Ground-Mausoleum : जगद्गुरु शंकराचार्य माधवाश्रम महाराज को दी
- जगद्गुरु शंकराचार्य माधवाश्रम का जीवन सनातन परंपरा को समर्पित रहाः सीएम
- शंकराचार्य माधवाश्रम का निधन विश्व के लिए अपूर्णीय क्षतिः चौधरी
ऋषिकेश। ज्योतिर्मठ के प्रमुख संत माधवाश्रम महाराज के महाप्रयाण के बाद आज उन्हें भू-समाधि दी गई। इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल सहित अनेक साधु-संत उपस्थित रहे। ज्योतिर्मठ के प्रमुख संत स्वामी माधवाश्रम महाराज को अंतिम विदाई देने मायाकुंड स्थित आश्रम में सैकड़ों श्रद्धालु और संत पहुंचे। आश्रम परिसर में संत को भू समाधि से पूर्व श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
इस मौके पर रामानंदाचार्य स्वामी हंस देवाचार्य महाराज ने कहा कि हरिद्वार के संत सम्मेलन में सभी संतों ने जल समाधि और अग्नि समाधि का निर्णय लिया था। स्वामी माधवाश्रम महाराज ने इस कार्य को आगे बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि हरिद्वार में संतों की भू समाधि के लिए भूमि उपलब्ध कराई जाए। मायाकुंड स्थित आश्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ब्रह्मलीन संत का संपूर्ण जीवन सनातन धर्म और समाज की सेवा को समर्पित रहा। उन्होंने जल समाधि की बजाए भू समाधि का संकल्प लेकर गंगा संरक्षण की दिशा में समाज को एक नई दिशा देने का काम किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे संत का जाना उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश और विश्व के अध्यातम जगत की अपूर्ण क्षति है। बद्रीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज, हरिद्वार से स्वामी हरीजीवन महाराज सहित अन्य संतो ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि सभा में रामानंदाचार्य स्वामी हंसवासुदेवाचार्य, जयराम आश्रम के अध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज, कृष्ण कुंज के कृष्ण आचार्य महाराज ,भूमा निकेतन के स्वामी अच्युत्यानंद महाराज, सतपाल ब्रह्मचारी, विजय सारस्वत आदि ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
- मुख्यमंत्री ने शंकराचार्य माधवाश्रम महाराज को अर्पित की श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को ऋषिकेश मे मायाकुंड स्थित जनार्दन आश्रम पहुँचकर शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज की भू समाधि के अवसर पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने कहा कि जगद्गुरु शंकराचार्य महाराज का जीवन भारतीय सनातन परंपरा को समर्पित था। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य स्वामी महाराज ने देश, काल और परिस्थिति के अनुसार समाज को मार्गदर्शन दिया। उनका विविध विषयों पर विशेषाधिकार था। उन्होंने विषम परिस्थितियों में मार्गदर्शन दिया। उनका मार्गदर्शन और शिक्षाएं अविस्मरणीय है। उन्होंने सदमार्ग पर निरंतर चलने की प्रेरणा दी। आज जगद्गुरु शंकराचार्य ने देह त्याग किया तथा भू समाधि ली। उनकी भू समाधि लेने का निर्णय तथा उनकी शिक्षाएं आने वाले समय के लिए आदर्श है। उनके संदेश आने वाले भविष्य के लिए अनुकरणीय है। जगद्गुरु शंकराचार्य का जीवन हमें सदैव प्रेरणा देता रहेगा। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति और परंपरा आज भी जीवंत है क्योंकि इसने व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए विविध विचारधाराओं को अपने आप में समाहित किया तथा अपनी निरंतरता बनाए रखी। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने भी जगद्गुरु शंकराचार्य को श्रद्धांजलि अर्पित की।
- विधायक भरत चौधरी ने किया शोक सभा का आयोजन
रुद्रप्रयाग : ज्योतिषपीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज निधन को विधायक भरत सिंह चौधरी अपूर्णीय क्षति बताया और कहा कि उनके निधन से संस्कृत जगत को भारी क्षति पहुंची है, जिसकी भरपाई होनी संभव नहीं है। रुद्रप्रयाग मुख्यालय में विधायक कार्यालय में एक शोक सभा का आयोजन किया गया। विधायक भरत सिंह चौधरी ने शंकराचार्य को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि स्वामी माधवाश्रम जी महाराज का निधन संपूर्ण विश्व के साथ उत्तराखण्ड के लिए भी अपूर्णीय क्ष्ति है और उनके निधन की सूचना पाते ही सम्पूर्ण उत्तराखण्ड शोकाकुल है। श्री चौधरी ने कहा कि शंकराचार्य माधवाश्रम जी संस्कृत के बड़े विद्वान थे और उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन में उनकी बहुत बड़ी भूमिका यहां की जनता के साथ रही है। उनके निधन से उत्तराखण्ड राज्य को भी क्षति पहुंची है। शंकराचार्य के निधन पर दो मिनट का मौन रखा गया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। शोक सभा में सच्चिदानंद सेमवाल, अरूण कप्रवाण, पत्रकार एलपी डिमरी, विक्रम पहाड़िया, प्रदीप नौटियाल, चन्द्रमोहन नौटियाल, पूर्व कैप्टेन हरि सिंह राणा, हरि सिंह बिष्ट, प्रवीण रावत, वृजमोहन रावत, प्रधान बर्सू उर्मिला बिष्ट सहित कई उपस्थित थे।