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कुमाऊं विश्वविद्यालय के शोध छात्र की आत्मदाह की धमकी से मचा हड़कंप

पीएमओ तक भी पहुंचा मामला

नैनीताल : भौतिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो.एचसी चंदोला सहित कई अन्य प्रोफेसरों पर उत्पीड़न का आरोप लगाकर कुमाऊं विश्वविद्यालय के एक शोध छात्र ने बुधवार को विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में आत्मदाह की धमकी दी तो हड़कंप मच गया। उसने राज्यपाल, कुलपति, पीएमओ और यूजीसी को ई-मेल से धमकी दी।
आनन-फानन में विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन को खाली कर भारी संख्या में पुलिस फोर्स को मौके पर तैनात कर दिया। घंटों की मशक्कत के बाद पुलिस ने उसके मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाकर उसे ज्योलीकोट के पास से हिरासत में ले लिया।

मूल रूप से ओखलकांडा निवासी और भौतिक विज्ञान विभाग के शोध छात्र गिरीश चंद्र ने राज्यपाल, कुलपति, पीएमओ और यूजीसी को भेजे ई-मेल भेजकर आरोप लगाया कि भौतिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो.एचसी चंदोला आदि पर बेवजह उत्पीड़न करने व कैरियर खत्म करने का आरोप लगाते हुए प्रशासनिक भवन में आत्मदाह करने की चेतावनी दी थी।

आनन फानन में मामले की जानकारी पुलिस को दी गई, दूसरी ओर विवि प्रशासन ने ई-मेल मिलने के बाद विवि के प्रशासनिक भवन के मुख्य द्वार को छोड़कर सभी गेटों में भारी संख्या में पुलिस फोर्स और विवि के सुरक्षा गार्ड तैनात करा दिए। दोपहर तक विवि प्रशासन और पुलिस शोध छात्र के विवि आने का इंतजार करती रही लेकिन शोध छात्र नहीं पहुंचा।

इस बीच पुलिस की एक टीम शोध छात्र गिरीश चंद्र के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाकर उसकी लोकेशन तलाशने में जुट गई। सर्विलांस पर मिली लोकेशन के मुताबिक छात्र हल्द्वानी से नैनीताल की ओर आ रहा था। दोपहर डेढ़ बजे के करीब तल्लीताल के थानाध्यक्ष प्रमोद पाठक ज्योलीकोट में एक बस में सवार गिरीश चंद्र को बस से उतारकर अपनी हिरासत में ले लिया।

इस दौरान पुलिस ने गिरीश चंद्र का बैग भी कब्जे में ले लिया। ज्योलीकोट से पुलिस गिरीश चंद्र को अपने वाहन में बैठाकर विवि के प्रशासनिक भवन पहुंची, जहां उसकी मुलाकात कुलपति प्रो.डीके नौड़ियाल से कराई गई।

गिरीश चंद्र ने कहा कि वर्ष 2010 में भौतिक विज्ञान से एमएससी करने के बाद उसने भौतिक विभाग में प्रो. एचसी चंदोला के अधीन रिसर्च करना शुरू किया। शुरूआत में उसने अपने विषय के आधार पर स्नोपसीज तैयार की। गिरीश चंद्र ने बताया कि प्रो. चंदोला ने इसे अस्वीकार करते हुए एस्ट्रोफिजिक्स में एरीज के एक वैज्ञानिक के अधीन रिसर्च करने को कहा गया।

इस दौरान उसने थीसिस तैयार की लेकिन तीन बार हुई आरडीसी में उसकी थीसेज को अस्वीकार कर दिया गया। मार्च 2015 में उससे इस्तीफा ले लिया गया। किंतु आज तक उसे टीसी, चरित्र प्रमाणपत्र, माइग्रेसन सार्टिफिकेट और बकाया धनराशि का भुगतान नहीं किया गया। युवक का कहना था कि मौजूदा स्थिति में वह किसी अन्य संस्थान से भी रिसर्च नहीं कर पा रहा है और भारी मानसिक तनाव की स्थिति में है।

शोध छात्र गिरीश चंद्र ने कुलपति को बताया कि हाइकोर्ट ने छह मई 2016 को उसकी याचिका पर फैसला देते हुए आठ हफ्ते में उसे सीसी, टीसी, एनओसी व अदेय प्रमाणपत्र देने को कहा। लेकिन एक साल बाद भी इस आदेश का पालन नहीं हुआ है। उसने आरटीआई के तहत भी जो सूचनाएं मांगी वह उसे नहीं दी गई। इस पूरे मामले में विवि को सौ से अधिक पत्र भेजे लेकिन किसी का भी उसे जवाब नहीं मिला। जिसके चलते वह परेशान है और अब आत्मदाह के अलावा उसके पास कोई विकल्प शेष नहीं है।

शोध छात्र की बात सुनने के बाद कुलपति प्रो. नौड़ियाल ने उसे आश्वस्त किया कि उसकी समस्या का हर संभव समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उसकी रिसर्च पर विचार करने के लिए आरडीसी की बैठक बुलाई जाएगी। कुलपति ने आत्महत्या जैसे फैसले को गलत बताते हुए शोध छात्र के कुछ पत्रों की भाषा को आपत्तिजनक बताया।

devbhoomimedia

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