वन हैं तो बाघ हैं और बाघ हैं तो वन हैंः त्रिवेन्द्र सिंह रावत
पोचिंग के बाद भी बाघों की संख्या में वृद्धि आश्चर्यजनक !
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वन हैं तो बाघ हैं और बाघ हैं तो वन हैंः त्रिवेन्द्र सिंह रावतपोचिंग के बाद भी बाघों की संख्या में वृद्धि आश्चर्यजनक !देवभूमि मीडिया ब्यूरो राज्य में वर्ष वार बाघों की संख्या वर्ष———संख्या
2018———442
2017———361
2014———340
2011———227
2010———199
2008———179देहरादून । विश्व बाघ दिवस (International Tiger Day 2019) के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश में बाघों की गणना के बाद आकलन- 2018 जारी किया। इस रिपोर्ट में क्षेत्रफल के मद्देनजर घनत्व के हिसाब से उत्तराखंड पहले नंबर पर आया है। सभी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या के लिहाज से कार्बेट टाइगर रिजर्व पहले स्थान पर प्रदर्शित किया गया है। इतना ही नहीं रिपोर्ट में टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में भी बाघ संरक्षण के लिए उत्तराखंड को अव्वल बताया गया है।वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि उत्तराखंड जैव विविधता, पर्यावरण व वन्य जीव संरक्षण के लिए संकल्पबद्ध है। ऑल इंडिया टाईगर एस्टीमेशन 2018 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2010 में उत्तराखंड में 227 बाघ थे जो कि वर्ष 2014 में 340 व वर्ष 2018 में बढकर 442 हो गए हैं। वर्ष 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग डिक्लेरेशन में वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था। परंतु भारत ने यह लक्ष्य चार साल पहले ही हासिल कर लिया। इसमें उत्तराखंड का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है।मुख्यमंत्री ने कहा कि वन व वन्य जीवन का संरक्षण उत्तराखंड की संस्कृति में है। बाघ फूड चैन में सबसे ऊपर हैं। बाघ पारिस्थितिक तंत्र की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। कहा भी गया है कि “वन हैं तो बाघ हैं और बाघ हैं तो वन हैं।“ मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयी राज्यों के सम्मेलन में सभी प्रतिभागी राज्यों के प्रतिनिधियों ने विकास व पर्यावरण संरक्षण में संतुलन रखते हुए सतत् विकास का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हम सतत् विकास के लिए प्रयत्नशील हैं।गौरतलब हो कि वर्ष 2014 में हुई अखिल भारतीय स्तर पर बाघों की गणना के अनुसार तब प्रदेश में 340 बाघ थे, जबकि 2017 की राज्य स्तरीय गणना में ये बाघों का यह आंकड़ा 361 पहुंच गया। इस रिपोर्ट से साफ़ है कि तमाम पोचिंग के बाद भी बाघ संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभा रहे उत्तराखंड में बाघों के कुनबे में बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है। रिपोर्ट के अनुसार चार साल अंतराल में सूबे में बाघों की संख्या में 102 बाघों का इजाफा हुआ है। उत्तराखंड में अब इनकी संख्या 442 पहुंच गई है।राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण के मामले में वर्ष 2018 की अखिल भारतीय गणना के अनुसार उत्तराखंड देश में मध्यप्रदेश (526) और कर्नाटक (524) के बाद तीसरे स्थान पर है। यहां विश्व प्रसिद्ध कार्बेट टाइगर रिजर्व के अलावा राजाजी टाइगर रिजर्व और 12 वन प्रभागों में बाघों का बसेरा है। यह बाघ संरक्षण के प्रयासों का ही नतीजा है कि प्रदेश में बाघों का कुनबा निरंतर बढ़ रहा है।राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की गाइडलाइन के अनुसार राज्य स्तर पर होने वाले बाघ आकलन में वर्ष 2017 में प्रदेश में बाघों की संख्या में 2014 की अखिल भारतीय गणना के मुकाबले 21 का इजाफा हुआ था। पिछले वर्ष उत्तराखंड समेत देश के 18 राज्यों में अखिल भारतीय बाघ आकलन के तहत सर्वेक्षण हुआ। इस दौरान कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व में एक हजार से ज्यादा बीटों में बाघों के पगचिह्नों की गणना की गई। इसके अलावा बाघ बहुल वन प्रभागों में भी बड़ी संख्या में पगचिह्न मिले। इसके अलावा 1200 कैमरा ट्रैप के जरिये भी गणना की गई। सर्वेक्षण के आंकड़ों को विशेष रूप से तैयार किए गए ‘एम स्ट्राइप एप’ में भी फीड किया गया। इस बार राज्य में बाघों की संख्या 442 पार हो गई है।
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
राज्य में वर्ष वार बाघों की संख्या
वर्ष———संख्या
2018———442
2017———361
2014———340
2011———227
2010———199
2008———179