लो-फ्लोर इलेक्ट्रिक बसें अब उत्तराखंड में भी चलाई जाएंगी
देहरादून। इंदौर, दिल्ली, बंगलुरू और मनाली की तर्ज पर अब उत्तराखंड के मैदानी मार्गों में भी लो-फ्लोर इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी। रोडवेज देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर में इटली की एक कंपनी के संग अनुबंध पर स्थानीय बस सेवा शुरू करने की तैयारी कर रहा है।
कंपनी के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर प्रेजेंटेशन दिया। सीएम ने प्रस्ताव में रुचि दिखाते हुए सचिव परिवहन डी सेंथिल पांड्यिन को योजना बनाने के निर्देश दिए। रोडवेज अधिकारियों की मानें तो 20 से 50 किमी की दूरी वाले शहरों में यह इलेक्ट्रिक बसें जल्द ही दौड़ती नजर आएंगी। इन बसों में प्रदूषण का खतरा नहीं होगा और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
राज्य बनने के 17 साल बाद भी राज्य में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था नहीं सुधर सकी। शहरों में बेलगाम सिटी बसें, विक्रम और ऑटो फिजां बिगाडऩे पर आमादा हैं। इन वाहनों में न गति पर नियंत्रण है न नियमों की परवाह। देहरादून, हरिद्वार व नैनीताल में सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए 2008 में जेएनएनयूआरएम योजना के तहत सेमी लो-फ्लोर बसें दी गई थीं। इसका मकसद यात्रियों को आरामदायक और सुविधाजनक सफर मुहैया कराना था। देहरादून व हरिद्वार को 75-75 और नैनीताल को 45 बसें मिलीं, लेकिन इनके संचालन के लिए जिम्मेदार स्थानीय निकायों ने हाथ खड़े कर दिए।
बसें पहले डेढ़ साल खड़ी रहीं, बाद में इन्हें रोडवेज के सुपुर्द कर दिया गया। अब ये बसें एक शहर से दूसरे शहर में दौडऩे लगीं और जर्जर स्थिति में पहुंच गई हैं। इसी तरह रोडवेज भी अपनी जिन बसों का संचालन 20 से 50 किमी की दूरी के लिए करता है वे भी एकदम खटारा हैं। लिहाजा, रोडवेज अब यात्री सुविधा के हिसाब से बसों के संचालन की तैयारी कर रहा है।