ऋषिकेश : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आयोजित विशेष व्याख्यान में नीति आयोग से आई टीम के सदस्यों ने संस्थान की फैकल्टी, चिकित्सकों व स्टाफ को एम्स की कार्य संस्कृति व अनुशासन का पाठ पढ़ाया। जिसमें उन्होंने खासतौर पर संस्थान में मेडिकल एजुकेशन (चिकित्सा शिक्षा) पर जोर दिया।
संस्थान के लेक्चर थियेटर में आयोजित विशेष व्याख्यान में नीति आयोग के सदस्य डा. वीके पॉल ने कहा कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान स्वयं में एक विश्वविद्यालय की भांति स्वतंत्र इकाई के तौर पर कार्य करता है। जिसका मुख्य उद्देश्य मेडिकल एजुकेशन में दक्षता प्रदान करना है। ऐसे में हमें प्रत्येक कार्य में विशेषतौर पर दक्षता की जरुरत है। स्वायत्तशासी संस्था होने के नाते संस्थान अपने नियम कायदे स्वयं बनाने के लिए सक्षम है।
उन्होंने ऋषिकेश एम्स में मेडिकल एजुकेशन व रिसर्च के क्षेत्र में किए जा रहे उल्लेखनीय कार्यों की प्रशंसा की और इसे तेजी से आगे बढ़ाने पर जोर दिया, जिससे इसका लाभ देश के मरीजों को मिल सके। उन्होंने फैकल्टी मेंबरों से मेडिकल साइंस को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान के क्षेत्र में विशेष कार्य करने को कहा।
टीम के सदस्य एवं एम्स दिल्ली के ईएनटी विभागाध्यक्ष डा. एससी शर्मा ने कहा कि संस्थान के सभी स्टाफ को अनुशासन के साथ कार्य करना चाहिए, चिकित्सक को निर्धारित समय पर मरीजों का परीक्षण कर उसका संपूर्ण उपचार करने की दिशा में फोकस करना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि खासतौर से रात के समय अस्पताल में आने वाले मरीजों को खासतौर से चिकित्सा सेवा दी जानी चाहिए, लिहाजा प्रत्येक चिकित्सक को इसे अपना धर्म समझते हुए ऐसे मामलों में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरतनी चाहिए।
व्याख्यान के दौरान टीम के सदस्यों ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि एम्स ऋषिकेश की एजुकेशन व परीक्षा प्रणाली वस्तुनिष्ठ (ऑब्जेक्टिव) आधार पर होने के कारण यह इस व्यवस्था से कार्य करने वाला देश का पहला संस्थान है, उन्होंने इस के लिए संस्थान के निदेशक प्रो. रवि कांत को बधाई दी।
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि एम्स संस्थान द्वारा मनोरोग चिकित्सा क्षेत्र में राज्य सरकार के चिकित्सकों व पैरामेडिकल क्षेत्र के चिकित्सकों को कार्यशाला व टेलीमेडिसिन के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा रहा है। निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने बताया कि संस्थान की सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग के माध्यम से संपूर्ण राज्य को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराएगा, जिसके लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा कैंसर की अंतिम अवस्था के मरीजों की संपूर्ण देखभाल हेतु संबंधित चिकित्सकों को पैलेटिव केयर की ट्रेनिंग भी दी जा रही है। निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने आश्वस्त किया कि संस्थान चिकित्सा धर्म को अपनाते हुए समय की परवाह किए बिना मरीजों की समुचित चिकित्सा के लिए प्रतिबद्ध रहेगा और दिन प्रतिदिन चिकित्सा क्षेत्र में नित नए आयाम प्रतिष्ठापित करने हेतु संकल्पबद्ध रहेगा।
निदेशक ने टीम को सुनिश्चित किया कि संस्थान स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा से जुड़े अनुसंधानों एवं शोधकार्यों की वृद्धि के लिए वचनबद्ध है एवं इसके लिए प्रत्येक चिकित्सक शोध को अपनी दैनिक कार्यप्रणाली का हिस्सा समझेगा, जिससे कि एम्स संस्थान की पहचान विश्व में विशेष शोध संस्थान के तौर पर हो सके।
इस अवसर पर उप निदेशक (प्रशासन) अंशुमन गुप्ता, डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. ब्रह्मप्रकाश, प्रो.यूबी मिश्रा,डा. सौरभ वार्ष्णेय, डा. मनीषा नैथानी,डा. राजेश काथरोटिया, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल आदि मौजूद थे।