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मरकज और दिल्ली का लॉक डाउन

देश में कई शहरों में कुछ पॉकेट्स में लॉकडाउन के बावजूद बाजारों के खुले रहने के पीछे की मंशा ?

देश के करोड़ो लोगों के संकल्प और संयम पर पानी फेरने पर आमादा हैं कुछ लोग !

उत्तराखंड से 34 जबकि देहरादून के 11 लोग भी हुए थे मरकज़ में शामिल 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

दिल्ली यानि देश की राजधानी। यहाँ देश के सबसे महत्वपूर्ण लोग और कार्यालय हैं। लेकिन अब यह अत्यधिक संवेदनशील हो गई है। पहले लोगों ने दिल्ली का JNU का प्रकरण सुना। फिर जामिया मिलिया प्रकरण सुना। कभी सुना पुलिस अंदर क्यों गयी? कभी सुना पुलिस अंदर क्यों नहीं गयी? फिर शाहीन बाग जैसे कई CAA विरोधी धरना स्थल देखे। फिर ठीक डोनाल्ड ट्रम्प के आगमन पर सुनियोजित दंगे फिर जब देश में लॉकडाउन के आह्वान के बावजूद आनंद विहार जैसी अभूतपूर्व भीड़ और अब निज़ामुद्दीन का मरकज़।

दिल्ली में ही 3 मार्च को प्रधानमंत्री मोदीजी ने कोरोना के प्रसार की आशंका के चलते होली कार्यक्रम रद्द कर दिए थे। 12 मार्च को ही दिल्ली सरकार ने आइसोलेशन पर जोर दिया और विदेश से आये लोगों की क्वारेन्टीन के आदेश दिये। 16 मार्च को 50 लोगों की गैदरिंग पर प्रतिबंध लगा दिया। 19 29 तारिख को 20 लोगों के एकत्रित होने पर प्रतिबंध लगा दिया और एपिडेमिक एक्ट तक लगा दिया था।

22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगा और 24 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लागू हो गया। लेकिन दिल्ली के निज़ामुद्दीन के मरकज में तबलीग वालों को इससे कोई वास्ता नहीं रहा। वीज़ा शर्तों का उल्लंघन कर लगभग तीन सौ विदेशी नागरिक टूरिस्ट वीज़ा पर भारत में साम्प्रदायिक गतिविधियों में लिप्त थे और बजाय क्वारेन्टीन होने के मरकज में जमावड़ा लगाए हुए थे। मरकज़ में इस्लाम के प्रसार के लिए एकत्रित 13000 जमातियों में से अधिकांश असुरक्षित तरीके से देश के 19 राज्यों में फैल गए। कोरोना संक्रमित इन लोगों में से 6 लोगों ने तेलंगाना में , एक ने जम्मू कश्मीर, एक ने तुमकुर कर्नाटक और एक ने शायद दिल्ली में दम तोड़ दिया। दिल्ली के कोरोना पीड़ित ने ही कोरोना का मरकज लिंक बताया। इससे पहले 25 मार्च को अंडमान निकोबार सरकार ने भी 25 मार्च को ही दिल्ली सरकार को सूचित किया था कि वहाँ दिल्ली के निज़ामुद्दीन में से आये 9 जमाती कोरोना पीड़ित हैं और उन्होंने एक और संक्रमित कर दिया है। लेकिन दिल्ली तो राजधानी है।

