UTTARAKHAND
कैबिनेट मंत्री का गैर जिम्मेदाराना कारनामा: होम क्वारान्टाइन तोड़कर कैबिनेट मीटिंग में हो गए शामिल
महाराज का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार पूरी कैबिनेट और वरिष्ठ अधिकारियों के लिए बन गया आफत का सबब
मंगलवार यानी 26 मई को उनके आवास पर होम क्वारान्टाइन का लग गया था पर्चा
होम क्वारान्टाइन तोड़ महाराज 29 मई को कैबिनेट की बैठक में हुए शामिल
जिला प्रशासन और शासन ने महाराज को कैबिनेट मीटिंग में शामिल होने से नहीं रोका
क्या होम क्वारान्टाइन के नियम तोड़ने वाले महाराज पर भी लागू होगी गाइडलाइन वाली व्यवस्थाएं
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार पूरी कैबिनेट और वरिष्ठ अधिकारियों के लिए आफत बन गया। महाराज और उनकी पत्नी अमृता रावत सहित उनके परिवार और स्टाफ के 22 लोगों को कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया। होम क्वारान्टाइन होने के बाद भी महाराज का भ्रमण जारी रहा और कैबिनेट की बैठक में भी शामिल हो गए।अब उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार मुसीबत बन गया।
उधर, ऋषिकेश एम्स के अनुसार सतपाल महाराज रविवार रात अपने पांच पारिवारिक सदस्यों के साथ एम्स में भर्ती हो गए। जबकि उनकी पत्नी कोविड-19 रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर रविवार सुबह ही एम्स में भर्ती हो गई थीं।
अब सवाल यह उठता है जब महाराज कोरोना संक्रमण जैसी आपात स्थिति में रुद्रप्रयाग व पौड़ी जिला की यात्रा पर क्यों गए। अगर यात्रा पर जाना इतना ही जरूरी था तो उन्होंने स्वयं क्वारान्टाइन होना क्यों सही नहीं समझा।
सतपाल महाराज के आवास पर होम क्वारान्टाइन का पर्चा मंगलवार यानी 26 मई को लगाया गया। होम क्वारान्टाइन का मतलब, उस आवास में रहने वाले किसी भी शख्स को बाहर नहीं निकलना होता है।
सबसे गंभीर मामला तो यह है होम क्वारान्टाइन होने के बाद भी सतपाल महाराज 29 मई को कैबिनेट की बैठक में शामिल हो गए। कैबिनेट मंत्री के मूवमेंट की प्रशासन और पुलिस के पास पूरी जानकारी होती है, ऐसे में महाराज को कैबिनेट की बैठक में क्यों शामिल होने दिया गया। क्या उनको क्वारान्टाइन संबंधी गाइडलाइन्स के आधार पर नहीं रोका जा सकता था।
हालांकि शासन के सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को गोपन विभाग ने कैबिनेट की बैठक में शामिल होने के लिए ऑनलाइन के विकल्पों की सलाह दी थी, लेकिन महाराज ने इस सलाह को दरकिनार क्यों किया, इसका जवाब तो उनसे ही मिल सकता है।
शासन के अधिकारियों ने उनको नियमों का हवाला देकर कैबिनेट मीटिंग में शामिल होने से क्यों नहीं रोका। यहां सवाल सिर्फ शिष्टाचार का या प्रोटोकाल का नहीं है, यह जीवन सुरक्षा से जुड़ा मामला भी है। नियमों का पालन कराने के लिए अफसरों के पास केंद्र सरकार की गाइडलाइंस भी हैं।
अफसरों को चाहिए था कि महाराज को ऑनलाइन विकल्पों से कैबिनेट मीटिंग में शामिल कराते, क्योंकि कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री से लेकर सभी मंत्री तथा राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह शामिल होते हैं। सतपाल महाराज को बैठक में शामिल कराकर महाराज सहित जिम्मेदार अधिकारियों ने पूरी कैबिनेट और स्वयं अपने लिए संकट खड़ा कर दिया।
अगर सतपाल महाराज ने होम क्वारान्टाइन के नियमों को तोड़ा है तो क्या उत्तराखंड सरकार उन पर भी वहीं व्यवस्थाएं लागू करेगी, जो कि किसी सामान्य व्यक्ति के लिए हैं।
क्या सतपाल महाराज के मामले में भी उसी तरह आंखें मूंद ली जाएंगी। पता चला है कि बैठक से पहले महाराज रुद्रप्रयाग के कालीमठ और फिर पौड़ी स्थित अपने गांव पोखड़ा के पास गए थे। रास्ते में उन्होंने कई स्थानों पर लोगों से मुलाकात की थी। कोरोना संक्रमण के दौर में महाराज ने उन सभी नियमों को तोड़ा, जो केंद्र सरकार ने तय किए हैं।
राज्य में अब यह मांग जोरों पर है कि उत्तराखंड के उन सभी मंत्रियों और अधिकारियों के कोविड-19 टेस्ट होने चाहिए, जो कैबिनेट की बैठक में शामिल हुए थे। इन सभी को क्वारान्टाइन होना चाहिए।