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उत्तराखंड में बिहार दिवस मनाने की घोषणा पर सियासी घमासान, कांग्रेस और सामाजिक संगठनों ने भाजपा को घेरा

उत्तराखंड में बिहार दिवस मनाने की घोषणा पर सियासी घमासान, कांग्रेस और सामाजिक संगठनों ने भाजपा को घेरा

देहरादून: उत्तराखंड में पहाड़-मैदान का मुद्दा प्रेमचंद अग्रवाल के मंत्री पद से इस्तीफे के बाद भी थमा नहीं. दूसरी तरफ उत्तराखंड में बिहार दिवस मनाने की घोषणा कर भाजपा ने नए मुद्दे पर चर्चा को जन्म दे दिया है. भाजपा ने बिहार दिवस को लेकर कार्यक्रम की रूप रेखा तय ली है. दूसरी तरफ में कांग्रेस और सामाजिक संगठनों ने मामले में भाजपा को घेरना शुरू कर दिया है.

दरअसल, उत्तराखंड भाजपा ने उत्तराखंड में बिहार दिवस के मौके पर पखवाड़ा मनाने की रणनीति तैयार की है. जिसको लेकर कार्यक्रम भी तैयार कर दिए गए हैं. इस कार्यक्रम का संयोजक भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेश शुक्ला को बनाया गया है. राजेश शुक्ला का कहना है कि उत्तराखंड में रह रहे तमाम बिहार समुदाय के लोगों को एकजुट करते हुए यह कार्यक्रम तैयार किया गया है।

उत्तराखंड में बिहार दिवस मनाने की घोषणा सार्वजनिक होते ही बवाल शुरू हो गया है. कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मामले पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि,

भाजपा बिहार दिवस नहीं, चुनाव दिवस मना रही है. भाजपा की ‘यूज एंड थ्रो’ की नीति है. पीएम मोदी जब चुनाव से पहले बिहार गये थे तो कई हजार करोड़ की घोषणा की थी. लेकिन जब अनुकूल परिणाम नहीं आए तो वह सब भूल गए।

वहीं, कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने तंज कसते हुए कहा,

क्या बिहार में भी बिहार सरकार या फिर भारतीय जनता पार्टी, उत्तराखंड दिवस मनाती है? यह सरकार को बताना चाहिए. ऋषिकेश में बिहार मूल के व्यक्ति को मेयर बनाकर भारतीय जनता पार्टी दिखाना चाहती है कि किस तरह से बिहार के लोगों का वर्चस्व उत्तराखंड में बढ़ रहा है. इसलिए उत्तराखंड में बिहार दिवस मनाया जा रहा है।

इस पूरे मामले पर सिर्फ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ही नहीं, बल्कि अन्य सामाजिक संगठनों ने भी उत्तराखंड में बिहार दिवस मनाने को लेकर अपनी प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दी है. उत्तराखंड मूल निवास समन्वय समिति के पदाधिकारी मोहित डिमरी का कहना है कि,

यह उत्तराखंड के लिए बेहद गंभीर विषय है. उत्तराखंड में किस तरह से दूसरे राज्यों के लोगों को मजबूत करने के लिए बीजेपी काम कर रही है. ऋषिकेश, जहां पर्वतीय मूल के लोगों की बहुत अधिक संख्या है, वहां पर बिहारी मूल के एक नेता को मेयर बनाने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी थी. अब जिस तरह से बिहार दिवस मनाया जा रहा है, निश्चित तौर से उत्तराखंड में बिहार समाज के लोगों को और ज्यादा मजबूत करने का काम किया जा रहा है. यह उत्तराखंड में बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इस पर भाजपा और भाजपा की धार्मिक सरकार से सवाल किए जाएंगे।

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