TEMPLES

वैदिक मंत्रोच्चार के साथ खुले भगवान तुंगनाथ के कपाट

रुद्रप्रयाग : उत्तराखंड हिमालय के पंचकेदारों में शामिल तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट बुधवार को वैदिक मंत्रोच्चारण एवं विधिविधान के साथ आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। वहीं, भगवान की डोली रात्रि विश्राम के लिए भूतनाथ मंदिर से चोपता होते हुए तुंगनाथ पहुंची । अब आगामी ग्रीष्मकाल तक छह माह यहीं पर भगवान की पूजा-अर्चना संपन्न होगी।

गौरतलब हो कि बीते सोमवार को शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ  से भगवान तुंगनाथ की उत्सव डोली अपने प्रथम पड़ाव भूतनाथ मंदिर पहुंची थी, जिसके बाद बीते दिन मंगलवार को पुजारी ने सुबह आठ  बजे भगवान तुंगनाथ की विशेष पूजा-अर्चना करने के बाद उत्सव डोली अपने अगले पड़ाव चोपता के लिए रवाना हुई। जैसे ही डोली अपने पड़ाव के लिए रवाना हुई, वैसे ही भक्तों के जयकारों से क्षेत्र का पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।

भगवान की उत्सव डोली ने चलियाखोड, भनियाकुंड होते हुए रात्रि विश्राम के लिए चोपता पहुंची थी । इस दौरान विभिन्न स्थानों पर डोली का फूल मालाओं एवं अक्षतों से जोरदार स्वागत किया। पाव जगपुडा में क्षेत्रीय ग्रामीणों ने तुंगनाथ भगवान को सामूहिक अर्ग लगाकर मनौतियां मांगी। बुधवार सुबह भगवान तुंगनाथ की उत्सव डोली ने पूजा-अर्चना के बाद चोपता से तुंगनाथ प्रस्थान किया। जहाँ ठीक 10 बजकर 30 मिनट पर मिथुन लग्न में भगवान तुंगनाथ के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण एवं पौराणिक विधिविधान के साथ आमभक्तों के लिए खोल दिए गए । अब ग्रीष्मकाल के छह माह तक यहीं पर भोले बाबा की पूजा-अर्चना संपन्न होगी।

उल्लेखनीय है कि भगवान तुंगनाथ को उस जगह के रूप में पहचाना जाता है जहां बाहू (हाथ) देखा गया था, कूल्हे केदारनाथ में देखा गया, रुद्रनाथ में सिर दिखाई दिया, उनकी नाभि और पेट मध्यमाहेश्वर में सामने आए और कल्पेश्वर में उनके जटायें । पौराणिक कथा में यह भी कहा गया है कि रामायण महाकाव्य के मुख्य प्रतीक भगवान राम, चंद्रशेला शिखर पर ध्यान लगाते हैं, जो तुंगनाथ के करीब है। यह भी कहा जाता है कि रावण ने यहां भगवान् शिव की तपस्या की थी।

इस अवसर पर मठापति राम प्रसाद मैठाणी, प्रबंधक प्रकाश पुरोहित, शिव ¨सह रावत, अनूप रावत, जिपंस मीना पुंडीर, बबलू जंगली, लक्ष्मण ¨सह, प्रकाश मैठाणी, विजय भारत मंदिर समिति के कर्मचारी एवं हक हकूकधारी उपस्थित थे।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »