UTTARAKHAND

ऑनलाइन पूजा का तीर्थ पुरोहितों ने किया विरोध

कपाटोद्घाटन पर गहराया विवाद 

स्थानीय पुरोहित रावल के बदले कपाटोद्घाटन के दौरान धामों में करा सकते हैं परम्परागत पूजा संपन्न   

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

पवित्र धामों के साथ खुलते हैं ये मंदिर 

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के पवित्र चार धामों के कपाट खुलने के दौरान बदरीनाथ धाम में स्थित बामणी गांव का नंदा देवी मंदिर, उर्वशी मंदिर, माणा गांव के लोगों के ईष्ट देवी माता मूर्ति मंदिर, जोशीमठ का नृसिंह मंदिर आदि भी इसी दौरान दर्शन के लिए खोले जाते हैं। इन मंदिरों में भी पूजा पंडा एवं तीर्थ पुरोहित समाज की ओर से ही की जाती है।

देहरादून : श्री बदरीनाथ और श्री केदारनाथ धाम में कपाट खुलने के रावलों की अनुपस्थिति में रावलों द्वारा अपने गृह क्षेत्र से ऑनलाइन पूजा किए जाने के सरकार के प्रस्ताव को तीर्थ पुरोहितों ने एक सिरे से ठुकराते हुए कहा कि यदि रावल इस दौरान उपस्थित नहीं हो पाते हैं तो स्थानीय पुरोहित रावल के बदले कपाटोद्घाटन के दौरान धामों में परम्परागत पूजा संपन्न करा सकते हैं। 

गौरतलब हो कि  बीते दिनों प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय लिया गया था कि प्रदेश के चारों धामों में कपाट निर्धारित समय पर ही खुलेंगे। सरकारी प्रवक्ता का कहना था कि श्री केदारनाथ और श्री बदरीनाथ धाम के कपाटोद्घाटन के अवसर पर यदि दक्षिण भारत से रावल नहीं पहुंच पाते हैं तो कपाट खुलने की पूजा ऑनलाइन कराने पर भी विचार किया जा सकता है। हालाँकि सरकार दोनों रावलों को उनके दक्षिण भारत स्थित क्षेत्रों से उत्तराखंड लाने की कोशिश कर रही है जबकि प्रदेश शासन द्वारा दोनों को लाने के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय को पत्र भी लिखा जा चुका है। वहीँ केदारनाथ के रावल जगद्गुरु श्री भीमाशंकर लिंग ने एक पत्र के माध्यम से राज्य सरकार से उनके केदारनाथ तक पहुँचने की व्यवस्था करने का अनुरोध भी किया है। 

मामले में श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व सदस्य व आचार्य नरेशानंद नौटियाल ने मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर कहा है कि कपाट खुलने के समय दोनों धामों में सभी वैदिक कर्म और कर्मकांड रावलों की ओर से ही किए जाते हैं। लेकिन अगर किन्ही कारणों से दोनों धामों के रावल इस दौरान उपस्थित न हों पा रहे हों तो बदरीनाथ में पूजा का यह कार्यक्रम डिमरी समाज के पुरोहितों की ओर से और श्री केदारनाथ धाम में शुक्ला वंश के पुजारियों द्वारा संपन्न कराया जा सकता है।

हालांकि प्रदेश सरकार को भेज पत्र में उन्होंने कहा कि पूजा अर्चना के लिए दोनों धामों के रावलों को श्री बदरीनाथ और श्री केदारनाथ धाम में लाने की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की है। उन्होंने पत्र में कहा है कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण यदि दोनों धामों के रावल कपाट खुलने के समय नहीं पहुंच पा रहे हैं तो धामों के हक हकूकधारियों और तीर्थ पुरोहितों की ओर से ही यह पूजा संपन्न होनी चाहिए।

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