https://youtu.be/BaSMqIBJw9w

निज़ामुद्दीन पुलिस स्टेशन से महज 50 मीटर दूर मरकज में लॉकडाउन के निर्देशों की आत्मघाती तरीके से धज़्ज़ियाँ उड़ाई जा रही थी। सारे समझदार और वयस्क लोग मरकज में रहकर कोरोना बम बनते जा रहे थे। मरकज के प्रबंधन ने आपराधिक तरीके से यह जानकारी प्रशासन से छुपाई। जब कुछ लोगों की स्थिति अत्यधिक बिगड़ने लगी तब जाकर जानकारी बाहर आयी । और सारा देश यह जानकर हैरान रह गया कि मरकज में डेढ़ हज़ार से अधिक जमाती एक साथ हैं। रेस्क्यू करने पर उनमें से 24 जमाती कोरोना पॉजिटिव पाए गए। 441 अन्य में कोरोना के लक्षण दिख रहे हैं। लॉकडाउन के बाद कोरोना संक्रमित मरकज से निकले जमाती कहाँ-कहाँ पहुंचे हैं और किन- किन लोगों से मिले इस आशंका ने सरकारों के हाथ पांव फुला दिए हैं। सारे देश की राज्य सरकारों के माथे पर चिंता की नई लकीरें खींच गयी हैं। कोरोना के मास ट्रांसमिशन का खतरा बहुत बढ़ गया हैं।

लेकिन इस सारे घटनाक्रम में देश के कई स्थानों पर मस्जिदों में सामूहिक नमाज पढ़ने से ढेरों वीडियो और मस्जिदों में विदेशी नागरिकों के मिलने से लोग अत्यधिक हैरान हैं। रांची, पटना, मुम्बई, दिल्ली जैसे कई जगहों से विदेशी नागरिकों का पाया जाना हैरान करता है। यदि धरपकड़ की जाय तो हो सकता है ऐसे कई जगहों से भी अवैध विदेशी मिलें।

आजतक की पत्रकार श्वेता सिंह की रिपोर्टिंग से साफ दिखा की वे लोग रेसक्यू के समय निर्देश देने के बाद भी खिड़कियों से बाहर थूकने की कोशिश कर रहे थे। इधर तबलीग से मुखिया मौलाना साद का भी आपत्तिजनक वीडियो वायरल हो रहा था कि कोरोना के बहाने मुस्लिमो को अलग-थलग करने की कोशिश की जा रही है। देश में कई शहरों में कुछ पॉकेट्स में लॉकडाउन के बावजूद बाजारों के खुले रहने के पीछे कुछ इसी तरह की मानसिकता है। इन बाजारों को बाद में प्रशासन द्वारा अब बन्द कर दिया गया होगा। जहाँ इस समय देश में छोटे बच्चे तक कोरोना के खतरे के प्रति गंभीर हैं वहीं कुछ लोग अच्छे खासे उम्रदराज होने के बावजूद दीन के नाम पर देश के करोड़ो लोगों के संकल्प और संयम पर पानी फेरने पर आमादा हैं।

शिया वफ्फ बोर्ड के मुखिया वसीम रिज़वी ने तो यहां तक कह दिया कि मरकज़ में ये सब कोरोना बम ही तैयार किये जा रहे थे। ऐसा जमावड़ा ये लोग मुस्लिम देशों में क्यों नहीं लगा रहे है?सोचने की बात है कि दिल्ली में क्या किसी को इसकी भनक नही लगी? अगर इस तरह की घटनाएं इतने बड़े पैमाने में देश की राजधानी में हो रही है तो दिल्ली तो हर दृष्टि से असुरक्षित की जा रही है। क्या इसे दिल्ली में कोरोना का मास ट्रांसमिशन फैलाने का प्रयास नहीं माना जा सकता।

क्या इन सभी लोगों पर जानबूझकर देश को कई तरह से आत्मघाती नुकसान पहुंचाने का दोषी ठहरा कर आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं कराया जाना चाहिए । क्या इन कोरोना बमों को कोरोना पीड़ितों के लिए तय की गई बीमा राशि में से , जो देश लोगों की कड़ी मेहनत से जमा की गई है,उसमें से बीमा सहायता मिलनी चाहिए? और दिल्ली में ही लॉकडाउन को शिथिल कर देश को संकट में डालने वाली घटनाएं क्यों हो रही है? ये ऐसे सवाल हैं सारे जनमानस के दिमाग में घुमड़ रहे हैं।

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