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सदन में गूंजा बंदरों के आतंक का मुद्दा : सात हजार से अधिक बन्दरों का किया जा चुका है बंध्याकरण

सदन में गूंजा किसानों का गन्ना भुगतान का मामला

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

प्रश्नकाल  :- 

चमोली और अल्मोड़ा में बनाए जाएंगे बंदरबाड़े

वन विभाग में जल्द ही होंगे 27 वेटरनरी डॉक्टर्स के पद सृजित

       
देहरादून । उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सदन में प्रश्नकाल सुचारू रूप से चला। विपक्ष के साथ ही सत्ता पक्ष के सदस्यों ने भी अपने क्षेत्रों से संबंधित समस्याओं के सवाल उठाए। बंदरों के आतंक से लोगों को निजात दिलाने के बाबत पूछे गए एक सवाल के जवाब में वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने सदन में बताया कि सरकार द्वारा प्रदेश में दो बंदरबाड़े बनाए जाएंगे। इनमें एक बंदरबाड़ा गढ़वाल मंडल में चमोली में और दूसरा कुमांऊ मंडल में अल्मोड़ा में बनाया जाएगा।  
प्रश्नकाल में देवप्रयाग के भाजपा विधायक विनोद कंडारी ने पर्वतीय क्षेत्रों में बंदरों की समस्या का मामला उठाया। उनका कहना था कि पर्वतीय क्षेत्रों में बंदरों द्वारा फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है जिस कारणों किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस पर वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने बताया कि बंदरों की समस्या के निराकरण के लिए हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर  पूर्व से ही प्रदेश में तीन स्थानों चिड़ियापुर, रानीबाग व अल्मोड़ा में बंदरबाड़े बनाए गए हैं, जिनमें बंदरों के बंध्याकरण की कार्यवाही की जा रही है, साथ ही विभिन्न प्रभागों के स्तर से बंदरों को पकड़कर घने वनों में छोड़ा जा रहा है। 7 हजार से अधिक बन्दरों का बंध्याकरण किया जा चुका है। सरकार ने पहली बार बन्दरों से हुए नुकसान को आपदा में रखा है। आपदा मद से धनराशि वन विभाग द्वारा दी जाएगी। वन मंत्री ने बताया कि चमोली और अल्मोड़ा में बड़े बंदर बाड़े बनाए जा रहे हैं। हिमाचल की तर्ज पर बन्दर मारने की केंद्र से परमिशन मांगी गई है।
वन विभाग में जल्द ही 27 वेटरनरी डॉक्टर्स के पद सृजित किए जा रहे हैं।

देहरादून : गुरुवार सुबह सदन की कार्यवाही शुरु होते ही कांग्रेस के विधायक काजी निजामुद्दीन ने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान का मामला उठाया।

उन्होंने कहा कि पेराई सत्र शुरू हो चुका है सरकार ने गन्ने का मूल्य तय नहीं किया। उनके साथ ही समूचे विपक्ष ने इस मुद्दे पर नियम 310 के तहत चर्चा कराए जाने की मांग की। इस पर विधानसभा स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने व्यवस्था दी कि इस मुददे को नियम 58 के तहत सुन लिया जाएगा, इसके बाद प्रश्नकाल सुचारु रूप से चला।

प्रश्नकाल के बाद इस मुद्दे पर नियम 58 के तहत चर्चा हुई। विधायक काॅजी निजामुद्दीन का कहना था कि सरकार गन्ना किसानों की अनदेखी कर रही है। सरकार को गन्ना किसानों के हितों की कोई चिंता नहीं है, जिस कारण गन्ना किसानों की हालत बदतर होती जा रही है। उनका कहना था कि केंद्र और राज्य सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात करते-करते नहीं थक रहे हैं लेकिन किसानों की आय दोगुनी कैसे होगी इसका सरकार के पास कोई ठोस जवाब नहीं है। गन्ना किसानों के बकाया का भुगतान नहीं किया जा रहा है। गन्ने का भाव रिकवरी के आधार पर घोषित होता है, लेकिन सरकार किसानों खर्चे की तरह ध्यान नहीं दे रही है।

उनका कहना था कि गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर करीब 250 करोड़ रुपये का बकाया है। इस बकाए का भुगतान शीघ्र किया जाए। इसके अलावा उनका यह भी कहना था कि चीनी मिलों द्वारा गन्ने की केवल अगेती फसल को ही खरीदा जा रहा है, पछेती वैराल्टी के गन्ने को चीनी मिलों द्वारा नहीं खरीदा जा रहा है।

उन्होंने सरकार से स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट शीघ्र लागू किए जाने की मांग की। नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा ह्रदयेश ने कहा कि गन्ने की फसल जो कि कैस क्राप के रूप में जानी जाती थी अब निराशा में बदल चुकी है। गन्ना किसानों का समय पर भुगतान न होने से उन्हें तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किसान गन्ने की छोड़ने को विवश हैं। कर्ज में डूबे किसान आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हैं। उनका कहना था कि सरकार शीघ्र ही गन्ने का सम्मानजनक न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करें।

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