UTTARAKHAND
फुलदेई पर्व उत्तराखंड का लोकपर्व !!
बसंत ऋतु के आगमन का पर्व है फुलदेई
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
पवित्र फूल्यात (फूलदेई) पर्व आज (शनिवार)से शुरू हो रहा है, जो पूरे एक महीने तक चलेगा। बैशाख संक्रांति को ठेस्या पूजन के साथ खत्म होगा। फूल्यात या फूलदेई प्रमुख रूप से राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में मनाया जाता है। देवभूमि उत्तराखंड में मनाये जाने वाला प्रसिद्ध एवम् लोकप्रिय लोकपर्व, जो कि चैत्र मास की संक्रांति अर्थात पहले दिन से ही वसंत आगमन की खुशी में फूलों का त्योहार “फुलदेई पर्व” के बारे में आइये जानते हैं ….
इतिहास और मान्यताओं में आखिर क्यों मनाया जाता है फूलदेई
छम्मा देई त्यौहार क्यों मनाया जाता है !!
“फुलदेई पर्व” क्यों मनाया जाता है ?
फुलदेई पर्व के बारे में यह कहा जाता है कि एक राजकुमारी का विवाह दूर काले पहाड़ के पार हुआ था , जहां उसे अपने मायके की याद सताती रहती थी । वह अपनी सास से मायके भेजने और अपने परिवार वालो से मिलने की प्रार्थना करती थी किन्तु उसकी सास उसे उसके मायके नहीं जाने देती थी ।
मायके की याद में तड़पती राजकुमारी एक दिन मर जाती है और उसके ससुराल वाले राजकुमारी को उसके मायके के पास ही दफना देते है और कुछ दिनों के पश्चात एक आश्चर्य तरीके से जिस स्थान पर राजकुमारी को दफनाया था,
उसी स्थान पर एक खूबसूरत पीले रंग का एक सुंदर फूल खिलता है और उस फूल को “फ्योंली” नाम दे दिया जाता है और उसी की याद में पहाड़ में “फूलों का त्यौहार यानी कि फूल्देइ पर्व” मनाया जाता है और तब से “फुलदेई पर्व” उत्तराखंड की परंपरा में प्रचलित है।