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रियासत खत्म मगर राजा और वजीर आज भी तैनात

कांग्रेस शासन में बंद हिल्ट्रान के एमडी-जीएम अभी भी कर रहे हैं काम

गढ़वाल में 21 और कुमाऊं में चल रहे 20 केंद्र

 हरीश रावत सरकार ने वर्ष 2016 में वित्तीय बोझ बढ़ने के बाद  हिल्ट्रॉन को बंद करने का लिया था फैसला

कार्मिकों को वीआरएस देने के लिए सरकार ने दिए थे 55 करोड़ रूपये 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। कांग्रेस शासन में हिल्ट्रान नाम के राज्य सरकार के उपक्रम को बंद कर दिया गया था। साथ ही यह भी तय किया गया कि इस संस्था द्वारा चलाए जा रहे प्रशिक्षण केंद्र अब सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन चलेंगे। लेकिन अफसरशाही का आलम यह है कि बंद हो चुके हिल्ट्रान के एमडी ओर जीएम के पद पर अधिकारी अभी भी काम कर रहे हैं।
गौरतलब हो कि एकीकृत उत्तर प्रदेश के समय में तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने भीमताल (नैनीताल) में यूपी हिल इलेक्ट्रनिक्स कारपोरेशन (हिल्ट्रान) की स्थापना 1985 की थी। बाद की सरकारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो यह बदहाली के दौर में पहुंच गया। उत्तराखंड बनने के बाद तो यहां तैनात कर्मियों के वेतन के लाले पड़ गए। सरकार पर लगातार वित्तीय बोझ बढ़ा तो हरीश रावत ने 2016 में इसे बंद करने का फैसला लिया। कर्मियों को वीआरएस देने के लिए सरकार ने 55 करोड़ रूपये भी दिए। हरीश सरकार ने यह भी तय किया था कि हिल्ट्रान के अधीन चल रहे प्रशिक्षण केंद्र चलते रहेंगे और इनकी व्यवस्था आईटी विभाग देखेगा। बाद में यह काम आईटीडीए को सौंप दिया गया। इस समय गढ़वाल में 21 और कुमाऊं में 20 प्रशिक्षण संस्थान काम कर रहे हैं।
हैरान कर देने वाली बात तो यह है जो अब अब संज्ञान में आ रहा है कि सरकार द्वारा बंद किया जा चुका हिल्ट्रान तो सरकारी अभिलेखों में अभी भी चल रहा है। सूचना विभाग की फोन डायरेक्टरी में भी इस संस्था न केवल नाम दर्ज है, बल्कि प्रबंध निदेशक के तौर पर आईपीएस अफसर अमित सिन्हा का नाम लिखा है। सिन्हा इस समय आईटीडीए के निदेशक भी हैं। इसी तरह से हिल्ट्रान के महाप्रबंधक के तौर पर भरत सिन्हा का नाम है। भरत हिल्ट्रान में भी इसी पद पर थे। अहम बात यह  भी है कि हिल्ट्रान का पता पहली लाइन में तो भीमताल (नैनीताल) लिखा और वहीं का एक लैंडलाइन फोन नंबर भी दिया गया है। जबकि इसी पते में नीचे की लाइन में आईटीडीए भवन, आईटी पार्क देहरादून भी लिखा है। वहीं एमडी और जीएम के देहरादून के लैंडलाइन नंबर भी लिखे गए हैं। इतना ही नहीं बंद हो चुके इस संस्थान की वेबसाइट  हिल्ट्रॉन डॉट नेट अभी भी चल रही है। 
सवाल यह है कि जब हिल्ट्रान को सरकार चार साल पहले बंद कर चुकी है तो इस बंद कारपोरेशन में एमडी और जीएम की तैनाती कैसे हो गई। सवाल यह भी है कि क्या भीमताल दफ्तर में भी इसी तरह से लोग काम कर रहे हैं और सरकारी खजाने से वेतन ले रहे हैं ?

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