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केदारनाथ जगद्गुरु भीमाशंकर लिंग नेपाल में खींच गए सांस्कृतिक रिश्तों की एक लंबी लकीर

नेपाल में जगद्गुरु भीमाशंकर व राजा ज्ञानेन्द्र बीर बिक्रम शाह की भेंट से राजनीतिक गलियारे सरगर्म

  • राजमहल में दोनों शख्सियत के मिले सुर

     

  • भारत व नेपाल के ऐतिहासिक सम्बन्धों को किया याद

  • जगद्गुरु ने आदिवासी इलाके में बांटी 5 हजार रुद्राक्ष की मालाएं

     

  • जगद्गुरु का एयरपोर्ट पर हिंदू रीतिरिवाज से हुआ भव्य स्वागत

     

  • पशुपतिनाथ समेत कई इलाकों में हुए धार्मिक कार्यक्रम

  • जगद्गुरु ने देवघाट के पवित्र संगम में स्नान किया

    –जगद्गुरु का चार दिनी नेपाल दौरा सम्पन्न

उदित घिल्डियाल 

काठमांडू। क्या नेपाल फिर से हिन्दू राष्ट्र की दिशा में तो आगे नहीं बढ़ रहा। बीते चार दिनों से नेपाल की सर्द फिजां में कुछ कुछ ऐसी ही बयार बहती दिखी। उत्तराखंड में हिंदुओं के प्रसिद्ध तीर्थ केदारनाथ धाम के रावल जगद्गुरु भीमा शंकर लिंग शिवाचार्य के पहली बार नेपाल के राजमहल व आदिवासी इलाके में दस्तक देने से सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक गलियारे सरगर्म हो उठे। नेपाल के राजा ज्ञानेन्द्र बीर बिक्रम शाह और रावल की विभिन्न मुद्दों पर हुई गम्भीर चर्चा राजमहल के परकोटों से बाहर तो नहीं निकल पायी। लेकिन सूत्रों का कहना है कि राजमहल के आग्रह के बाद ही रावल राजा से मिले। दोनों के बीच हुई आत्मीय मुलाकात में भारत-नेपाल की धार्मिक संस्कृति और सम्बन्धों को और अधिक मजबूत करने पर जोर दिया गया।
इस दौरान केदारनाथ के रावल ने भारत और नेपाल के ऐतिहासिक, सामाजिक व सांस्कृतिक रिश्तों का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच अटूट रिश्ता है। दोनों देश एक ही संस्कृति से बंधे हैं। रावल ने दोनों देशों के बीच अटूट धार्मिक रिश्तों की भी बात कही। जगद्गुरु भीमा शंकर लिंग ने साफ कहा कि नेपाल एक हिंदू राष्ट्र है जिसे कोई नकार नहीं सकता।
रावल ने कहा कि केदारनाथ में स्थित भगवान शिव का सिरो भाग नेपाल में है। जहां करोड़ों हिन्दू भगवान शिव के दरबार में मत्था टेकते हैं। दोनों देशों के संस्कार व रीति रिवाज एक ही हैं

नेपाल और भारत के विश्लेषक राजा और केदार के रावल की मुलाकात के अलग-अलग निहितार्थ निकाल रहे हैं। दरअसल, पहली बार केदारनाथ के किसी रावल की नेपाल के राजा से मुलाकात हुई है।

जगद्गुरु भीमाशंकर लिंग के नेपाल प्रवास में हुए विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम में स्थानीय जनता ने जोशोखरोश के साथ हिस्सा लिया। ऐसा लग रहा था कि नेपाल हिंदुओं का तीर्थ स्थल बन गया हो। जगद्गुरु के आशीर्वाद के लिए श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया। यह भी पहली बार हुआ कि केदारनाथ के जगद्गुरु भीमा शंकर लिंग ने नेपाल के आदिवासी इलाके में दो दिनी प्रवास किया। नेपाल के मध्यबिंदू के इस आदिवासी क्षेत्र में जगद्गुरु ने 5000 लोगों को स्वंय अपने हाथ से रुद्राक्ष की माला पहनाई। जगद्गुरु का यह कार्यक्रम समूचे नेपाल में चर्चा का विषय बना हुआ है।

भारी बारिश और ठंड के बीच नेपाल के कई हिस्सों में जय बाबा केदार की गूंज रही। नेपाली वाद्य यंत्रों और पारंपरिक अतिथि सत्कार के जरिये स्थानीय लोगों ने केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग जी के सम्मान में दिल खोल कर रख दिया। काठमांडू के एयरपोर्ट पर पहुंचते ही रावल भीमाशंकर लिंग जी का नेपाली संस्कृति के साथ भव्य स्वागत किया गया। इसके बाद जगद्गुरु भीमाशंकर राजमहल से लेकर आदिवासी इलाके तक लोगों को हिन्दू संस्कृति के अलावा नेपाल-भारत के पुराने सम्बन्धों की याद दिलाते रहे।
जगद्गुरु भक्तपुर स्थित” डोलेश्वर महादेव ” में पूजा अर्चना करने के पश्चात जंगम मठ भी पधारे। जहां एक ओर काठमांडू प्रवास में जगद्गुरु ने पशुपतिनाथ में पूजा अर्चना की वहीं मकर संक्रांति के पावन पर्व पर चितवन जिला स्थित विश्वप्रसिद्ध ” देव घाट ” भी गए। यहां काली गंडकी ( सालिग्राम के लिये प्रसिद्ध) में लाखों श्रद्धालुओं संग नेपाल के सबसे पवित्र संगम में स्नान कर भक्तों को आशीर्वाद दिया ।
जगद्गुरु भीमाशंकर नेपाल के मध्य स्थित नवलप्रासी जिले के कार्यक्रम में भक्तों को प्रवचन दिए।

जगद्गुरु की नेपाल यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक रही। नेपाल के राजा से अहम भेंट के अलावा आदिवासी इलाकों में लोगों से सीधा संवाद कर नेपाल-भारत के धार्मिक व सांस्कृतिक एकरूपता का उल्लेख करना भी नयी लकीर खींच गया।

दोनों देशों के विद्वान जगद्गुरु भीमाशंकर लिंग की नेपाल यात्रा के अर्थ को तलाशने में जुटे हैं। जिस तरह से जगद्गुरु नेपाल के राजा के निमन्त्रण पर चार दिन वहां रहे। इस दौरान विभिन्न स्थानों में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये गए। स्थानीय लोगों ने जगद्गुरु को हाथों हाथ लिया। नेपाल में हिन्दू धर्म और संस्कृति को खूब यशोगान हुआ। इससे एक सवाल यहभी उठ रहा है कि मुख्यधारा से अलग-थलग पड़े राजा नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र के सिक्के में तो नहीं ढालना चाहते।

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