शराब के खिलाफ पहाड़ से लेकर मैदान तक में उग्र होता आंदोलन
युवा पीढी को सबसे अधिक शराब ने आगोश में हो रही बर्बाद
महिलाओं ने 1965 – 66 में भी शराब के खिलाफ किया था जबरदस्त आन्दोलन
गोपेश्वर (चमोली ) : प्रदेश में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद हाईवे से ठेकों को आबादी के करीब शिफ्ट करने का विरोध कर रही महिलाओं का आंदोलन उग्र होने लगा है। गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक विरोध प्रदर्शनों के दौर के बीच चमोली और चंबा में भीड़ अनियंत्रित हो गई। उत्तराखंड आंदोलन की तरह राज्यभर में शराब के खिलाफ आंदोलन में महिलायें क़ाफी मुखर नज़र आ रही हैं,शराब के खिलाफ आन्दोलन का यदि असर दिखा गया तो पहाड़ की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल सकती है । इसी पहाड़ से 90 के दशक में ” नशा नहीं रोजगार दो ” आन्दोलन खूब चला । उस समय की युवा पीढी ने कुमांयू आन्दोलन की शुरुआत की थी । बुद्धिजीवियों . समाज सेवियों . युवाओं ने शराब के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन किया ।
उससे पूर्व महिलाओं ने 1965 – 66 में जबरदस्त आन्दोलन किया । शराब की आड में ” टिंचरी ” बेची जा रही थी । जाफरानी भी बेची गयी। जहर भरे रसायन शराब की आड में बेची गयी । पूरे पहाड़ में महिलाओं ने और सर्वोदयी कार्यकर्ताओं ने आन्दोलन किये । युवा आगे आये । शराब की दुकानों के आगे अहिंसक आन्दोलन हुये। इसी दौरान 1971 में महिलाओं ने राज्य में शराब के खिलाफ जबरदस्त आन्दोलन किये ।
उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी व अन्य संगठनो और स्वतंत्र रुप से भी सभी लोग आन्दोलन से जुड़े । ‘ टिंचरी का विरोध करने आयीं इरादों की पक्की महिला को कौन नहीं जानता । शराब टिंचरी का विरोध कर रही उन बहादुर महिला को ” टिंचरी माई ” के नाम से जाना गया । शराब के विरोध में चमोली, टिहरी ,उत्तरकाशी में हुये 1971 के आन्दोलन मे़ इन्द्रा देवी,जयन्ती देवी , जेठुली देवी, देवेश्वरी देवी समेत 21 महिलाओं ने सहारनपुर जेल यात्रा की । सुन्दरलाल बहुगुणा चंडी प्रसाद भटट . चिंरजी लाल भट्ट ने आन्दोलन को शिखर पर पहुंचाया । विमला देवी ( सुन्दर लाल बहुगुणा जी की धर्म पत्नी ) ने भी आन्दोलन को गति दी । प्रसिद्ध सर्वोदयी नेत्री राधा बहन,विमला बहिन,शमशेर बिष्ट,राजीव लोचन शाह ,पी सी तिवारी, रमेश कृषक, अब सासंद प्रदीप टमटा, उत्तरकाशी में घनश्याम रतूडी समेत अनेक सर्वोदयी कार्यकर्ताओं ने शराब के खिलाफ आन्दोलन किया ।
शराब की अवैध बिक्री का विरोध करने पर पत्रकार उमेश डोभाल की हत्या तक हुयी । चमोली में महिलाओं ने पिछले 5 से 7 सालों से शराब के खिलाफ अलख जगाई है,पीपलकोटी में बंड क्षेत्र की महिलाओं ने शराब और शराबियों के विरूद्ध ” कंडाली आन्दोलन ” तक किया । अर्थात जो भी शराब पी कर आयेगा उस कंडाली बिच्छू घास लगाने का ऐलान किया । शादी ब्याह या किसी भी समारोहोंमें शराब पीने या पिलाने वालों के विरोध में महिलाओं ने आन्दोलन चलाया है । यही बजह कि कई गांवों में शादी बारात या अन्य समारोहों में अब शराब बंद हो गयी है ।
