TEHRI-GARHWAL

लक्ष्मणझूला पुल लोहे की चादरों से किया सील,आवाजाही पूरी तरह से बंद

पुल को लोहे की चादरों से सील कर दिया गया 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

पर्यटन और तीर्थाटन के लिहाज से संरक्षित होगा झूला 

सरकार ने लक्ष्मण झूला की रेट्रोफिटिंग कर उसे संरक्षित कर धरोहर के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। झूले के एक ओर के झुके पिलर को आधुनिक तकनीक से दोबारा आवाजाही का वजन सहने लायक बनाया जाएगा। इसके लिए ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी ने अपने विशेषज्ञों की मदद देने के लिए सोमवार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण विभाग को यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों के साथ मिलकर संरक्षण की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। यह भी संभावना तलाशी जा रही है कि पुल को संरक्षित कर केवल पर्यटन और तीर्थाटन के लिहाज से खोला जाए।

ऋषिकेश : शासन के आदेशों के बाद आखिरकार प्रशासन ने मंगलवार देर शाम लक्ष्मणझूला पुल को आवाजाही के लिए पूर्ण रूप से बंद कर दिया है। सोमवार देर शाम करीब साढ़े सात बजे स्थानीय प्रशासन ने भारी पुलिस बल की मौजूदगी में पुल को लोहे की चादरों से सील कर दिया।

गौरतलब हो कि पिछले कई दिनों से लक्ष्मण झूला पुल को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच आखिरकार स्थानीय प्रशासन ने निर्णायक कदम उठाया। नरेंद्र नगर एसडीएम युक्ता मिश्रा, सीओ नरेंद्र नगर प्रमोद शाह, मुनिकीरेती थाना प्रभारी आरके सकलानी, सहायक अभियंता पीडब्ल्यूडी एसएल गोयल, चौकी इंचार्ज तपोवन नीरज रावत सहित भारी पुलिस बल मौके पर मौजूद रहा। 

उल्लेखनीय है कि नरेंद्रनगर उपजिलाधिकारी और लोकनिर्माण विभाग ने झूला पुल को सील करने के लिए सोमवार दोपहर से ही तैयारियां शुरू हो गई थी। लोहे की चादरें तैयार होने के बावजूद बारिश के कारण आवागमन पूरी तरह बंद करने में विलंब हुआ। बारिश बंद होने के बाद पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता एसएल गोयल ने तैयारियों की सूचना एसडीएम युक्ता मिश्रा को दी। इसके बाद वे खुद मुनिकीरेती थाने पहुंचे और पुलिस बल की मदद मांगी। इसके साथ ही पूरे लाव लश्कर के साथ प्रशासनिक अमला करीब साढ़े सात बजे लक्ष्मण झूला पुल पहुंच गया। पुल सील करने के दौरान आशंका के मुताबिक कोई विरोध प्रदर्शन देखने को नहीं मिला। करीब दो घंटे चली प्रक्रिया के बाद प्रशासनिक अमले ने चैन की सांस ली। 

लक्ष्मण झूला को संरक्षित करने के लिए यथासंभव प्रयास किये जायेंगेः सीएम 

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि लक्ष्मण झूला उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक धरोहर है। पिछले 90 सालों से यह देश व दुनिया के पर्यटकों व श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र रहा है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण झूला को संरक्षित करने के लिए यथासंभव प्रयास किये जायेंगे। इस पुल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर आवाजाही दुबारा शुरू होने की स्थिति के सम्बन्ध में विशेषज्ञों से और सुझाव लिये जायेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमारी हेरिटेज प्रोपर्टी है। इसे ठीक करने के सभी विषयों पर कार्य किया जायेगा। विशेषज्ञों की राय के बाद इसकी रेट्रोफिटिंग पर ध्यान दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रारम्भ में इसके एक स्क्वायर मीटर में 200 किलो भार क्षमता आंकी गई थी। वर्तमान में इसका पिलर झुक रहा है, आज आधुनिक तकनीक के दौर में इसे कैसे ठीक किया जा सकता है यह देखा जायेगा। मुख्यमंत्री का कहना है कि इस पुल से जन भावानायें जुड़ी हैं, इसका भी हमें ध्यान रखना होगा।

उल्लेखनीय है कि लक्ष्मणझूला पुल पूरी तरह बंद करने के लिए टिहरी, पौड़ी और स्थानीय प्रशासन ने योजना के मुताबिक काम किया। जबकि पूर्व में प्रदर्शनकारी विधायक ऋतु खंडूड़ी के मान मनौव्वल को भी नजरंदाज कर चुके थे। लिहाजा पुलिस प्रशासन ने बेहद चौकन्ना होकर एक -एक कदम आगे बढ़ाया और झूला पल को बंद कर दिया ।

दोनों जिला प्रशासनों ने एहतियात बरतते हुए एक योजना के तहत शाम को करीब चार बजे एसएसपी टिहरी ने कांवड़ यात्रा की बैठक बुलाई जिसमें स्थानीय व्यापारियों और जनप्रतिनिधियों को सुझाव के बहाने बुलाया गया था। इस दौरान प्रदर्शनकारियों को बैठक के बहाने व्यस्त रखा गया।

तो उधर, लोक निर्माण विभाग शासनादेशों के मुताबिक झूला पुल पर आवाजाही के लिए पूरी तरह रोक लगाने की जुगत में लगे रहे। हालांकि व्यापारी सोमवार को भी पुल बंद करने के विरोध में बाजार बंद रखा। इसके बावजूद प्रशासन की मंशा के आगे प्रदर्शनकारियों की एक न चली और झूला पल बंद हो गया ।

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