राज्यवार स्थिति में उत्तराखण्ड राज्यों में अपराध में न्यूनतम से चौथे स्थान पर
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
आईएएस-पीसीएस ने सीएम त्रिवेंद्र से भेंट कर दीपावली की दी शुभकामनाएं
देहरादून । दीपावली के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में मुख्य सचिव सहित प्रदेश के वरिष्ठ आई.ए.एस, आई.पी.एस, आई.एफ.एस व अन्य सेवा के अधिकारियों ने भेंट कर उन्हें दीपावली की बधाई एवं शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने भी सभी को दीपावली की बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश एवं राधा रतूड़ी सहित अन्य सभी वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
देहरादून । एनसीआरबी द्वारा वर्ष 2017 के क्राइम इन इंडिया राज्यवार अपराध आंकड़े जारी किये गये हैं। उक्त आंकड़े वर्ष 2017 में पूरे देश में राज्यवार घटित भारतीय दण्ड संहिता से सम्बन्धित हैं। राज्यवार स्थिति में उत्तराखण्ड राज्यों में अपराध में न्यूनतम से चौथे स्थान पर है। वर्ष 2017 में कुल 12889 भारतीय दण्ड संहिता के अभियोग पंजीकृत किये गये, जो 119.3 अपराध प्रतिलाख जनसंख्या पर पंजीकृत है।
कुल चोरी, लूटी गयी सम्पत्ति का राष्ट्रीय औसत कुल 28.6 प्रतिशत है। जबकि इसी अवधि में उत्तराखण्ड राज्य द्वारा चोरी, लूटी गयी सम्पत्ति का कुल 52.7 प्रतिशत बरामद किया गया है। (कुल चोरी, लूटी गयी सम्पत्ति 15.5 करोड़ थी जबकि कुल बरामद की गयी सम्पत्ति 8.2 करोड़ है।) उक्त शीर्षक में उत्तराखण्ड राज्य सम्पत्ति बरामदगी में देशभर में दूसरे स्थान पर रहा जबकि पडोसी राज्य उत्तर प्रदेश कुल बरामदगी 34.1 प्रतिशत के साथ 12वें स्थान पर रहा।
वर्ष 2018 में को बढावा देते हुए 65 प्रतिशत की चोरी, लूटी गयी सम्पत्ति की बरामदगी की गयी है। मात्र तमिलनाडू राज्य ही उक्त शीर्षक में उत्तरखण्ड से आगे है। कतिपय खबरों में उत्तराखण्ड राज्य में अपराध में वृघ्द्ध को इंगित करते हुए कुल 28861 अभयोग घटित होने दिखाये गये हैं। जबकि वास्तविकता में वर्ष 2016 में भादवि के 10867 की तुलना में वर्ष 2017 में 12889 अभियोग ही पंजीकृत हैं, शेष 15972 अभियोग निरोधात्मक कार्यवाही से सम्बन्धित हैं।
गौरतलब हो कि वर्ष 2017 में समय-समय पर कानून व्यवस्था व चुनावों के दृष्टिगत आपराधिक व असामाजिक तत्वों के विरूद्ध निरोधात्मक अभियान चलाये गये हैं जिसके दृष्टिगत 15972 अभियोग निरोधात्मक कार्यवाही (जैसे आबकारी अधिनियम, शस्त्र अधिनियम, एन डीपीएस एक्ट, गुण्डा एक्ट आदि) के हैं न कि आपराधिक घटनाओं के हैं।
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