केदारनाथ विधानसभा सीट पर होगा रोचक मुकाबला !
-
कार्यकर्ताओं को मनाने में भाजपा प्रत्याशी के छूट पसीने
-
निर्दलीय तैयारियों में जुटी आशा नौटियाल
-
भाजपा की आपसी लड़ाई का कांग्रेस उठा सकती है फायदा !
रुद्रप्रयाग । केदारनाथ विधानसभा सीट पर इस बार घमासान मचना तय माना जा रहा है। एक ओर भाजपा हाईकमान ने बागी विधायक श्रीमती शैलारानी को टिकट देकर कार्यकर्ताओं को निराश कर दिया है, वहीं श्रीमती आशा नौटियाल के निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद भाजपा प्रत्याशी के होश उड़ गये हैं। भले ही भाजपा प्रत्याशी रूटे हुए कार्यकर्ताओं की मनाने की बात कर रही है, मगर लगता नहीं कि कार्यकर्ता अब पीछे हटेंगे। इस सबका फायदा कांग्रेस अथवा निर्दलीय उठायेंगे, इसके भी आसार नजर आ रहे हैं।
प्रदेश में चौथा विधानसभा चुनाव संपंन होने जा रहा है, लेकिन पिछले चुनावों की तुलना के मुताबिक इस बार का विधानसभा चुनाव काफी रोचक और मनोरंजन भरा नजर आ रहा है। पिछले वर्ष मार्च माह में कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए नौ विधायकों ने चुनाव को रोचक बना दिया है।
जो भाजपा कार्यकर्ता पिछले पांच सालों से जनता के बीच रहकर अपनी तैयारियों में लगे थे, उनका ही पार्टी ने टिकर काटकर बागियों पर भरोसा जताकर कार्यकर्ताओं को नाराज कर दिया है। ऐसे में घमासान मचना तय है। इन नौ बागी विधायकों में केदारनाथ विधानसभा की श्रीमती शैलारानी रावत ने भी भाजपा का दामन थामकर जनता के मन में कईं सवाल खड़े कर दिये थे। क्योंकि प्रदेश के मुखिया हरीश रावत लगातार केदारनाथ और केदारघाटी का दौरा कर रहे थे और विकास कार्यों में सबसे अधिक पैंसा भी केदारनाथ पर खर्च किया गया। इसके साथ ही झूलापुलों के निर्माण से लेकर सड़कों का डामरीकरण भी किया गया, जबकि रोजगार की दिशा में कईं संस्थाओं के जरिये केदारघाटी में विकास कार्य किया गया।
इस सबके बावजूद भी श्रीमती शैलारानी रावत के बागी होकर भाजपा में शामिल होने के मंसूबों को कोई नहीं समझ पाया। आरोप लगते रहे कि कांग्रेस से बगावत करने पर विधायकों को केन्द्र की भाजपा सरकार ने करोड़ों रूपये दिये और जनता भी कईं बार सवाल करती रही, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। बस इतना ही आरोप कि कांग्रेस सरकार में उनके काम नहीं हो रहे थे। इसके बाद जनता भी समझ चुकी थी कि राजनैतिक महत्वकांक्षा के कारण विधायक बागी बने हैं।
केदारनाथ विधायक श्रीमती शैलारानी रावत के बागी बनने के बाद जनता का उन पर विश्वास ही उठ गया। इसी का नतीजा रहा कि भाजपा और संघ की सर्वे रिपोर्ट में उनका नाम तक नहीं आया, लेकिन फिर भी उन्हें ही टिकट दिया गया। ऐसे में भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी स्वभाविक ही है।
भाजपा वरिष्ठ नेत्री और टिकट से वंचित रही श्रीमती आशा नौटियाल ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। उनके चुनाव लड़ने से इसका सीधा असर भाजपा प्रत्याशी पर देखने को मिलेगा। भाजपा प्रत्याशी श्रीमती शैलारानी रावत श्रीमती नौटियाल को मनाने की बात तो कर रही हैं, लेकिन श्रीमती नौटियाल मानने को तैयार ही नहीं है। वे साफ तौर पर कह चुकी हैं कि वे चुनाव लडकर जीत कर भी दिखाएंगी और जनता की उनके प्रति सहानुभूति भी है।
उनके इस बयान के बाद भाजपा प्रत्याशी के दिल की धड़कन तेज हो गयी हैं। एक ओर आशा ने बगावती तेवर अपनाए हुए हैं, वही दूसरी ओर भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी और कार्यकर्ता आशा के समर्थन में उतरे हुए हैं। जिन्हें मनाने में भाजपा प्रत्याशी श्रीमती शैलारानी रावत नाकाम दिखाई दे रही हैं। ऐसे में भाजपा को केदारनाथ विधानसभा सीट पर चने चबाने पड़ सकते हैं। भाजपा में आपसी लड़ाई का फायदा निर्दलीय उठा रहे हैं।
केदारनाथ विधानसभा सीट पर पिछले काफी समय से तैयारी कर रहे मनोज रावत को कांग्रेस से आश्वासन के बाद उनको वहां से टिकट मिलना लगभग तय है ,उन्होंने वहां की जनता के बीच मजबूत पकड़ बनायीं है है और माना भी जा रहा है कि कईं भाजपा के बाद यदि कांग्रेस में भी बगावती स्वर फूटते हैं तो इसका सीधा फायदा मनोज रावत व निर्दलीय प्रत्याशी को मिलेगा। वहीँ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर कुलदीप रावत भी मैदान में ताल ठोक रहे हैं । क्योंकि कांग्रेस से भी जीतोड़ टिकट की मेहनत कर रहे प्रदेश महामंत्री सुमंत तिवाड़ी को टिकट न मिलने पर कार्यकर्ता बगावत के तेवर अपना सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा आपस में लड़कर ढेर हो जायेगी और इसका फायदा निर्दलीय को मिलेगा। इस सीट पर भले ही अभी कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है, मगर आशा के चुनाव लड़ने से भाजपा को ही नुकसान पहुंचेंगा, यह तय माना जा रहा है।