। 
कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिए कि सभी निगरानी कमेटियों को निरीक्षण करने के लिए उचित सुविधाएं उपलब्ध कराएं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
गौरतलब हो कि प्रदेश के जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने के आदेश पूर्व में हाई कोर्ट द्वारा दिए गए थे। इसके बाद बागेश्वर जिले की निगरानी कमेटी की रिपोर्ट नहीं आने पर हाईकोर्ट ने सात अक्तूबर तक रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं। वहीं देहरादून की निगरानी कमेटी ने हाई कोर्ट को दिए सुझावों में सबसे पहले तो प्रदेश में 15 दिन के लिए पूर्णत: लॉकडाउन कर देना,मास्क और गाइडलाइन का पालन नहीं करने पर जुर्माने की राशि को बढ़ाने सहित नगर निगम की कूड़ा गाड़ियों का लाउड स्पीकर के माध्यम से प्रचार ,कंटेनमेंट जोन में सख्ती कर वहां आवागमन रोकने और क्वारंटीन सेंटरों में खाने की सुविधा में कमी को दूर किजाने सहित कईं अन्य सुझाव शामिल हैं। 
हाईकोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिकाओं के दायर मामले के अनुसार हाईकोर्ट के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने क्वारंटीन सेंटरों और कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड लौटे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की थीं।
पूर्व में बदहाल क्वारंटीन सेंटरों के मामले में जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटीन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है।

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