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जागेश्वर धाम में सूर्यग्रहण पर कपाट बंद करने के मामले ने पकड़ा तूल

जागेश्वर धाम में कपाट बंदी शास्त्र सम्मत : धर्मगुरु व महामंडलेश्वर 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

गौरतलब हो बीती 26 दिसंबर को सूर्यग्रहण पर ज्योतिर्लिग व महामृत्युंजय सहित अन्य मंदिर समूहों के कपाट बंद रख पूजा अर्चना वर्जित की गई थी। यह निर्णय श्री बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी वेदपाठी पं. भुवन चंद्र उनियाल से विमर्श के बाद लिया था। हालांकि ज्योतिर्लिगों में शुमार जागेश्वर धाम में सूर्यग्रहण पर कपाट बंद करने के तूल पकड़ते मामले में धर्मगुरु व धर्माधिकारी कपाटबंदी के पक्ष में उतर आए हैं। उन्होंने इसे धर्म व शास्त्र सम्मत करार दिया। साथ ही कपाट बंद करने पर उठ रहे सवालों पर स्पष्ट किया है कि शास्त्रों में ग्रहणकाल के लिए यही व्यवस्था है।

मामले में तीर्थ पुरोहित पं. भुवन चंद्र उनियाल ने कहा जो भी हुआ अच्छा हुआ। परंपरा जो छूटी थी सामने आई है। धर्म जो कहता है, उसके अनुसार चलना चाहिए। प्रधान पुरोहित चले हैं धर्म के साथ। कमेटी बोलेगी हम जवाब देंगे। यह भगवान शंकर की इच्छा थी, हो गया। –

वहीं इस मामले में वरिष्ठ महामंडेलेश्वर श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज ने स्पष्ट किया कि सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय सभी प्राण प्रतिष्ठित स्थान मंदिर पूजा के लिए बंद किए जाते हैं। हमारे शास्त्रों की ऐसी व्यवस्था है। भगवान बदरीनाथ, भगवान केदारनाथ, काशी विश्वनाथ ही नहीं महाकाल उज्जैन में भी ग्रहणकाल के समय गर्भगृह में प्रवेश निषेध कर दिया जाता है। पुजारी तक वहां नहीं रहते। ग्रहण के उपरांत शिखर से फर्श तक मंदिर की धुलाई व शुद्धीकरण के बाद ही पूजा अर्चना होती है। कुछ मंदिर ग्रहण के सूतक से मोक्ष तक बंद रहते हैं। कुछ केवल ग्रहण काल में ही बंद रहते हैं।

उन्होंने कहा जागेश्वर धाम में ग्रहण काल में मंदिर बंद करने या ना करने का जो विवाद चल रहा अनावश्यक है। अगर किसी कारण से यह अनुचित परंपरा चल रही है तो इसे बंद कर आगे ठीक करना चाहिए। इस विषय पर कोई टकराव अथवा विवाद खड़ा नहीं करना चाहिए

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