- तराई में खेतों की सिंचाई के लिए कराया था अंग्रेजों ने 1880 में डैम का निर्माण
भीमताल (नैनीताल)। भीमताल के 137 वर्ष पुराने डैम से अचानक पानी रिसने के कारण क्षेत्र के लोगों में दहशत का माहौल है। लोगों ने सिंचाई विभाग से डैम की मरम्मत करने की मांग की है। डैम से लगभग पांच वर्ष बाद अचानक पानी रिसना दोबारा शुरू हो गया है। इस बार पानी डैम की दीवार की दूसरी तरफ से आ रहा है।
इलाके के लोगों के अनुसार पानी का वेग पिछली बार की अपेक्षा न सिर्फ अधिक बल्कि पानी निकलने के स्थानों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो गई है। इस बार यह पानी चार पांच स्थानों से रिस रहा है। डैम के नीचे की ओर रहने वाले लोगों के आवासों को खतरा उत्पन्न हो गया है। पांच वर्ष पूर्व भी जाड़ों के समय में डैम से रिसाव शुरू हुआ था। उस समय सिंचाई विभाग ने मरम्मत कर दिया था। डैम में अत्यधिक पानी होने के कारण दीवारों पर दबाव बढ़ गया है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1880 में अंग्रेजों ने डैम का निर्माण तराई में खेतों की सिंचाई के लिए कराया था। पहले डैम को मिट्टी आदि से निर्मित किया गया था पर बाद में मिट्टी का डैम टूट जाने के कारण निर्माण भवाली व भीमताल क्षेत्र में पाए जाने वाले पत्थरों से किया गया। चूने के प्रयोग ने इसे कठोरता प्रदान की। डैम को बनाने वाले इंजीनियर सार्प ने जब इसका निर्माण किया तब इसकी उम्र सौ वर्ष रखी थी। सौ वर्ष से भी अधिक वक्त गुजरने के कारण डैम पर खतरा मंडराने लगा है।
सिंचाई विभाग के अभियंता डीसी पंत का कहना है कि कई नहरें डैम से संचालित हैं। जिन स्थानों में से पानी निकलने की बात की जा रही है, वह पत्थर आदि से निर्मित दीवार है। चूने का प्रयोग किया गया है। डैम में कोई खतरा नहीं है।