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रसायन के नोबेल पुरस्कार से नवाजे गए प्रो. एम स्टैनली विटिंघम का क्या है अल्मोड़ा से नाता जानिए

प्रो. स्टैनली और डा. शैलेश उप्रेती का गुरु -शिष्य का है  सम्बन्ध

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून :  20 घंटे से अधिक बैकअप की लिथियम बैटरी की क्रांतिकारी खोज करने वाले शैलेश उप्रेती लगभग तीन साल पहले साढ़े तीन करोड़ रुपये का पुरस्कार जीत चुके हैं। उनकी इस सफलता के पीछे उनके गुरु और इस साल रसायन विज्ञान के लिए इस बार नोबेल पुरस्कार से नवाजे गए प्रो. एम. स्टैनली विटिंघम का बहुत बड़ा आशीर्वाद रहा है। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार नोबेल पुरस्कार हासिल करने वाले प्रो. स्टैनली विटिंघम पिछले साल ही अपने शिष्य शैलेश के साथ भारत आए थे। शैलेश की भारत में भी लिथियम आयन बैटरी के निर्माण की योजना बनाई है। इसकी संभावना तलाशने के लिए ही वह विटिंघम के साथ आए थे। इस संबंध में विटिंघम ने उन्हें काफी कुछ मदद की है, इसका परिणाम भविष्य में सामने होगा।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि अल्मोड़ा के मनान निवासी और अमेरिका के नामी उद्यमियों में शुमार वैज्ञानिक डॉ. शैलेश उप्रेती का नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. स्टैनली को डा. शैलेश से क्या सम्बन्ध है नहीं जानते हैं तो हम आपको बताते हैं कि शैलेश उप्रेती प्रो. एम. स्टैनली विटिंघम को अपना गुरु मानते हैं और उनका उसी तरह सम्मान करते हैं जैसे भारतीय परम्परा में गुरु -शिष्य का रिश्ता होता है। शैलेश उप्रेती अपनी तरक्की के पीछे प्रो. एम. स्टैनली विटिंघम का ही आशीर्वाद मानते हैं।

उल्लेखनीय है कि लिथियम बैटरी में पांच साल तक प्रो. विटिंघम के मार्गदर्शन में रिसर्च करने के बाद आज शैलेश उप्रेती अमेरिका में अपनी कंपनी  iMperium3 Inc का संचालन कर रहे हैं। 

गौरतलब हो कि रॉयल स्वीडिश अकेडमी ऑफ़ साइंसेज ने घोषणा की थी कि इस वर्ष का रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार जॉन बीगुडएनफ. प्रो. एम. स्टेनली विटिंघम और अकीरा योशिनो को संयुक्त रूप से लिथियम आयन बैटरी के विकास में किये गए उल्लेखनीय कार्य के लिए दिया जा रहा है। 

ज्ञांत हो कि अल्मोड़ा के जिले के मनान निवासी डॉ. शैलेश उप्रेती ने अल्मोड़ा से एमएससी करने के बाद आईआईटी दिल्ली से ऑयल ऑफ पॉलिमर विषय में पीएचडी की । प्रो. एम. स्टेनली विटिंघम ने उनकी काबिलियत परखते हुए अपने साथ न्यूयार्क में काम करने का ऑफर दिया था। इसके बाद उन्होंने न्यूयार्क जाकर प्रोफेसर विटिंघम के मार्गदर्शन में लिथियम बैटरी पर पांच साल तक रिसर्च की। वर्ष 2011 में लिथियम बैटरी बनाने की खुद की कंपनी खोली। बताया कि विटिंघम उनकी कंपनी के सलाहकार हैं। वह हमेशा उन्हें टेक्निकल और नॉन टेक्निकल सपोर्ट करते हैं। विटिंघम ब्रिटेन में पैदा जरूर हुए लेकिन वह अमेरिका में बस चुके हैं। 

 

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