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मंत्री के तीखे तेवरों के बाद उत्तराखंड के संस्थानों को किये गए फ़ोन !

  • पत्र में कई जवाबों में मंत्री तक को विभाग ने किया गुमराह 
  • मंत्री के कद को अपने से कमतर आंक रहे कौशल विकास सचिव
  • कई माह से प्रशिक्षण ले चुके युवाओं को नहीं मिल रहे प्रमाणपत्र 

DEHRADUN : आखिरकार कौशल विकास मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के तीखे तेवरों और अपर मुख्य सचिव को लिखे पत्र के बाद  कौशल विकास सचिव को बैकफुट पर आना पड़ा है। इसके  बाद कौशल विकास के कर्ता -धर्ताओं ने उत्तराखंड के तमाम कस्बों और जिला मुख्यालयों पर स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण देने वाले देने संस्थानों के प्रबन्धकों को फ़ोन पर कौशल विकास योजना  अंतर्गत प्रशिक्षण देने को मिन्नतें करनी पड़ रही है. स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण देने वाले कई प्रबंधकों ने  कौशल विकास और सेवायोजन विभाग से फोन आने की पुष्टि भी की है. राज्य के तमाम इलाकों के मिल रही जानकारी के मुताबिक कौशल विकास विभाग के अधिकारी आखिर अब क्यों फोन  कर रहे हैं के जवाब में उनका कहना है कि कौशल विकास मंत्री के तीखे तेवरों के बाद ही विभाग को स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण देने वालों की याद आयी है। 

गौरतलब हो कि बीते दिनों कौशल विकास एवं सेवायोजन मंत्री ने अपर मुख्या सचिव को पत्र लिखकर सचिव पर उन्हें विभागीय जानकारी न देने सहित बैठकों में उपस्थित न रहने सम्बन्धी पत्र भेजा था जिसके बाद मंत्री के कद को अपने से कमतर आंक रहे कौशल विकास सचिव को मंत्री के कार्यालय में जाकर माफ़ी ही नहीं माग्नि पड़ी बल्कि उनको मंत्री को उनके पत्र का जवाब भी देना  पड़ा। इसके बाद विभागीय सचिव ने अपने एक चाहते समाचार पत्र में मुलाकात को सौहार्दपूर्ण बताते हुए मंत्री से पैचअप होने की बात प्रकाशित करवाई थी। सचिव का यह व्यवहार मंत्री को नागवार गुजारा तो उन्होंने मुख्यमंत्री से सचिव की कारस्तानियों की जानकारी दे डाली ।

इसी बीच कौशल विकास विभाग की नोडल अधिकारी चंद्रकांता ने अपने पत्रांक 561 /18/30 -प्रशि0 /17 के माध्यम से जानकारी दी कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 2 .0 योजना हेतु उत्तराखंड को 20 करोड़ 32 लाख 43 हज़ार 40 रुपये अनुदान के रूप में प्राप्त हुए हैं।  जिसमें से दो करोड़ 21 लाख 81 हज़ार 932 रुपये खर्च हुए हैं। पत्र में कहा गया है कि प्रदेश में भारत सरकार द्वारा अनुमोदित 28 वोकेशनल ट्रेनिंग पार्टनर कार्यरत हैं। पत्र में मंत्री को गुमराह करते हुए जबाव दिया गया  है कि  उत्तराखंड से सम्बंधित 28 वोकेशनल ट्रेनिंग पार्टनर द्वारा प्रशिक्षण केंद्र स्थापित हैं जबकि मंत्री का सीधा सवाल था कि उत्तराखंड से कितने वोकेशनल ट्रेनिंग पार्टनर हैं। जबकि मंत्री को जो 236 प्रशिक्षण संस्थानों के नाम व पते उपलब्ध कराये गए थे उनमें से एक भी उत्तराखंड का नहीं था।  मामले तब नया मोड़ आया जब मंत्री ने तीखे तेवर दिखाए कि उन्हें कोई गुमराह करने की कोशिश न करे इसके बाद ही कौशल विकास विभाग के मातहत अधिकारियों ने प्रदेश के संस्थानों को फोन कर-करके प्रशिक्षण के बैच चलाने का अनुनय-विनय किया ताकि मंत्री को यह बता सकें कि प्रशिक्षण संस्थानों  में उत्तराखंड के संस्थान शामिल हैं। 

