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केंद्र सरकार की मैनहोल से मशीनहोल की पहल को सराहा

एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड के सभी शहरों में गटर में सफाईकर्मियों के उतरने की प्रथा बंद करने की मांग की

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून : स्वच्छता और पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले दून की संस्था एसडीसी फाउंडेशन ने केन्द्र सरकार की मैनहोल से मशीनहोल पहल की सराहना की है। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकारने हाल ही मे वर्ल्ड टॉयलेट डे पर सेप्टिक टैंक और मैनहोल में उतरकर सीवर लाइन की सफाई जैसी प्रथाएं तुरंत बंद करने के लिए कदम उठाये हैं। केन्द्र सरकार ने देश के 243 शहरों के लिए सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज की शुरुआत की है । शहरों को अप्रैल 2021 तक इस प्रथा को बंद करने का लक्ष्य दिया गया है  और मई 2021 से इसका आंकलन शुरू किया जायेगा । 15 अगस्त 2021 को परिणाम घोषित किये जाएंगे । एसडीसी फाउंडेशन ने राज्य के सभी बड़े शहरों और नगरों में यह व्यवस्था जल्द से जल्द लागू करने की जरूरत बताई है।
एडीसी फांउडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने केंद्र सरकार की इसे एक सराहनीय पहल बताया है। उन्होंने कहा कि आज हम 21वीं सदी की बात करते हैं, लेकिन जब कोई व्यक्ति बिना सुरक्षा उपकरणों के सेप्टिक टैंक या सीवर लाइन के मैनहोल में उतरकर सफाई करता है कि यह बेहद शर्मनाक स्थिति होती है। 
अनूप नौटियाल ने कहा कि उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, ऋषिकेश , कोटद्वार, हल्द्वानी, काशीपुर और रुद्रपुर जैसे नगर निगम और नैनीताल और मसूरी जैसे पर्यटन नगरों में प्राथमिकता के आधार में नई व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आबादी और पर्यटकों की संख्या की दृष्टि से ये शहर बेहद महत्वपूर्ण हैं और इन सभी में अब तक मैनहोल को साफ करने के लिए किसी तरह की मशीन की व्यवस्था नहीं है।
अनूप नौटियाल ने कहा कि केन्द्र सरकार का यह कदम कई मायनों में ऐतिहासिक है। इससे एक ओर जहां गटर में उतरकर सीवर लाइन साफ करने की कुप्रथा खत्म होगी, वहीं दूसरी ओर इस काम को करते हुए हर वर्ष बे मौत मारे जाने वाले सफाई कर्मचारियों की जीवन की रक्षा भी की जा सकेगी। सरकार के आंकड़ों के आधार पर पिछले पांच वर्षों मे 376 सफाई मित्रों की मौत हुई हुई जो की दुर्भाग्यपूर्ण है ।
उन्होंने कहा कि सीवर साफ करने वाली इन मशीनों को ऑपरेट करने की ज़िम्मेदारी उन्हीं सफाई कर्मचारियों को दी जानी चाहिए, जो अब तक मैनहोल में उतरकर सफाई करते रहे हैं। इससे समाज में हाशिये पर रहे रहे इन लोगों की जिंदगी को भी कुछ बेहतर किया जा सकेगा।

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