ऋषिकेश : AIIMS के निदेशक प्रो. रवि कांत जी ने कहा कि समय की दौड़ में बने रहने के लिए बदलाव जरूरी है। निदेशक एम्स ने रेडियोलॉजी के क्षेत्र में अलग-अलग अंगों में विशेषज्ञता रखने वाले चिकित्सकों को तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि अंग विशेष के रेडियोलॉजिस्ट होने से मरीजों को उनकी विशेषज्ञता का लाभ मिल सकेगा।
बृहस्पतिवार को इंडियन रेडियोलॉजिकल इमेजिंग एसोसिएशन (आईआरआईए) की 2020 वार्षिक कांफ्रेंस का एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने विधिवत शुभारंभ करते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि आईआरआईए की नेशनल कांफ्रेंस में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने मेडिकल से जुड़े कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपने सुझाव रखे।
निदेशक एम्स ने बताया कि एमडी,एमएस व डीएनबी की संयुक्त परीक्षा होनी चाहिए, उन्होंने बताया कि न्यूक्लियर मेडिसिन व रेडियो डाइग्नोसिस दोनों ही प्रणाली बीमारी की जांच से जुड़ी हैं। लिहाजा उक्त दोनों विभागों में आपसी समन्वय का होना नितांत आवश्यक है, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इन दोनों विभागों का विलय कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि अमेरिकन बोर्ड पूर्व में ही न्यूक्लियर मेडिसिन व रेडियो डाइग्नोसिस विभाग को एक कर चुका है।
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने कहा कि इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी का पृथक विभाग होना चाहिए, जिसमें पोस्ट ग्रेजुवेशन, एमबीबीएस के बाद से ही मिलना चाहिए। उन्होंने इस विषय को सुपर स्पेशलिटी श्रेणी की बजाए स्पेशलिटी प्रोग्राम में शामिल किए जाने पर जोर दिया।
निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने कहा कि हमें केरिकुलम व स्लेबस में जरुरी फर्क को समझना होगा, उन्होंने दोनों में अंतर को समझाते हुए बताया कि स्लेबस सिर्फ अकादमिक कार्यक्रम होता है जबकि केरिकुलम में साइकोमोटर व ऐफ़ेक्टिव डोमेनस भी निहित होता है। लिहाजा हमें बच्चों को पढ़ाई के साथ- साथ अन्य गतिविधियों के बाबत भी शिक्षित करने की जरुरत है।
समारोह में नेशनल बोर्ड ऑफ एजुकेशन के अध्यक्ष डा. अभिजात सेठ, आईआरआईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. हेमंत पटेल, मनीपाल यूनिवर्सिटी के प्रो चान्सलर डा. एचएस बलाल, एम्स ऋषिकेश के रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डा. सुधीर सक्सेना, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी डिविजन के डा. पंकज शर्मा, डा. उदित चौहान, डा. मोहित तायल आदि मौजूद थे।