वहीँ एक अन्य सवाल कि प्रत्येक ट्रेनिंग पार्टनर को कितने प्रशिक्षणार्थि आवंटित हैं तो जवाब दिया गया है कि इसकी सूचीसंलग्न है।  जबकि सूची  में भी मंत्री को पूरी तरह से गुमराह करने का प्रयास किया गया है. चर्चा है कि जितने प्रशिक्षणार्थी सूची में प्रदर्शित किये गए हैं उतने यदि प्रशिक्षण संस्थान में आ भी गए तो सैकड़ों छात्रों  कैसे बिना क्लास रूम के प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। एक जानकारी के अनुसार इस प्रशिक्षण केन्द्रों में इतनी जगह ही नहीं जहाँ एक साथ इतने प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। यह विचारणीय सवाल है। एक अन्य सवाल कि अब तक कितने को प्रशिक्षण दिया जा चुका है तो विभाग का जवाब आया है कि अभी तक 840 युवाओं को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 2.0 के तहत प्रशिक्षण दिया जा चुका है लेकिन इन्हें अभी प्रमाणपत्र नहीं दिया गया है।  जबकि जबाव के अनुसार अभी तक 5613 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।  

मंत्री द्वारा पूछे गये सवाल कि प्रशिक्षणार्थियों में से अब तक कितने को जगार प्रदान किया गया है तो विभाग ने गोल-मोल जवाब देते हुए कहा कि आज कि तारीख तक 840 युवाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है जिसके सम्बन्ध में भारत सरकार के माध्यम से प्रमाण पत्र निर्गत किया जाना है जिसके उपरान्त ही युवाओं को रोज़गार का अवसर प्रदान किया जाना संभव होगा। यानि यहाँ भी विभाग ने मंत्री को गुमराह किया है और यह स्पस्ट नहीं किया कि योजना के सञ्चालन कि अवधि से अब कितने युवाओं को भी रोजगार मिल पाया है। यानि यह साफ़ है कि अब तक किसी भी प्रशिक्षणार्थी  को अब तक रोज़गार नहीं मिला है। 

इससे साफ़ है कि प्रधानमन्त्री मोदी की युवाओं को प्रशिक्षण के बाद रोजगार मुहैया करवाने की  योजना केवल कौशल विकास विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए ही रोज़गार मुहैया करवाने का विभाग बनकर रह गया है। जबकि प्रधानमन्त्री मोदी की  यह योजना अन्य राज्यों में लाखो युवाओं को रोजगार प्रदान ही नहीं कर रही बल्कि उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने का अवसर भी प्रदान कर रही है। यहाँ यह बात भी बतानी जरूरी है सूबे में कौशल विकास विभाग द्वारा पंजीकृत अधिकाँश प्रशिक्षण संस्थान उत्तराखंड से बाहर के संस्थाओं के हैं।  जिनमें अकेले नोयडा और दिल्ली की लगभग दो सौ से ज्यादा संस्थान हैं। चर्चाओं पर यदि गौर किया जाय तो इनमें से अधिकाँश प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे युवाओं ने नाम और पते और प्रशिक्षण संस्थानों के पते तक पूरी तरह फर्जी दर्शाये गए हैं। यदि इनकी बारीकी से जांच की जाय तो उत्तराखड के कौशल विकास विभाग में प्रशिक्षण के नाम पर करोड़ों का घोटाला सामने आ सकता है।   

 

 

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