Ganga माँ शीतकाल के लिए पहुंची अपने मायके मुखवा
- मुखवा में भव्य स्वागत के बाद मूर्ति हुई स्थापित
- शीतकाल में श्रद्धालु अब यहीं कर पाएंगे माँ गंगा के दर्शन
उत्तरकाशी : हिमालय की गोद में बसे गंगोत्री धाम से अपने मायके और शीकालीन गद्दी स्थल मुखवा पहुंची मां गंगा की डोली, भैरव घाटी स्थित भैरव मंदिर, देवी मंदिर मारकंडेय मंदिर होते हुए जब अपने मायके मुखबा गांव पहुंची तो स्थानीय ग्रामीणों ने जयकारों के साथ धूप, दीप और पुष्प अर्पित कर मां गंगा का भव्य स्वागत किया। मुखबा पहुंचने के बाद गंगा मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना के साथ गंगा मैया की मूर्ति शीतकाल के लिए स्थापित हो गई है । जहां अब देश विदेश के श्रद्धालु अब आगामी छह महीने तक मां गंगा के दर्शन करेंगे।
गौरतलब हो कि विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट शुक्रवार को सुबह 11.40 मिनट पर बंद कर दिए गए थे। जिसके बाद मां गंगा की डोली सोमेश्वर देवता की अगवाई में गंगोत्री के रावलों के साथ मुखबा गांव के लिए रवाना हुई थी। देर शाम को मां की डोली ने मुखबा से पूर्व स्थित देवी मंदिर में रात्री विश्राम किया। जहां पर मुखबा के ग्रामीणों ने रातभर भजन कीर्तन कर मां गंगा के गुणगान गाये। वहीं दूसरे दिन सुबह मंदिर में भंडारा एवं प्रसाद वितरण करने के बाद मां गंगा की डोली अपने भक्तों के साथ 12 बजकर 30 मिनट पर मुखबा के लिए रवाना हुई। जो दोपहर 2: 30 पर मुखबा गांव पहुंची।
मुखवा माँ गंगा का मायका माना जाता है जहां पर मां गंगा का ग्रामीणों ने धूप, नैवैध्य, पुष्प मालाओं एवं जयकारों के साथ मां गंगा भव्य स्वागत किया। इसके बाद मां गंगा की डोली गांव में स्थित गंगा मंदिर में स्थापित की गई। जहां अगले छह माह के शीतकाल के दौरान देश-विदेश के श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन कर पाएंगे । पुरोहित सभा के अध्यक्ष पवन सेमवाल ने बताया कि मुखबा में पांडव नृत्य का आयोजन किया जा रहा है ,जो आगामी तीन दिन तक चलेगा। जिसमें सभी ग्रामीण मौजूद रहेंगे। इस मौके पर गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष मुकेश सेमवाल, सचिव सुरेश सेमवाल, गंगा पुरोहित सभा के अध्यक्ष पवन सेमवाल, राजेश सेमवाल, संजीव सेमवाल आदि सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे।