संस्कृति व सांस्कृतिक रंगों की छटा का अनूठा संगम है कौथिग
वेद विलास उनियाल / मयंक आर्य
नई मुंबई : नेरुल के रामलीला मैदान में और बोरिवली के डान वास्को स्कूल के प्रांगण में आज उत्तराखंडी समाज अपने कौथिग और उत्सव को लेकर था। कौथिग के लिए इस बार आयोजन खास महत्व रखता है। कौथिग के आयोजन के दस साल पूरे हुए हैं। इस बार कौथिग के दस वर्ष के आयोजन के उपलक्ष्य में मंच को सैन्य पृष्ठभूमि दी गई। जिसे लोगो से खासी सराहना मिली।
कौथिग के आयोजन में आज लोक संस्कृति अपने छटा बिखेरती रही। कौथिग में आज की शाम कुमाऊनी गीतो के सुंदर अभिक्तियां देखने को मिली। परंपरा में बहुत गूढ गीतों को सुनने को मिले। वीरेंद्र राजपूत ने अपने गीतों से समा बांधा और कुमाऊ के लोक गायिका दीपा नरकोटी का लोकगायन लोगों को मंत्रमुग्ध कर गया। साथ ही तीलू धार बोला गीत पर लोग देर तक नाचते रहे। शास्वत पंडित, उनके साथी पंकज सती और आशीष ने पहाडी गीतों का फ्यूजन प्रस्तुत कर लोगों को थिरकाया। उन्होंने गिटार को बेस बनाकर टिहरी डुबुण लग्यू च रे बेटा गीत से लोगों को गांवो से जुडने का संदेश दिया। इसके साथ ही कुमऊनी गढवाली गीतों की श्रंखला प्रस्तुत की। जिसमें बेडू पाको, सरुली मेरु जिया लगीगे ओ भिना कस्क जानु द्वारहटा जैसे गीतों की झंकार थी। लोग नृत्य करते रहे। फरमाइशें होती रही।
कौथिग में बडी संख्या में लोग उमडे। खासकर युवाओ ने इस आयोजन के लिए खासा उत्साह दिखाया। आज के आयोजन में हाकी खिलाडी मीर रंजन नेगी, विधायक श्रीमती मीना ताई। फिल्म कलाकार ट्ववीशा भट्ट मीनाक्षी भट्ट , सुधीर पांडे उद्यमी श्री भाकुनी वरिष्ठ पत्रकार राजेद्र जोशी ,मंयक आदि की उपस्थिति विशेष रूप से रही। उधर बोरिवली के उत्सव में आज पिल्म नायिका उर्वशी रौतेला ने आयोजन में चार चांद लगाए। उर्वशी ने गायिका कल्पना चौहान के गीत पर नृत्य किया तो साथ ही साथ जनसमूह भी थिरकने लगा। आज की शाम में संगीता ढोडियाल भी अपने समधुर गीतों के साथ थी। प्रभाकर जोशी के गीतो में भी लोग झूमें। गंगोत्री मंदिर के आचार्य और प्रसिद्ध कलाकार रजनीकांत सेमवाल अपने भावपूर्ण गीतों के साथ थे। देर रात तक गढ आयोजन होता रहा। कौथिग में खानपान, वस्त्र पहाडों के खाद्यान , पेंटिग, आदि पर स्चाल लगे हैं। इस बार कौथिक का आयोजन दस दिन तक चलेगा।