PAURI GARHWAL

उत्तराखंड को डबल इंजन की जरूरत तो कह गए मोदी ,लेकिन कोटद्वार तक सात महीने से रेल नहीं

अवनीश अग्निहोत्री 

कोटद्वार। प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा जहां उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में डबल इंजन की अपील कर जनता से वोट मांग रही है, तो वहीं रेल मंत्रालय व विभागीय अधिकारी सूबे की राजनीति को प्रभावित करने वाली कोटद्वार विधानसभा सीट की जनता को रेल सुविधा से भी वंचित रखने में आमदा है। रेल विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते यहां सुखरो नदी में विगत सात माह से क्षतिग्रस्त रेलवे पुल का निर्माण नहीं करवा पाया है।

बताते चलें कि ब्रिटिश शासनकाल में 1885 में गढ़वाल को जोड़ने के लिए कोटद्वार में रेलवे स्टेशन का निर्माण करवाया गया, जिससे पूर्व में केवल कोटद्वार-नजीबाबाद पेसेंजर ट्रेन का संचालन ही होता था। आजादी के बाद भी इस स्टेशन के हालात नहीं बदले हालांकि बाद में मसूरी एक्सप्रेस का संचालन शुरू हो गया। बाद में तत्कालीन गढ़वाल सांसद सतपाल महाराज ने गढ़वाल की जनता की परेशानियों को समझते हुए गढ़वाल एक्सप्रेस का संचालन शुरू करवाया। हालांकि रेलवे का मेन जकंशन नजीबाबाद में है और सभी एक्सप्रेस व पेसेंजर ट्रेने नजीबाबाद से ही चलती है, लेकिन क्षेत्र की जनता को कोटद्वार रेलवे स्टेशन से काफी सुविधा थी और जहां तीन बार कोटद्वार से नजीबाबाद के लिए पेसेंजर ट्रेन का संचालन होता था, मसूरी एक्सप्रेस का संचालन होता था, जिसमें लखनऊ व हावड़ा के डिब्बे भी जुड़ते थे।

इसके अलावा वहीं दिन में दिल्ली के लिए गढ़वाल एक्सप्रेस का संचालन होता था। जिसमें हजारों लोग देश की राजधानी पहुंचने के लिए सवार होते थे। इसके अलावा लैंसडौंन में सेना की छावनी गढ़वाल रेजीमेंट सेंटर व कोटद्वार में सेना का ट्रेनिंग सेंटर है इसके अलावा चारधाम यात्रा संचालन का केंद्र होने के साथ ही पर्यटन स्थल होने के कारण जहां एक ओर सेना के जवानों की आवाजाही रेलवे से होती थी, वही प्रतिदिन बड़ी संख्या में पर्यटक भी गढ़वाल की सैर के लिए कोटद्वार पहुंचते थे, जिससे रेलवे की महीने की लाखों की कमाई होती थी। विगत 22 जुलाई को रेलवे का सुखरो नदी में बना पुल धराशायी हो गया, जिससे कोटद्वार से रेल का संचालन बंद हो गया।

रेलवे के मुरादाबाद जोन के डीआरएम ने दौरा कर पुल निर्माण कार्य को तीन माह के भीतर पूरा कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते पुल का निर्माण कार्य पूरा होना तो दूर पुल के दोनों पिलरों भी नहीं बन पाए है, जिससे क्षेत्र की जनता में गहरा रोष व्याप्त है। क्षेत्र की जनता की ओर से लगातार पुल का निर्माण कार्य जल्द से जल्द पूरा कराने की मांग की जा रही है, लेकिन बावजूद इसके रेलवे के अधिकारी पुल के निर्माण कार्य में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। इन दिनों सूबे में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेजी में हैं और इसको लेकर सूबे की कांग्रेस सहित अन्य दलों को मुद्दा मिल गया है। सभी दल अपनी सभाओं में यह बात उठा रहे हैं कि जहां भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिजिटल इंडिया, मेक इंडिया का नारा दे रही है, वहीं कोटद्वार शहर को रेलवे सुविधा से वंचित रखा हुआ है।

रेलवे स्टेशन की अनदेखी से रोष 

कोटद्वार। रेलवे पुल टूटने के कारण विगत सात माह से कोटद्वार रेलवे स्टेशन यात्रियों के अभाव में वीरान पड़ा हुआ है, इन दिनों रेलवे स्टेशन में न तो अधिकारी और कर्मचारी ही नजर आते हैं और न ही यात्री। इसका फायदा अय्याश उठा रहे है।

जहां एक ओर दिनभर जुआरी जुआ खेलते हुए नजर आते हैं, वहीं सुबह से लेकर शाम तक शराबी भी जहां तहां बैठकर शराब की बोतलें खोलकर बैठै शराब पीते नजर आते हैं, विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते रेलवे की भूमि पर भी अतिक्रमण हो रहा है, जहां बस, ट्रैक्टर, ट्रालियां रेलवे की भूमि में खड़े नजर आते है, वहीं रख-रखाव के आभाव में रेलवे की पटरियां भी दम तोड़ती नजर आ रही है, वहीं रेलवे ट्रेक पर झाडियां ही झाड़िया नजर आ रही है।

यहां यह भी बताते चलें कि सूबे में चुनिंदा स्थानों में ही रेल का संचालन होता है और जहां रेल का संचालन हो भी रहा है, वहां विभागीय अधिकारियों द्वारा रेलवे स्टेशनों की अनदेखी की जा रही है। इसके अलावा केंद्र में सत्तासीन सरकारों ने भी रेल सुविधाओं के प्रसार के लिए कोई प्रयास नहीं किया, यातायात के संसाधनों का आभाव भी सूबे में पलायन का एक कारण बना हुआ है।

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