ग्राहकों को ऑटोवालों की मनमर्जी का किराया देने को होना पड़ेगा मजबूर
आरटीए की बैठक में ऑटो प्रीपेड मीटर को लेकर दिया गया फैसला हुआ खारिज
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : ऑटो में मीटर लगाने की अनिवार्यता वाले आरटीओ के आदेश को राज्य परिवहन न्यायाधिकरण ने खारिज कर दिया है। इस फैसले से दून, ऋषिकेश, हरिद्वार के ऑटो चालकों को राहत मिलेगी लेकिन ग्राहकों को ऑटोवालों की मनमर्जी से किराया देने को मजबूर होना पड़ेगा।
गौरतलब हो कि आरटीए की बैठक में आदेश कर एक दिसंबर से ऑटो संचालन के लिए प्रीपेड मीटर अनिवार्य कर दिया गया था। इस आदेश का असर दून के साथ ही संभाग में आने वाले ऋषिकेश, विकासनगर और हरिद्वार में पड़ा था। ऑटो में प्रीपेड मीटर नहीं लगा होने पर परमिट और फिटनेस रिन्यू नहीं की जा रहे थे।
इस आदेश के खिलाफ ऑटो यूनियन से जुड़े राकेश कुमार अग्रवाल ने राज्य परिवहन न्यायाधिकरण में अपील की। उनकी ओर से न्यायालय में अधिवक्ता शिवा वर्मा ने पैरवी की। उन्होंने बताया कि न्यायाधिकरण की जज कहकशां खान ने आरटीए की बैठक में ऑटो प्रीपेड मीटर को लेकर दिए गए फैसले को खारिज कर दिया।
आदेश में न्यायाधिकरण ने साफ कहा है कि प्री पेड ऑटो मीटर लगाने के लिए तय प्रक्रिया अपनाई जाए। इसमें राज्य सरकार से अनुमति जरूरी है और मोटर वाहन अधिनियम के तहत मानक भी पूरे हों। इस प्रक्रिया को अपनाते हुए ही प्रीपेड मीटर लगाए जाएं। कोर्ट ने प्रीपेड मीटर लगाने के मौजूदा आदेश को न्यायसंगत नहीं माना है।
न्यायाधिकरण के मौजूदा आदेश से दून में ही 2394 ऑटो चालकों को राहत मिलेगी। जबकि, संभाग में करीब पांच हजार ऑटो चालकों को प्रीपेड मीटर लगाने की अनिवार्यता से राहत मिलेगी। न्यायाधिकरण ने परमिट और फिटनेस की वैधता भी मानकों के तहत जारी करने को कहा है। अभी दो से तीन महीने के अवधि के परमिट भी जारी किए जा रहे थे। लेकिन यह साफ़ है कि न्यायाधिकरण के इस आदेश के बाद ग्राहकों को ऑटो वालों की लूट का सामना करना पड़ेगा।