SPORTS

कबड्डी बनेगा ओलंपिक खेल !

शुद्ध भारतीय खेल कबड्डी में ओलंपिक खेल बनाए जाने की तमाम संभावनाएँ

भारत में हर नागरिक  फिटनेस पर देने लगा है ध्यान : रिजिजू

राजेन्द्र सजवान

देश के खेल मंत्री किरण रिजिजू जहाँ एक ओर आम भारतीय की फिट बनाने का सपना देख रहे हैं तो दूसरी तरफ उनका मानना है कि शुद्ध भारतीय खेल कबड्डी में ओलंपिक खेल बनाए जाने की तमाम संभावनाएँ हैं। ज़रूरत इस बात की है कि हर भारतीय को अंतरराष्ट्रीय मंच पर कबड्डी की आवाज़ बुलंद करनी होगी। आज यहाँ जेएसडब्ल्यू के एक कार्यक्र्म में खेल मंत्री ने भारत की ओलंपिक भागीदारी की जम कर प्रशंसा की और कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जनसंख्या के लिहाज से भारत को पदक तालिका में उँचे स्थान पर होना चाहिए लेकिन हम बहुत पिछड़े हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि पदक जीतने के लिए जैसा जज़्बा, तैयारी और मानसिकता चाहिए वैसा अपने खिलाड़ियों को सिखाया ही नहीं गया।

लेकिन उन्हें विश्वास है कि 2024 या 2028 के ओलंपिक खेलों तक भारत पदक तालिका में पहले दस देशों में शामिल हो सकता है। इस लक्ष्य को पाने के लिए सिर्फ़ खिलाड़ियों और खेल के बड़ों को ही नहीं बदलना होगा अपितु सोच भी बदलने की ज़रूरत है। उनके अनुसार भारत में हर नागरिक की फिटनेस पर ध्यान दिया जाने लगा है और जब अधिकाधिक युवा फिट होंगे तो खेलों में भी तरक्की स्वाभाविक है। देश का सबसे कामयाब खेल मंत्री कौन हुआ है, इस सवाल का जवाब खोजने में शायद अभी कुछ और साल लग जाएं लेकिन किस खेल मंत्री को खेलों की बृहद जानकारी रही है, इसका जवाब मिल गया है।किरण रिजिजू ऐसे पहले खेल मंत्री हैं जो  आम और खास भारतीय खिलाड़ियों और विदेशी चैम्पियनों के नाम टिप्स पर रखते हैं।  मिल्खा, उषा, पीके बनर्जी, अंजू जार्ज, योगेश्वर, सिंधु, पादुकों,ध्यानचन्द, ज़फ़र, शाहिद, भास्करन, छेत्री, मेरिकोम और तमाम चैम्पियनों के नाम उन्हें खेल मंत्री बनने से पहले पता हैं।

वह जानते हैं कि भारतीय खेलों की हालत ठीक नहीं है पर भरोसा रखते हैं कि आने वाले आठ दस सालों में भारत की खेल हैसियत में भारी बदलाव आने वाला है। उनके अनुसार अन्य क्षेत्रों की तरह भारतीय खिलाड़ी भी बदल रहे हैं क्योंकि उन्हें बेहतर सुविधाएँ और माहौल मिल रहा है। जब भारत बदल रहा है, भारत का सम्मान बढ़ रहा है तो खिलाड़ी क्यों नहीं बदलेंगे! उन्हें भरोसा है कि 130 करोड़ की आबादी वाले देश का खेल कबड्डी भी एक दिन ओलंपिक में अवश्य स्थान पाएगा।

Dev Bhoomi Media

तीन दशक तक विभिन्न संस्थानों में पत्रकारिता के बाद मई, 2012 में ''देवभूमि मीडिया'' के अस्तित्व में आने की मुख्य वजह पत्रकारिता को बचाए रखना है .जो पाठक पत्रकारिता बचाए रखना चाहते हैं, सच तक पहुंचना चाहते हैं, चाहते हैं कि खबर को साफगोई से पेश किया जाए न कि किसी के फायदे को देखकर तो वे इसके लिए सामने आएं और ऐसे संस्थानों को चलाने में मदद करें। एक संस्थान के रूप में ‘ देवभूमि मीडिया’ जनहित और लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुसार चलने के लिए प्रतिबद्ध है। खबरों के विश्लेषण और उन पर टिप्पणी देने के अलावा हमारा उद्देश्य रिपोर्टिंग के पारंपरिक स्वरूप को बचाए रखने का भी है। जैसे-जैसे हमारे संसाधन बढ़ेंगे, हम ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के सुझाव अवश्य दें। आप अपना सुझाव हमें हमारे ई-मेल devbhumi.media@gmail.com अथवा हमारे WhatsApp नंबर +919719175755 पर भेज सकते हैं। हम आपके आभारी रहेंगे

Related Articles

Back to top button
Translate »