नगर निगम व जल निगम के बीच कमीशन की लडाई में लटका बजट
देहरादून। शहरों के विकास को लेकर केंद्र सरकार की अहम योजना ‘अमृत’ पर राज्य के अफसरों ने ग्रहण लगा दिया है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के लिए कुल 345.86 करोड रुपये मंजूर किए थे। इसमें से 69.18 करोड रुपये जारी भी हो चुके हैं। सरकारी अफसर इस बजट में से सिर्फ साढे तीन करोड रुपये ही खर्च कर पाए हैं। ऐसे में 342.36 करोड रुपये का बजट अटका हुआ है। केंद्र से अब तक जारी बजट अभी तक कार्यदायी संस्था जल निगम तक ही नहीं पहुंच पाया है। ऐसे में कई शहरों में पहली किश्त तक खर्च नहीं हो पाई है।
केंद्र राज्य के सात शहरों के ढांचागत विकास के लिए लगातार दो साल से अमृत योजना में बजट जारी कर रहा है। 2015-16 के लिए मंजूर 148.53 करोड में से पहली किश्त के रूप में 29.71 करोड रुपये छह मई 2016 को जारी कर दिए गए थे। इसी तरह वर्ष 2016-17 के लिए 197.33 करोड मंजूर करते हुए 11 नवंबर 2016 को 39.47 करोड रुपये जारी किए गए। देहरादून, काशीपुर व रुद्रपुर के नगर निगमों ने 2015 में पहली किश्त जारी की। हरिद्वार में 4.19 करोड की एवज में सिर्फ 28 लाख ही जारी हुए। देहरादून को छोड जल निगम अभी तक पहली किश्त भी खर्च नहीं कर पाए हैं। ऐसे में दूसरी किश्त जारी नहीं हो पाई है और राज्य के विकास का पैसा अटक गया है।
जिलों में ‘अमृत’ की ये है तस्वीर
देहरादून के लिए 133.02 करोड रुपये मंजूर हुए। 27 करोड जारी भी हो गए, पर जल निगम के खाते में सिर्फ 11.50 करोड ही पहुंचे और खर्च हुए मात्र साढे तीन करोड। 31 मार्च तक 133.02 करोड का पूरा बजट खर्च करना है। इससे पेयजल, सीवरेज, ड्रेनेज के साथ पार्कों का विकास होना है।
हरिद्वार: हरिद्वार शहर के लिए मंजूर 51.68 करोड में 10.34 करोड जारी भी हो चुके हैं। इसके बाद भी नगर निगम से पूरा पैसा जल निगम तक नहीं पहुंचा है। यहां स्थिति ये है कि योजनाओं पर काम शुरू होना तो दूर टेंडर से लेकर वर्क अवार्ड होने की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है।
हल्द्वानी: पेयजल संकट से जूझने वाले हल्द्वानी शहर की प्यास बुझाने व सीवर नेटवर्क को मजबूत करने के लिए केंद्र ने 49.73 करोड मंजूर किए। 9.95 करोड का बजट पहली किश्त के रूप में जारी भी किया। गजब ये है कि पहली किश्त का ही बजट नगर निगम से जल निगम को नहीं मिल पाया है।
रुद्रपुर: केंद्र ने रुद्रपुर शहर के लिए 41.21 करोड मंजूर करते हुए पहली किश्त 8.24 करोड की जारी भी कर दी। यहां भी विकास का पैसा नगर निगम के खाते से वर्ष 2016 का बजट जल निगम तक नहीं पहुंच पाया है। ऐसे में राज्य सरकार केंद्र से दूसरी किश्त की मांग भी नहीं कर पा रही है।
काशीपुर: काशीपुर शहर की पेयजल, सीवरेज व पार्कों के विकास को केंद्र ने 42.20 करोड मंजूर करते हुए 8.44 करोड जारी किए। यहां भी नगर निगम व जल निगम की लापरवाही विकास पर भारी पड रही है। नगर निगम से बजट जारी नहीं हुआ, तो जल निगम टेंडर प्रक्रिया में ही उलझा हुआ है।
रुडकी: केंद्र ने रुडकी शहर के लिए 20.40 करोड का बजट मंजूर करते हुए 4.08 करोड जारी किए। पहले चरण की इस छोटी किश्त तक को भी अभी खर्च नहीं किया जा सका है। नगर निगम से एक पैसा भी जल निगम के पास नहीं पहुंचा है नैनीताल: राज्य को बडी राहत देते हुए केंद्र ने सातवें शहर के रूप में नैनीताल को योजना में शामिल किया। 5.62 करोड का बजट मंजूर करते हुए 1.13 करोड जारी किए पर एक कौडी तक खर्च नहीं हो पाई है।
कमीशन की खींचतान में दबा दिया गया बजट !
अमृत योजना में कमीशन की खींचतान के कारण बजट जारी नहीं हो पा रहा है। कमीशन की इसी लडाई में बजट नगर निगम व जल निगम के बीच उलझ कर रह गया है। केंद्र के बाद शासन स्तर से भी बजट समय पर जारी हो चुका है, लेकिन नगर निगमों के स्तर पर लापरवाही सामने आ रही है।
भाजपा शासित निगमों में भी केंद्रीय योजना को झटका
उत्तराखंड में रुडकी को छोडकर अधिकतर नगर निगमों पर भाजपा का कब्जा है। केंद्र सरकार की इस अहम योजना को भाजपा शासित नगर निगमों में ही नुकसान पहुंचा है।
शेष बजट को पैरवी करें अफसर : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केंद्रीय योजनाओं के अवशेष बजट के लिए अधिकारियों को केंद्र में पैरवी करने को कहा। सीएम ने मुख्य सचिव एस रामास्वामी को इसके लिए नीति आयोग से संपर्क करने निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने सोमवार को कहा कि केंद्रीय योजनाओं के तहत कई विभागों को अभी तक केंद्र से पूरा बजट जारी नहीं हुआ है जबकि वित्तीय वर्ष समाप्ति की ओर है। सीएम ने कहा कि सभी अपनी-अपनी योजनाओं का परीक्षण करें और बजट के लिए नीति आयोग से संपर्क करें ताकि राज्य के विकास का पैसा समय पर उत्तराखंड को मिले व विकास योजनाओं पर खर्च किया जा सके।