- शासन में मची खलबली, साझेदार ने खोली मामले की पोल
- मृत दम्पति ने हड़पी मृतकों को मिलने वाली मुआवजा राशि
- मृत दंपति के जिंदा होने के सबूत सरकार पहुंचे राज्य सरकार के पास
- मृत व्यक्ति ने किये फैक्ट्री के कई कागजों में निधन के बाद भी हस्ताक्षर
- राज्य सरकार के वित्त सचिव अमित नेगी ने दिए जांच के निर्देश
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
DEHRADUN : केदारनाथ आपदा में मारे गए एक दंपति के जिंदा होने के सबूत और उत्तराखंड सरकार से मुआवजा लेने की एक शिकायत राज्य शासन को मिली है। मामला तब खुला जब दो साझीदारों अरविंद जिंदल और मोहन जिंदल के बीच संपत्ति को लेकर कुछ विवाद हुआ। अब बताया जा रहा है कि जिस व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया है, उसकी ओर से फैक्ट्री के कई कागजों में निधन के बाद भी साइन किए गए हैं। इसके साक्ष्य भी शिकायत करने वाले ने उपलब्ध कराए हैं। मामले में राज्य सरकार के वित्त सचिव अमित नेगी ने जांच के निर्देश दे दिए गए हैं।
गौरतलब हो कि राज्य सरकार ने वर्ष 2013 में आयी केदारनाथ आपदा के दौरान इस दंपति को आपदा में मृत मानते हुए मुआवजा राशि मोहन जिंदल के पुत्र मनीष जिंदल को दे चुकी है क्योंकि मनीष जिंदल ने अपने माता-पिता की मृत्यु केदारनाथ आपदा दौरान होना होना बताया और इसकी एफआईआर भी की थी। शिकायत के बाद अब उनके जिंदा होने के सबूत मिलने से अधिकारियों में खलबली मची हुई है। राज्य शासन ने मामले की जांच एसपी रुद्रप्रयाग को सौंपी है। मामले का खुलासा शासन को मिले एक शिकायती पत्र से तब हुआ जबअरविंद जिंदल पुत्र मुरलीधर अग्रवाल निवासी 53,डॉ.लालमोहन भट्टाचार्जी रोड, कोलकाता ने यह शिकायत उत्तराखंड शासन में की कि उसके साझेदार ने गलत तरीके से केदारनाथ आपदा में अपने को मृत बताकर उसके पुत्र ने मुआवजा राशि हड़प ली।
शासन को भेजे गए शिकायती पत्र में कहा गया है कि उत्तराखंड सरकार ने मोहन जिंदल का मृत्यु प्रमाणपत्र संख्या 85/2013 और मीना जिंदल का मृत्यु प्रमाण पत्र संख्या 86/2013 जारी किया है, जबकि मोहन जिंदल ने अक्तूबर, 2014 में अपनी कंपनी में बतौर निदेशक हस्ताक्षर किए हैं। पत्र में आरोप लगाया गया है कि मोहन के पुत्र मनीष जिंदल ने अपने माता-पिता की मृत्यु की एफआईआर लिखवाई और इसी आधार पर मुआवजा ले लिया।शिकायतकर्ता ने इसके साक्ष्य भी सरकार को उपलब्ध कराए गए हैं। शिकायती पत्र में कहा गया है कि मृत्यु के बाद संबंधित परिवार ने क्रियाकर्म समेत धार्मिक अनुष्ठान भी नहीं कराया। मामले के प्रकाश में आने के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाले अभिहित अधिकारी नारायण सिंह डांगी ने एसपी रुद्रप्रयाग को मामले में जांच करने को लेकर पत्र भेजा है।
इतना ही नहीं राज्य सरकार की तरफ से मामले की गंभीरता को देखते हुए सचिव आपदा अमित नेगी ने इस मामले में मुख्य सचिव पश्चिम बंगाल को भी पत्र भेज दिया है। उन्होंने तत्काल इस मामले में जांच कराने की मांग पश्चिम बंगाल शासन से की है।