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एक साथ बुलंद हुई आवाज़, गैरसैंण बनेगी राजधानी तो ही करोगे राज

  • गैरसैंण को राजधानी बनाये जाने को निकाली तिरंगा यात्रा
  • आंदोलनकारियों ने सरकार के खिलाफ दिया धरना
देहरादून : गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी बनाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। नए साल के पहले दिन राज्य आंदोलनकारियों के साथ कई संगठन इस मसले को लेकर सड़क पर उतरे और गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की जमकर हुंकार भरी । गैरसैंण को स्थानीय राजधानी बनाने की मांग को लेकर साल के पहले दिन देहरादून में तिरंगा यात्रा निकाली गई। तिरंगा यात्रा कचहरी स्थित शहीद स्थल से शुरु हुई, जो घंटाघर के पास स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी की प्रतिमा पर जाकर समाप्त हुई। इस यात्रा में शामिल युवाओं और महिलाओं ने एक स्वर में गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित करने की मांग की। साथ ही चेतावनी दी अगर सरकार इस दिशा में कदम नहीं उठाए गए तो राज्य में उग्र आंदोलन होगाऔर अब इसकी शुरुआत हो चुकी है।
प्रदर्शन में शामिल  गैरसैंण अब आंदोलन नहीं , विचार है,,,,इन्हीं नारों को दोहराते आंदोलनकारियों ने गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है। सोमवार को राज्य आंदोलनकारियों समेत कई संगठनों ने  शहीद स्मारक से घंटाघर तक तिरंगा यात्रा निकालकर गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग की। इन लोगों का साफ तौर पर कहना है कि गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाया जाए ताकि राज्य आंदोलनकारियों का सपना साकार हो सके। 
बडी संख्या में विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए कार्यकर्ता, युवा कचहरी स्थित शहीद स्थल पर संयोजक प्रवीण सिंह के नेतृत्व में इकटठा हुए और वहां से उन्होंने प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाये जाने की मांग को लेकर अब आंदोलन तेज होंने लगे है तथा गैरसैंण स्थाई राजधानी तथा नशा नहीं रोजगार दो के लिए विभिन्न सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं, युवाओं ने राजधानी में तिरंगा यात्रा निकालकर जनता को लामबंद करने का आहवान किया।
शहीद स्थल से तिरंगा यात्रा जैसे ही पर्वतीय गांधी इन्द्रमणि बडोनी की प्रतिमा में पहुंची और वहां पर उनका नमन करने के बाद एक सभा में परिवर्तित हो गई।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा है कि पर्वतीय गांधी इन्द्रमणि बडोनी के सपनों का उत्तराखंड बनाने, बाबा मोहन उत्तराखंडी के शहादत का मान रखने, पलायन को रोकने तथा गाँव को बचाने के लिए जो संघर्ष हमने पद,जन-संपक यात्रा, गैरसैंण में आमरण अनशन और फिर पुलिसिया दमन के बाद देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपने शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय को अनशन समाप्त करने को भेजने पर विवश किया।
आमरण अनशन इस शर्त के साथ समाप्त हुआ कि यदि ग्रीष्मकालीन शत्र से पूर्व वर्तमान सरकार ने गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करना होगा तथा नशे की रोकथाम हेतु महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे वरना पूरे उत्तराखंड में ग्रीष्मकालीन सत्र के साथ ही आमरण अनशन, चक्काजाम तथा जुलुस निकाले जायेंगे। उनका कहना है कि इस आंदोलन की प्रतिबद्धता से जो बीजारोपण हुआ वह अब पूरे उत्तराखंड को पुनरू जगा दिया। इस आंदोलन से नेताओं को भी सड़क तक लाने और नारे लगवाने में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है।
उनका कहना है कि एक जनवरी को दून में तिरंगा यात्रा प्रारंभ कर रहे जो कि गैरसैंण की मांग को लेकर शुरू हो रहा, 21 जनवरी को ऋषिकेश और 26 जनवरी को श्रीनगर व फिर कर्णप्रयाग , देवप्रयाग, चमोली, गोपेश्वर, गैरसैंण, द्वारहाट, चैखुटिया, बागेश्वर, अलमोड़ा, नैनीताल व पूरे उत्तराखंड में निर्धारित समय से होगा। उनका कहना है कि इसके बाद भी सरकार नहीं जागी तो चक्का जाम एवं आमरण अनशन किया जायेगा जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। अनेक वक्ताओं ने संबोधित किया। संयोजक प्रवीण सिंह, रामकृष्ण तेवारी, महेश चंद्र पांडेय, महिला मंच की प्रदेश संयोजक कमला पंत, जिला संयोजक निर्मला बिष्ट, शकुन्तला गुसांई, पदमा गुप्ता, सचिन थपलियाल, भगवती प्रसाद, आदेश चैधरी, अरविन्द हटवाल, नारायण सिंह, राजकुमार, संजय घिल्डियाल, एस पी नेगी, कैलाश जोशी, संजय बुडाकोटी, मनीष सुंदरियाल, मोहन भंडारी, विकास नेगी, दिनेश कोठारी, आजाद, राजेन्द्र गैरोला, तीरथ सिंह राही आदि मौजूद थे।
आंदोलनकारियों का कहना है कि 17 साल बाद भी सरकार गैरसैंण पर अपना रुख साफ नहीं कर पाई है। ऐसे में सरकार को अब स्थिति साफ करनी होगी और गैरसैंण को राजधानी बनाना होगा। आंदोलनकारियों की माने तो गैरसैंण स्थाई राजधानी आंदोलन किसी राजनीतिक दल का न होकर उत्तराखंड के जनमानस की भावनाओं से जुड़ा है। इसीलिए आज की यात्रा में किसी पार्टी का ध्वज ना लेकर तिरंगा यात्रा निकाली जा रही है। आंदोलनकारियों ने सरकार को साफ चेताया कि जब तक सरकार गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित नहीं कर देती तब तक आंदोलन पूरे उत्तराखंड में जारी रहेगा।

उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी मंच का सात सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन

वहीँ दूसरी ओर उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी मंच ने अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन को जारी रखते हुए प्रदेश सरकार को जगाने के लिए प्रदर्शन कर धरना दिया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा है कि सरकार आंदोलनकारियों के हितों के प्रति गंभीर नहीं दिखाई दे रही है जिस कारण आंदोलन करना पड़ रहा है।

अभी तक 10 प्रतिशत का क्षैतिज आरक्षण नहीं मिल पाया है। यहां मंच से जुडे हुए आंदोलनकारी कचहरी स्थित शहीद स्थल में अध्यक्ष नंदा बल्लभ पांडेय के नेतृत्व में इकट्ठा हुए और वहां पर उन्होंने अपनी सात सूत्रीय मांगों के समाधान के लिए प्रदर्शन करते हुए धरना दिया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि समूचे उत्तराखंड को आरक्षित किया जाये और मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहे के दोषियों को फांसी दिये जाने की मांग की गई है लेकिन अभी तक इस ओर किसी भी प्रकार की कोई नीति तैयार नहीं की गई है। उनका कहना है कि आज आंदोलन को काफी दिन हो गये, लेकिन किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही है जो चिंता का विषय है।

वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी का दर्जा आंदोलनकारियों को शीघ्र ही प्रदान किया जाना चाहिए और सेनानियों के आश्रितों को रोजगार में समायोजित किये जाने तथा समीवर्ती जिलों से पलायन पर पूर्ण रूप से रोक लगाये जाने और आंदोलनकारियों को दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को शीघ्र ही प्रदान किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि लगातार आंदोलनकारियों के हितों के लिए संघर्ष किया जा रहा है लेकिन प्रदेश सरकार इस ओर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं कर पा रही है।

उनका कहना है कि लगातार आंदोलनकारियों का उत्पीड़न किया जा रहा है और उनके हितों के लिए किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है जिससे आंदोलनकारियों में रोष बना हुआ है। उनका कहना है कि शीघ्र ही आंदोलनकारियों की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो आंदोलन को तेज किया जायेगा और इसके लिए रणनीति तैयार की जायेगी। उनका कहना है कि आंदोलनकारियों को शीघ्र ही चिन्हित किया जाये और छूटे हुए आंदोलनकारियों को शीघ्र ही दर्जा दिये जाने की आवश्यकता है इसके लिए शासन व प्रशासन को शीघ्र ही हल निकालना होगा। उनका कहना है कि शीघ्र ही कार्यवाही न होने पर आंदोलन को तेज किया जायेगा। उनका कहना है कि सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन को तेज किया जायेगा।

अब सरकार के खिलाफ आर पार का आंदोलन किया जायेगा। उन्होंने उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी। अभी तक शासन प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की कोई सुध नहीं ली गई है। इस अवसर पर मंच के अध्यक्ष नंदा बल्लभ पांडेय, विनोद असवाल, प्रेम सिंह नेगी, विश्म्बरी रावत, पुष्पा रावत, हिमानंद बहुखंडी, सुनील जुयाल, सत्येन्द्र नौगांई, वीर सिंह, एम एस रावत, जानकी भंडारी, मनोहरी रावत, प्रभा वोरा, कमला थापा, फूला रावत, संध्या रावत, रेखा पंवार, विमला रावत, जगदम्बा नैथानी, विमला पंवार, नीमा हरबोला, कांति काला, तारा पांडेय, राम प्यारी, आरती ध्यानी, सैमर सिंह नेगी, सुशीला भटट, जयंती पटवाल, राधा तिवारी, पुष्पा नेगी, बना रावत, कीर्ति रावत, गोदाम्बरी भटट, प्रभात डंडरियाल, सरोज थपलियाल, एम एस भंडारी, विरेन्द्र कुकशाल, पुष्पा राणा, सुधा रावत सहित अनेक आंदोलनकारी मौजूद थे।

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