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केदारनाथ विद्युत परियोजना पर मुख्यसचिव ने दिए जांच के आदेश

  • नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIM) के निर्माण पर उठे सवाल !
  • निर्माणाधीन दो सौ किलोवाट की अति लघु परियोजना की गुणवत्ता पर उठा सवाल
  • केदारनाथ विधायक मनोज रावत के पत्र पर मुख्य सचिव ने दिए जांच के आदेश 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : केदारनाथ आपदा के बाद इस धाम का पुर्ननिर्माण हर सरकार की प्राथमिकताओं में एक रहा है । जहाँ बीते विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने इसे चुनावों में भुनाया तो वहीँ खुद देश के प्रधानमंत्री ने दो बार यहाँ आकर पुनर्निर्माण को लेकर कई  महत्वपूर्ण घोषणाऐं भी की लेकिन अब यहाँ के कामों की गुणवत्ता में शिकायतें सामने आ रही है । केदारनाथ में बन रही 200 किलोवाट की अति लघु परियोजना को लेकर मुख्य सचिव को केदारनाथ के विधायक मनोज रावत के एक शिकायती पत्र पर सूबे के मुख्यसचिव ने जांच बैठा दी है जांच एजेंसी को 15 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट मुख्यसचिव को देने के निर्देश दिए गए हैं ।

केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने मुख्यसचिव को लिखे पत्र  में विधायक ने कहा है कि 200 किलोवाट विद्युत क्षमता के अतिलघु परियोजना को 30 नवम्बर 2015 तक पूर्ण किया जाना था लेकिन इस वर्ष 21 अक्टूबर 2017 को केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के दिन तक यह परियोजना पूर्ण नहीं हो पायी है। उन्होंने पत्र में कहा है कि  पेन स्टॉक पाइप में जो वाल्व लगाए गए हैं वह घटिया स्तर के हैं यही कारण था वे बार -बार फट रहे थे वहीँ विधायक ने पाइप की वेल्डिंग और उस पर पड़ने वाले दबाव की जांच का अल्ट्रा साउंड जांच न किये जाने की बात भी उठायी है। उन्होंने अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि इस परिजोजना का उन्होंने खुद निरीक्षण किया और निर्माण में कई अनियमितताए दिखाई दी हैं जिनका विधायक ने पत्र में सिलसिलेवार ब्यौरा दिया है।  इतना ही नहीं विधायक ने  निर्माण एजेंसी नेहरू पर्वतारोहण संस्थान  को अग्रिम भुगतान के रूप में एक करोड़ रुपये दिए जाने पर भी सवाल उठाये हैं। 

विधायक द्वारा मुख्यसचिव को 25 अक्टूबर 2017 को भेजे गए पत्र का  संज्ञान लेते हुए  मुख्य सचिव ने अपर सचिव वैक्लपिक उर्जा ने उरेडा के निदेशक को 22 नवंबर को एक पत्र लिख  इस मामले की जांच 15 दिनों के अंदर करने के आदेश दिए हैं  । वही केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने अपने द्वारा भेजे गए पत्र की तस्दीक करते हुए बताया कि उऩ्होने इस परियोजना का जब जायजा लिया तो कई खामियाँ उन्हे मिली थी वही इस परियोजना से जून 2015 में बिजली उत्पादन होना था । जिसके बाद उन्होने इसको लेकर एक पत्र मुख्य सचिव को लिखा है ।

हमारे पास ऐसे दस्तावेज मौजूदहैं  जो बताते है कि उरेडा ने कई बार निम से इस परियोजना के बाबत पत्र लिखे लेकिन नेहरु पर्वतारोहण  संस्थान की तरफ से किसी भी पत्र का कोई जवाब नहीं दिया गया । इस पूरे मामले को लेकर अभी तक लगभग आठ पत्र निम के प्रधानाचार्य कर्नल कोठियाल और उनके कार्यालय को भेजे गए लेकिन किसी भी पत्र का कोई जवाब नहीं मिला । आखिरकार इसके बाद खुद डी एम रुद्रप्रयाग ने 23 अक्टूबर को एक कडा पत्र निम के प्रिंसिपल कर्नल कोठियाल को भेजा गया । उसका भी जिला प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं मिला। जिसके बाद अब खुद मुख्य सचिव ने इसके जांच के आदेश दे दिए हैं ।

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