एनएच-74 घोटाला : आगे-आगे देखिए होता है क्या ?
योगेश भट्ट
नेशनल हाई वे-74 के चौड़ीकरण में जो घोटाला सामने आया है, वह अभी तक का सबसे बड़ा जमीन घोटाला बनने जा रहा है। पहला ऐसा मौका है, जब छह पीसीएस अधिकारी एक साथ निलंबित हुए हैं। राज्य के इतिहास में किसी भी घोटाले पर यह अभी तक का सबसे बड़ा ‘एक्शन’ है। अब ‘गेंद’ केंद्रीय जांच एजेंसी, सीबीआई के पाले में है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि घोटाला कितना बड़ा होगा। जबकि अभी इसमें आईएएस अफसरों, जन प्रतिनिधियों और सरकार में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगो के नाम सामने आने बाकी हैं।
अब आगे देखना यह होगा कि ऐसा हो पाता है या नहीं। यूं तो प्रदेश में हुए घोटालों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है, लेकिन इस घोटाले में खास यह है कि सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये डकारे जा चुके हैं। प्राथमिक आंकड़ा ढाई सौ करोड़ के करीब है, जबकि अंदेशा तीन सौ करोड़ से ऊपर का माना जा रहा है। चौंकाने वाला पहलू यह है कि इस घोटाले में अभी बड़े ‘मगरमच्छों’ के नाम सामने नहीं आ रहे हैं। जो जांच निचले स्तर पर हुई हैं, उनमें घोटाले का दायरा तो लगातार बढ़ रहा है, लेकिन जांच की जद में अभी तक छुटभैय्ये ही हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि जिस तरह से बैकडेट में भू-उपयोग परिवर्तन किया गया, राजस्व अभिलेखों के साथ छेड़छाड़ की गई, पत्रावलियां गायब की गई, मुआवजे के रूप में बीस-बीस गुना अधिक भुगतान कराया गया, इतना दुस्साहसिक कारनामा बिना बड़े संरक्षण के संभव ही नहीं। जिस तरह से इस घोटाले में हर दिन परत दर परत नए तथ्य सामने आ रहे हैं, उसके बावजूद अभी तक प्रदेश में जांच की आंच ‘बड़ों’ तक नहीं पहुंची है। बहरहाल मुख्यमंत्री ने घोटाले की गंभीरता व उसके दूरगामी प्रभावों को भांपते हुए पूरा मामला सीबीआई के हवाले कर दिया है। अपने स्तर पर प्राथमिक जांच में जिन अधिकारियों की संलिप्तता नजर आई है, उन्हें निलंबित करने का फैसला भी उन्होंने लिया है।
मुख्यमंत्री का यह फैसला बेहद गंभीर फैसला है। सीबीआई को जांच का जिम्मा देकर उन्होंने एक तो यह साफ कर दिया है कि इसमें आगे की जांच पर कम से कम राज्य सरकार का किसी तरीके का कोई दखल नहीं होगा और जांच में निष्पक्षता भी बनी रहेगी। इस फैसले से सरकार की ओर से भ्रष्टाचार पर गंभीर ‘एक्शन’ लेने का संदेश भी गया है। दूसरा पहलू बेहद दिलचस्प है। जिस तरह की चर्चाएं व तथ्य सामने आ रहे हैं, उससे यह साफ है कि आने वाले दिनों में यह घोटाला प्रदेश की सियासत में खासा अहम रोल अदा करने वाला है।
जब जांच की आंच सफेदपोशों तक पहुंचेगी तो निश्चित तौर पर कांग्रेस और भाजपा दोनों खेमों में खलबली मचेगी। कम से कम कांग्रेस को लेकर तो शुरू में ही यह साफ हो भी गया है। मुआवजे के लाभार्थियों की ओर से पार्टी के खाते में जमा कराई गई मोटी रकम अपने आप में काफी कुछ बयान कर रही है। भाजपा के लिए असहज स्थितियां इस लिए होना निश्चित है, क्योंकि उनके कुछ नेताओं व कैबिनेट में एक मंत्री का नाम इस घोटाले को लेकर प्रमुखता से चर्चाओं में है। वाकई सीबीआई ने गंभीरता से जांच की तो कई राज बेपर्दा होंगे। तब देखना यह होगा कि, इस घोटाले में ‘एक्शन’ सियासत से उपर उठ कर लिया जाता है या सियासत की भेंट चढ़ जाता है।