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संयुक्त घोषणापत्र में शामिल हुआ सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा

  • पाकिस्तान को एससीओ में लगा दोहरा झटका

  • पहले भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने पाक को घेरा

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

नई दिल्ली : शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में शुक्रवार को आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को दोहरा झटका लगा। पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उस पर जमकर निशाना साधा। उसके तकरीबन दो घंटे बाद सभी आठ सदस्य देशों की तरफ से जारी बिश्केक घोषणापत्र में सीमा पार से आतंकवाद को दुनिया के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियों के तौर पर रखा गया।

राजनयिक प्रोटोकॉल तोड़कर इमरान ने करवाई अपनी फजीहत

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने राजनयिक प्रोटोकॉल तोड़कर फिर अपनी फजीहत करवाई है। गुरुवार को शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत विभिन्न राष्ट्राध्यक्ष सम्मेलन हॉल में खड़े थे, तब इमरान खान अपनी सीट पर बैठे रहे। इस चूक के लिए सोशल मीडिया में उन्हें खूब ट्रोल किया गया। इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) के ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया गया है। वीडियो में इमरान बैठे दिख रहे हैं, जबकि दुनिया के बाकी नेता और वरिष्ठ अधिकारी खड़े हैं। इमरान के नाम का जब एलान हुआ, तो वह थोड़ी देर के लिए खड़े हो गए, लेकिन दूसरे नेताओं के बैठने से पहले ही वह फिर अपनी सीट पर बैठ गए।

एससीओ की बैठक में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ एक ही मंच पर बैठे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद को प्रोत्साहन, समर्थन और वित्तीय मदद प्रदान करने वाले राष्ट्रों को जिम्मेदार ठहराना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए हर मानवतावादी को अपने संकीर्ण दायरे से बाहर निकलना होगा।’ उन्होंने आतंकवाद से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक सम्मेलन का भी आह्वान किया। आतंकवाद के अलावा भारतीय प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाया।

सम्मेलन के बाद सदस्य देशों की तरफ से जारी घोषणापत्र में हर तरह के आतंकवाद की कड़ी निंदा की गई और कहा गया कि किसी भी तर्क से आतंकवाद को जायज नहीं ठहराया जा सकता। इसमें भारत की एक पुरानी मांग का समर्थन करते हुए संयुक्त राष्ट्र की अगुआई में आतंकवाद के खिलाफ सहयोग स्थापित करने का आह्वान किया गया। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर एक समग्र समझौते को स्वीकार करने के आह्वान के साथ यह भी कहा गया कि इसमें हर देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता का आदर होना चाहिए। घोषणापत्र में आतंकवाद और इसके पीछे की सोच का खात्मा करने के लिए भी सहमति बनाने की बात कही गई।

एससीओ और भारत
भारत साल 2017 में एससीओ का पूर्णकालिक सदस्य बना। पहले (2005 से) उसे पर्यवेक्षक देश का दर्जा प्राप्त था। 2017 में एससीओ की 17वीं शिखर बैठक में इस संगठन के विस्तार की प्रक्रिया के एक महत्वपूर्ण चरण के तहत भारत और पाकिस्तान को सदस्य देश का दर्जा दिया गया। इसके साथ ही इसके सदस्यों की संख्या आठ हो गयी।वर्तमान में एससीओ के आठ सदस्य चीन, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तज़ाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान हैं। इसके अलावा चार ऑब्जर्वर देश अफ़ग़ानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया हैं। छह डायलॉग सहयोगी अर्मेनिया, अज़रबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की हैं। एससीओ का मुख्यालय चीन की राजधानी बीजिंग में है।

सहयोग के लिए रखी ‘हेल्थ’ की अवधारणा: बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने सदस्य देशों के बीच सहयोग के लिए ‘हेल्थ’ (एचईएएलटीएच) की अवधारणा पेश की। इसमें ‘एच’ से आशय स्वास्थ्य देखभाल में सहयोग, ‘ई’ से आशय आर्थिक सहयोग, ‘ए’ से आशय वैकल्पिक ऊर्जा, ‘एल’ से आशय साहित्य और संस्कृति, ‘टी’ से आशय आतंकवाद मुक्त समाज और ‘एच’ से आशय मानवीय सहयोग से है।

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