Uttarakhand

एनएचएम और स्वास्थ्य निदेशक के बीच फंसा गरीबों के डायलिसिस का भुगतान

-बीपीएल मरीजों के होने वाले डायलिसिस का सरकार ने रोका भुगतान !
– एक साल से नहीं किया नेफ्रोप्लस को भुगतान
-नेफ्रोप्लस ने भुगतान न होने पर 1 अप्रैल से डायलिसिस सेवा बंद करने की दी चेतावनी
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । डायलिसिस केयर नेटवर्क में अग्रणी नेफ्रोप्लस को होने वाला भुगतान उत्तराखंड सरकार के स्वास्थ्य महानिदेशालय और एनएचएम के बीच फंसने से आगामी कुछ ही दिनों बाद गरीबों को मिलने वाली यह सुविधा बंद होने के कगार पर पहुँच गयी है।क्योंकि पिछले एक वर्ष से सरकार ने इस सुविधा देखो देने वाले संस्थान का भुगतान नहीं किया गया है। संस्थान का उत्तराखंड का स्वास्थ्य निदेशालय पर लगभग आठ करोड़ रूपया बकाया चल रहा है। वहीं भुगतान न किए जाने पर नेफ्रोप्लस डायलिसिस कंपनी ने 31 मार्च से अपनी सेवाएं बंद करने की चेतावनी दी है।
गौरतलब हो कि नेफ्रोप्लस द्वारा फरवरी 2017 से पीपीपी मॉडल के अंतर्गत कोरोनेशन हॉस्पिटल देहरादून एवं बेस हॉस्पिटल हल्द्वानी में बीपीएल मरीजों को डायलिसिस उपलब्ध कराई जा रही है। इसे अपनी सर्विस के लिये दिसंबर 2017 तक नियमित तौर पर भुगतान मिल रहा था, लेकिन जनवरी 2018 के बाद अब तक के बिलों को कोई वैध कारण बताये बगैर रोक दिया गया है।
सुभाष रोड स्थित एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में नेफ्रोप्लस ऑपरेशन्स के वाइस प्रेसिडेंट सुकरण सिंह सलुजा ने बताया कि जब भुगतान के संबंध में डीजी हेल्थ, एमएचएंडएफड्ब्ल्यू से बात की, तो हमे बताया गया कि यह विभाग का आंतरिक आदेश है। बीपीएल मरीजों से संबंधित भुगतान को एमडी-एनएचएम से अधिकृत करवाने की जरूरत होती है और डीजी ने हमें बताया कि इस भुगतान से संबंधित फाइल को उनके ऑफिस द्वारा स्वीकृत कर दिया है, लेकिन उन्हें एमडी-एनएचएम द्वारा भुगतान जारी करने का कोई ऑर्डर नहीं मिला है। एमडी-एनएचएम हमारे अनुबंध में कोई पक्ष नहीं है और यह एनएचएम एवं एमएचएंडएफडब्लू के बीच का आंतरिक मामला है। इसके बावजूद, हमने कई बार एमडी-एनएचएम से संपर्क किया और विभिन्न कारणों की वजह से हमें डीजी के पास लौटा दिया गया।
नेफ्रोप्लस ऑपरेशन्स के वाइस प्रेसिडेंट सुकरण सिंह सलुजा ने बताया कि एक बार, हमें एमडी-एनएचएम द्वारा बताया गया कि नेफ्राप्लस की ओर से कोई चूक नहीं हुई है, हालांकि, एनएचएम ऑफिस द्वारा संचालित 3 अलग-अलग ऑडिट्स में यही चिंता जताई गई है कि बिलों से बीपीएल संख्यायें गायब हैं और कोई असंगति नहीं पाई गई है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि हमारे सेंटर पर कई मरीज विभिन्न अधिकारियों से संदर्भ पत्र लेकर आते हैं और केवल सीएमएस द्वारा इसके स्वीकृत होने के बाद ही मरीजों का डायलिसिस किया जाता है। नेफ्रोप्लस इन दोनों सेंटर्स पर अपने बकाया भुगतान नहीं हो पाने की वजह से अत्यधिक आर्थिक तंगी से गुजर रही है।
नेफ्रोप्लस अधिकारियों  ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह इस बात का संज्ञान लें कि वर्ष 2018 से अब तक हमने कुल 76870 सत्रों के साथ जितने भी लोगों का उपचार किया है, उनमें लगभग 1000 बेहद संतुष्ट अतिथि मरीज शामिल हैं। हमारे सेवाओं की क्वालिटी को पसंद करने वाले बीपीएल मेहमानों द्वारा जमा कराये गये पत्र नेफ्रोप्लस के स्टैंडर्ड और क्वालिटी का प्रमाण हैं, जिसे परेशानियों के बावजूद कंपनी ने बरकरार रखा है। इसके साथ ही इसके 66 बेहद प्रतिबद्ध कर्मचारी भी हैं, जिन पर अपनी आजीविका को खो देने का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि नेफ्रोप्लस अब वेतन खर्चों को वहन कर पाने में असक्षम है।
नेफ्रोप्लस ऑपरेशन्स के वाइस प्रेसिडेंट सुकरण सिंह सलुजा ने कहा कि नेफ्रोप्लस ने एक बार फिर उत्तरखंड सरकार से तनिक भी देरी किये बिना इस मुद्दे का समाधान करने के लिये अनुरोध किया है, जिससे इस जीवन रक्षक उपचार को प्राप्घ्त कर रहे बीपीएल कार्डधारक मरीजों को किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति से बचाया जा सकेगा। इस बात को ध्यान में रखते हुये हमने डीजी एमएच एवं एफड्ब्ल्यू के ऑफिस से लिखित जवाब का इंतजार करते हुये सेवा को बंद करने की तारीख 31 मार्च तक टालने का फैसला किया। भुगतान न होने पर यह सेवा 1 अप्रैल से बंद कर दी जाएगी। 

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