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ऑपरेशन मुक्ति: क्या है जानते है पूरी खबर……….

उत्तराखंड में पुलिस द्वारा ‘ऑपरेशन मुक्ति’ अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत सड़कों पर भिक्षा मांगने वाले बच्चों को भिक्षा से हटाकर शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना है. तो आर्थिक रूप से निर्बल, बेसहारा बच्चों को भिक्षावृत्ति के मार्ग से हटाकर शिक्षा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने की पहल की. इस मिशन को “ऑपरेशन मुक्ति” का नाम दिया गया।

 तो साल 2019 में उत्तराखंड पुलिस और बाल संरक्षण आयोग ने ऑपरेशन मुक्ति चलाया था, जिसमें सड़कों पर भीख मांगने वाले बच्चों का सत्यापन कर उन्हें भीख मांगने से रोका गया और शिक्षा के प्रति जागरूक किया गया। तो कई बच्चों के सरकारी स्कूलों में दाखिले भी करवाए गए।तो बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना का कहना है कि जो बच्चे सड़कों पर भीख मांग रहे हैं. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर उनके लिए कुछ करना है तो हम उन्हें जितना हो सके शिक्षा के प्रति जागरूक करें और कोशिश करें कि अपनी जिंदगी में कम से कम एक ऐसे बच्चे को जरूर पढ़ाने की कोशिश करें।

आंकड़े

उत्तराखंड में पुलिस द्वारा ‘ऑपरेशन मुक्ति’ अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत सड़कों पर भिक्षा मांगने वाले बच्चों को भिक्षा से हटाकर शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना है. तो आर्थिक रूप से निर्बल, बेसहारा बच्चों को भिक्षावृत्ति के मार्ग से हटाकर शिक्षा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने की पहल की. इस मिशन को “ऑपरेशन मुक्ति” का नाम दिया गया।

 

 

कानूनी अपराध?

भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम के तहत भिक्षावृत्ति करने वाले को पहली बार मांगते पकड़े जाने पर 2 वर्ष और दूसरी बार में पकड़े जाने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है। इस कानून को लागू कर भिक्षावृत्ति रोकने की जिम्मेदारी पुलिस के साथ सामाजिक न्याय विभाग और बाल संरक्षण आयोग की भी है। तो IPC की धारा 133 में भीख मांगने को पब्लिक न्यूसेंस मानते हुए ऐसे दंड का प्रावधान है।

 

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