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तेल कम्पनियां होंगी नेट ज़ीरो, आपका होगा नेट गेन !

तापमान दो डिग्री से कम रखने के लिए नेट जीरो एमिशन जैसी व्यवस्था बेहद जरूरी
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए विश्व की सबसे बड़ी तेल कम्पनियों ने हाल ही में नेट ज़ीरो होने की बात की है। यह एक बेहद महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम है जो आने वाले सालों में विश्व के पर्यावरण और पृथ्वी की जलवायु की दशा और दिशा बदलने का माद्दा रखता है।
यह खबर कितनी महत्वपूर्ण है इसका अंदाज़ा इसी से लगा सकते हैं कि पर्यावरण के मुद्दों पर काम करने वाली विश्व की बड़ी संस्थाओं में एक, ग्रीनपीस, के मुखिया, जॉन सौवेन ने ब्रिटिश पेट्रोलियम के नेट ज़ीरो होने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमारे जैसे पर्यावरण आन्दोलनकारियों और प्रचारकों के लिए यह बहुह्प्रतीक्षित ख़बर ऐसी है मानो क्रिसमस इस साल पहले ही आ गया हो। अच्छी बात यह है कि ब्रिटिश पेट्रोलियम कम तेल और गैस का उत्पादन करेगा और इसकी शुरुआत इसी दशक से हो रही है।”
नेट ज़ीरो एमिशन का मतलब एक ऐसी अर्थव्यवस्था तैयार करना है जहाँ जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल ना के बराबर हो, कार्बन उत्सर्जन एक दम कम हो, और जिन गतिविधियों में कार्बन उत्सर्जन होता है, उनके असर की भरपाई करने के लिए कार्बन सोखने के इंतज़ाम भी साथ में किए जाएं।
नेट जीरो एमिशन का मतलब एक ऐसी व्यवस्था तैयार करना है जिसमें उत्सर्जित कार्बन सोखने की व्यवस्था बना लेने के बाद कुल कार्बन उत्सर्जन का स्तर लगभग शून्य हो। यह ज़रूरी इसलिए है क्योंकि पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक आने वाले सालों में अगर ठोस इंतजाम नहीं किए गए तो पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ जाएगा। इस बढ़ोत्तरी को दो डिग्री से कम रखने के लिए नेट जीरो एमिशन जैसी व्यवस्था बेहद जरूरी है।
बात तेल कम्पनियों की करें तो कोविड महामारी के बाद से खराब वित्तीय प्रदर्शन ने यूरोपीय तेल कंपनियों को अधिक महत्वाकांक्षी नेट ज़ीरो (यानी अपने कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने ) लक्ष्यों को अपनाने के लिए प्रेरित किया है। नेट ज़ीरो योजनाओं की घोषणा छह सबसे बड़े यूरोपीय तेल प्रमुखों – शेल (Shell), ब्रिटिश पेट्रोलियम( BP,), टोटल (Total), इक्विनोर (Equinor), एनी (Eni) और रेप्सोल (Repsol) द्वारा की गई है।