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डोकलाम से भारत और चीन सेना हटाने को हुए तैयार

MEA Press Statement on Doklam Disengagement Understanding

नई दिल्ली/बीजिंग : भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक़ दोनों देश डोकलाम से सेना हटाने को तैयार हो गए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि “हाल के हफ्तों में डोकलाम को लेकर भारत और चीन ने कूटनीतिक बातचीत जारी रखी है. इस बातचीत में हमने एक दूसरे की चिंताओं और हितों पर बात की। इस आधार पर डोकलाम पर जारी विवाद को लेकर हमने सीमा पर सेना हटाने का फैसला किया है और इस पर कार्रवाई शुरू हो गई है।”
चीन के विदेश मंत्रालय ने इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा है, “भारत सीमा पार करने अपने सैनिकों और मशीनों को हटाएगा और चीन ऐतिहासिक सीमा समझौते के तहत अपने संप्रभु अधिकारों का इस्तेमाल करता रहेगा।”

गौरतलब हो कि डोकलाम विवाद पर 72 दिन बाद भारत और चीन अपनी-अपनी सेनाएं हटाने को राजी हो गए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करके यह जानकारी दी है। हालांकि चीन की ओर से कहा गया है कि सिर्फ भारतीय जवान पीछे हटे हैं। उसके सैनिक इलाके में पेट्रोलिंग करते रहेंगे। बता दें कि सिक्किम के डोकलाम इलाके में चीन के सड़क बनाने से इस विवाद की शुरुआत हुई थी। एक्सपर्ट के मुताबिक, दाेनों देशाें के बीच यह अब तक का सबसे लंबा टकराव रहा। इससे पहले 1962 में दोनों देशों की सेनाएं करीब एक महीने तक आमने-सामने रही थीं।

अब एक हफ्ते बाद साफ होगी स्थिति…
– डोकलाम ट्राइजंक्शन से करीब 30 किलोमीटर ऊपर डोकला पठार और डोकलाम से 15 किलोमीटर नीचे तक के इलाके पर चीन अपना दावा करता रहा है। यहां की जियाेग्राफिक कंडीशन के आधार पर चीन कमजोर नहीं है। चीन अगर कह रहा है कि भारतीय सेना पीछे हटने काे तैयार हो गई है और उसकी सेनाएं वहां गश्त करती रहेंगी। इसका मतलब कि मौजूदा टकराव दूर हो गया है, लेकिन डोकलाम का विवाद बरकरार है। चीन पहले ही कह चुका था कि डोकलाम में भारत के 400 सैनिक थे, जिनमें से 300 लौट चुके हैं। कुल मिलाकर दोनों देशों में क्या समझौता हुआ है इस पर करीब एक हफ्ते में स्थिति साफ हो सकती है। मोदी ब्रिक्स समिट में जा सकते हैं, क्योंकि ये मल्टीलेट्रल प्लेटफॉर्म है। वन बेल्ट वन रोड समिट से भारत इसलिए दूर रहा था, क्योंकि ये चीन का प्रोजेक्ट था और सीपैक का हिस्सा था। ये भारत की सॉवरिनिटी के खिलाफ था।

1962 से अब तक इन 55 सालों में क्या बदला?

टकराव क्यों हुआ? अक्साई चिन और अरुणाचल बॉर्डर पर अंग्रेजों के वक्त से विवाद था। तिब्बत में बगावत हुई। दलाई लामा का भारत ने सपोर्ट किया। इससे चीन भड़क गया। नतीजा क्या रहा? दोनों देशों में जंग हुई।

कितना नुकसान? हमारे 1383 सैनिक शहीद हो गए।
किसकी सत्ता? नेहरू प्रधानमंत्री थे। चीन में माओत्से तुंग प्रेसिडेंट थे।
2017 में टकराव क्यों हुआ? सिक्किम में चीन ने सड़क बनाना शुरू की।
नतीजा क्या रहा? भारत ने विरोध जताया तो चीन ने घुसपैठ कर दी।
कितना नुकसान? चीन ने भारत के दो बंकर तोड़ दिए। करीब ढाई महीने तक टकराव बना रहा।
किसकी सत्ता? मोदी प्रधानमंत्री हैं। शी जिनपिंग प्रेसिडेंट हैं।

devbhoomimedia

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