Uttarakhand

अधर में लटकी लघु जल विद्युत परियोजनाएं, विकास को कर रही अवरूद्ध

राज्य के विकास को कर रही अवरूद्ध

देहरादून । उत्तराखण्ड राज्य आज भी उर्जा प्रदेश को तरस रहा है। सूबे में अनेक लघु जल विद्युत परियोजनाओं पर अब भी ग्रहण लगा हुआ है। ऐसा होने के कारण प्रदेश का मुख्य धारा में जाने वाला विकास प्रभावित हो रहा है। सतरह वर्षों में आधा दर्जन से भी अधिक भिन्न-भिन्न सरकारों ने इन परियोजनाओं के नाम पर करोड़ों-अरबों की रकम खर्च की, लेकिन मूल उपलब्धियां अथवा कामयाबी चंद प्रतिशत ही राज्य को मिल पाई। यही कारण है कि आज भी राज्य के अन्दर विद्युत कटौती का सिलसिला चलाएमान है।

राज्य में अब तक सत्तारूढ़ हुई सभी सरकारें प्रदेश को उर्जा प्रदेश बनाने के वायदे करती रही हैं लेकिन उनके वायदे कोरे ही साबित होते चले आ रहे है। चमोली व अन्य कुछ और पर्वतीय जिलों में लघु जल विद्युत परियोजनाओं से राज्य को जहां बिजली प्राप्त हो रही हैं तो वहीं कई परियोजनाएं ठप भी पड़ी हुई हैं। जानकारी के अनुसार, चमोली में इस समय 3 योजनाएं अक्रियाशील होने के कारण विद्युत उत्पादन नहीं दे रही है। हालांकि माजूदा सरकार राज्य को पर्याप्त बिजली देने की दिशा में कार्य कर रही है। हो रहे प्रयासों के चलते चमोली में कुल 18 लघु जल विद्युत परियोजनाएं निर्मित अथवा निर्माणाधीन हैं जिनमें से 12 योजनाओं के लिए 1284.69 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की गयी है, शेष परियोजनाएं उत्तर प्रदेश के समय से ही निर्मित है। इसके अलावा 208 घराटों के सुधारीकरण के लिए 212.13 लाख की स्वीकृति भी हाल ही में मिली है।

इस समय कुल 12 परियोजनाओं से विद्युत उत्पादन हो रहा हैं और तीन परियोजनाओं में रिनोवेशन की कार्यवाही चल रही है। हैरानी की बात यह है कि चमोली जनपद की निगोलगाड लघु जल विद्युत परियोजना वर्ष 2009-10 में स्वीकृत हुई थी, जिसका निर्माण जन सहभागिता के आधार पर कराया जा रहा था। योजना की कुल लागत 155.53 लाख के सापेक्ष वर्तमान तक 59.70 लाख का व्यय हुआ है। इस परियोजना के आवंटन में शिकायतों के कारण जिलाधिकारी चमोली द्वारा जांच कराई गयी, जांच रिपोर्ट में हालांकि कोई अनियमितता सामने नही आयी। इसी जांच के दौरान नवम्बर 2011 से फरवरी 2013 तक परियोजना का कार्य बंद रहा था। 2013 की आपदा के कारण परियोजना का डी-टैक करीब 130 मीटर पावर चैनल क्षतिग्रस्त हो गयी थी। हैरानी की बात यह भी है कि जल विद्युत परियोजनाओं को लेकर राज्य के अन्दर अधिक सियासत होने पर तथा पर्यावरण को लेकर भी विद्युत उत्पादन काफी ठप हुआ है, जो कि राज्य के लिए आमजन के लिए दुखद रहा है।

devbhoomimedia

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