चमोली, टिहरी, थल में दुकानों के आगे रामधुन गा कर शराब का विरोध किया गया । महिलाओं को जेल तक जाना पडा । 1971 में शराब का विरोध कर रहीं महिलाओं को जेल की यात्रा करनी पडी । उन्हें सहारनपुर जेल तक भेजा गया । दुधमुंहे बच्चोंं को लेकर महिलाओं ने जेल की यात्रा की पर शराब का विरोध नहीं छोडा । लिहाजा चमोली ( तब रूद्रप्रयाग भी चमोली में था )। उत्तरकाशी और पिथौरागढ में पूर्ण शराब बंदी की गयी, इन्हें ड्राई एरिया घोषित किया गया , पर 1990 में फिर आर्मी को शराब दिये जाने के नाम पर चालाकी से शराब की दुकानें खोल दी गयी।
उल्लेखनीय हो कि पहाड़ में पूजा मान्यता के पर कुछ जातियां में छंग या मिले जुले नाम से दारू बनती थी पर इसे ब्यापार या नशे के रूप में पहले नहीं लिया जाता था। 1865 के अफगान युद्ध के बाद अंग्रेजों ने धीरे धीरे पहाड़ में शराब शुरु की चाय वह भी ब्यापार की तरह और आज नौबत ये आ गयी कि सूबे के हर जिले के हर कस्बे व हर मोहल्ले तक शराब की दुकान खुल गयी।
जिस उत्तराखंड में आज युवा पीढी को सबसे अधिक शराब ने आगोश में लिया है कभी उत्तराखंड से ही युवा पीढ़ी शराब के विरोध में आगे आयी थी । 90 के दशक में ” नशा नहीं रोजगार दो ” आन्दोलन के तहत अल्मोडा . नैनीताल और पिथौरागढ समेत उत्तराखंड के कई जिलों व उनके गांवो में आन्दोलन को और गति दी गयी।
वहीँ शुक्रवार को चमोली जनपद के मुख्यालय गोपेश्वर में बस अड्डे के पास शिफ्ट हुई दुकान के बारे में जैसे ही प्रदर्शनकारी महिलाओं को पता चला वे सैकड़ों की संख्या में वहां पहुंची और तोड़फोड़ शुरू कर दी। वहां मौजूद उपजिलाधिकारी ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी। कुछ देर बाद महिलाओं ने शराब की पेटियों को आग के हवाले कर दिया।
इस दौरान दुकान का स्टाफ वहां से जान बचाकर भागा। चमोली की पुलिस अधीक्षक प्रीती प्रियदर्शनी ने कहा कि महिलाओं की संख्या ज्यादा थी और फोर्स कम। घटना की रिर्काडिंग की गई है। यदि शिकायत आई तो कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा टिहरी जिले के चंबा में भी आक्रोशित लोगों ने शराब की दुकान में जमकर तोड़फोड़ की।
सुबह महिलाएं शराब विरोधी नारे लगाते हुए गोपेश्वर बस अड्डे पहुंची। प्रदर्शनकारियों का सवाल था कि हाईवे से हटाने के बाद ठेके को बस अड्डे पर क्यों खोला जा रहा है। इस बीच चमोली के एसडीएम अभिषेक रोहिला पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने समझाने की कोशिश की। दोनों पक्षों में तीखी नोकझोंक भी हुई। महिलाओं ने ठेके पर धावा बोलकर शराब की बोतलें तोड़ डालीं। आरोप है कि इस दौरान पुलिस सिर्फ वीडियाग्राफी करती रही।
इसके बाद महिलाओं को सूचना मिली के दस किलोमीटर दूर चमोली कस्बे में श्मशान के पास भी ठेका खुल रहा है। महिलाओं का हुजूम एक बस में सवार हुआ और चमोली जा पहुंचा। ठेके के कर्मचारियों को इसकी सूचना पहले ही मिल गई थी। वे दुकान छोड़कर भाग खड़े हुए। प्रदर्शनकारियों ने दुकान में रखी बोतलें फोड़ डालीं। चमोली के जिला आबकारी अधिकारी हरीशचंद्र ने कहा कि ठेकों को सरकारी आदेश के तहत खोला गया था। उन्होंने कहा कि तोड़फोड़ व आगजनी की शिकायत मिली है। इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है।
टिहरी जिले के चम्बा में भी शराब के ठेकों को लेकर आक्रोश चरम पर रहा। कालेज रोड पर ठेका खुलने के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए और दुकान में रखी शराब की कई पेटियां तोड़ डालीं। इसके बाद भीड़ जुलूस के रूप में थाने पहुंची और जमकर हंगामा किया। बाद में उन्होंने आबकारी निरीक्षक बिजेंद्र सिंह को ज्ञापन सौंप दुकान खोलने का विरोध किया।