PITHORAGARH

गुलदार ने घर के पास खेल रहे छह साल के बच्चे को बनाया निवाला

झाड़ियों में मिला बच्चे का क्षत विक्षत शव, परिवार में मचा कोहराम 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

पिथौरागढ़ : जिले की  तहसील बिरगोली के सौंलीगैर गांव में रविवार सायं घर के पास अन्य बच्चों के साथ खेल रहे छह साल  के बच्चे को गुलदार द्वारा निवाला बनाये जाने की घटना सामने आई है जिससे पूरे गांव में दहशत का माहौल है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार शाम करीब साढ़े चार बजे सौंलीगैर (बिरगोली) निवासी गजेंद्र सिंह खाती का बेटा मयंक घर के पास ही स्थित पानी के स्टेंड पोस्ट के पास अन्य बच्चों अभिषेक और भावना के साथ खेल रहा था। कि अचानक गुलदार ने मयंक को अपने मुंह में दबोचकर जंगल की ओर भाग निकला। गुलदार के अचानक हमले के बाद साथ में खेल रहे बच्चे दहशत के मारे चिल्लाने लगे। बच्चों के हल्ला मचाने पर परिजन और गांव के लोग मौके पर पहुंचे और सभी ने तेंदुए के पीछे दौड़ लगाई और बच्चे की खोजबीन की। इसी दौरान शाम को ग्रामीणों को घटनास्थल से 100 मीटर दूर झाड़ियों में बच्चे का क्षत विक्षत शव पड़ा मिला। 

गांव के लोगों ने वन विभाग को घटना की जानकारी दी। वन दरोगा मोहन जोशी के नेतृत्व में विभाग की टीम  मौके पर पहुंच गई है। स्थानीय लोगों में वन विभाग के खिलाफ जबरदस्त रोष है। गांव के लोगों का कहना है कि क्षेत्र में लंबे समय से तेंदुए का आतंक है। तेंदुआ कई जानवरों को निवाला बना चुका है। रविवार को ही पड़ोस के गांव पोखरी में राम लाल का बैल तेंदुए ने मार दिया था।

वहीं गांव के लोगों ने एसडीएम और वन रेंजर के मौके में पहुंचने तक शव न उठाने देने का एलान किया है। इधर मासूम मयंक को निवाला बनाने से परिजनों में कोहराम मचा हुआ है। मयंक की मां रजनी देवी, दादा दलीप सिंह, दादी भागुली देवी, बहन दीक्षा का रो-रोकर बुरा हाल है। मयंक के पिता गजेंद्र सिंह खाती देहरादून में नौकरी करते हैं। मयंक परिवार का एकलौता बेटा था। उससे बड़ी बहन दीक्षा (10) है। उधर वन रेंजर मनोज सनवाल का कहना है कि तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया जाएगा।

गौरतलब हो कि बिरगोली से सटे पोखरी गांव में जून 2018 में तेंदुए ने एक बच्चे को निवाला बना दिया था। चार महीने पहले बेड़ीनाग में तेंदुए ने एक बच्चे को मार डाला था। बीते तीन सितंबर को जिला मुख्यालय के पपदेव गांव की एक महिला तेंदुए के हमले में मारी गई। लगातार हो रहे तेंदुए के हमलों से स्थानीय लोग भारी दहशत में जीने को मज़बूर हैं।

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