UTTARAKHAND

गरीब के आत्मसम्मान के सात साल बेमिसाल

कमल किशोर डुकलान

देवभूमि मीडिया ब्यूरो। आजादी के बाद से ही गरीब राजनीति के केंद्र में हमेशा से ही रही है। गरीबों के नाम पर पिछली सरकारों द्वारा बातें,वादे योजनाएं कितनी बनीं और गरीबों तक उसका लाभ कितना पहुंचा,इसका आकलन केवल सरकारी स्तर पर समीक्षा बैठकों तक ही सीमित रहा। पिछले सात वर्षों में गरीब से जुड़ी नीतियों,कार्यक्रमों और गवर्नेंस में यही आधारभूत परिवर्तन आया है। केन्द्र से बनी योजनाएं एवं पाई-पाई गांव-गरीबों तक पहुंचती हैं,ये विश्वास पहली बार देश के गरीबों में जागा है।…….

कोरोना संक्रमण के कारण पैदा हुई स्थितियां अभूतपूर्व हैं।अनेक पीढ़ियों के लिए भी ये बिल्कुल नया अनुभव है। कोरोना ने समाज के हर वर्ग को बुरी तरह से प्रभावित किया है,गरीब के लिए तो मानो ये अस्तित्व का संकट है। गरीब के सामने एक तरफ खाई और दूसरी तरफ कुंआ है।कमाएगा नहीं तो भूख से जान जाएगी, कमाने निकलेगा तो वायरस मार डालेगा। ऐसी स्थिति में भारत सरकार ने गरीब कल्याण योजना के अन्तर्गत 80 करोड़ देशवासियों तक मुफ्त राशन पहुंचाने का काम किया ये देश ही नहीं,दुनिया के इतिहास में पहली बार हुआ है।

आजादी के बाद से ही गरीब राजनीति के केंद्र में हमेशा ही रहा है। गरीब के नाम पर बातें,वादे योजनाएं बहुत बनीं,लेकिन गरीब तक कितना पहुंचा,इसका आकलन सरकारी स्तर पर होता रहता है। गरीब के जीवन में असली परिवर्तन का असली पैमाना ये है कि क्या गरीब की बातें सरकार तक पहुंच पाती हैं? क्या सरकारी लाभ उस गरीब तक पहुंचता है,अगर देखा जाए तो गरीब को सिर्फ मदद नहीं चाहिए,उसको गरीबी से बाहर निकलने के लिए गरिमा और प्रोत्साहन चाहिए।

2014 से पहले और 2014 के बाद में गरीब से जुड़ी नीतियों, कार्यक्रमों और गवर्नेंस में यही आधारभूत परिवर्तन आया है। दिल्ली से निकली पाई-पाई गांव-गरीब तक पहुंचती है,ये विश्वास देश में पहली बार जागा है। गरीब के लिए बनी योजनाओं का जमीन पर पहुंचना और गरीब के जीवन में आत्मविश्वास भरना,ये मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि है। गरीब को क्या चाहिए? अपना घर,बिजली, पानी,राशन,इलाज,ऐसी छोटी-छोटी जरूरतें गरीब की है। पिछले सात सालों में गरीबी हटाओ,जैसी व्यर्थ की नारेबाज़ी से बचते हुए मोदी सरकार ने इंपेक्ट पर ध्यान दिया। पहली बार गरीब को उसकी मर्जी का सिर्फ घर ही नहीं,मिल रहा बल्कि बिजली,पानी, गैस,शौचालय जैसी सुविधाएं भी घर पर मिल रही हैं। शोध से ये भी सिद्ध हुआ है कि खुले में शौच से मुक्ति के कारण गरीबों में गंदगी और पानी से जुड़ी बीमारियां बहुत कम हुई हैं। घर-घर जल पहुंचाने वाली योजना तो गरीब के स्वास्थ्य,सुविधा और सम्मान जैसी सुविधाओं ने गरीब को नया दिया है।

गरीब परिवार में जब कोई गंभीर बीमारी का शिकार होता है, तो ये मान लिया जाता है कि उसकी रक्षा सिर्फ भगवान ही कर सकता है।स्थिति ये थी कि गरीब सरकारी अस्पताल जाने तक की नहीं सोचता था,निजी अस्पताल में इलाज कराना उसकी कल्पना से बहार था। जिस कारण से गरीब तंत्र-मंत्र के चक्कर में सबसे अधिक पड़ता है। इलाज के लिए अपनी जमीन,अपना घर तक गिरवी रखकर कर्ज में डूब जाता था। ऐसी स्थिति में आयुष्मान योजना के तहत भारत सरकार ने गरीब परिवारों को पांच लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज का भरोसा मिला तो ये गरीब के जीवन का सबसे बड़ा सम्भल है। सात वर्षों में अब तक गरीब तबके को आयुष्मान योजना के अन्तर्गत पौने दो करोड़ से ज्यादा मरीजों को अभी तक इसका लाभ मिल चुका है।


जन‌धन योजना के अन्तर्गत अब तक लगभग 40 करोड़ से ज्यादा लोगों को जनधन खातों के द्वारा बैंक से जोड़ने भर से ही गरीब को बहुत बड़ी ताकत मिली है। पहली बार गरीब को ये एहसास हुआ है कि वह भी सिस्टम का हिस्सा है। कोरोना काल में इसकी उपयोगिता सिद्ध भी हुई है,जब करोड़ों परिवारों तक सरकार की सीधी मदद पहुंची है। बीते सालों में लाखों करोड़ रुपये से ज्यादा सरकारी मदद सीधी लाभार्थियों तक पहुंची है,जिसमें से एक बड़ा हिस्सा पहले किसी और की जेब में पहुंचता था। पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने टेक्नॉलॉजी का भरपूर उपयोग किया है।जनधन बैंक खाते,आधार और मोबाइल फोन,इनकी साझा शक्ति ने आज भारत को डिजिटल गवर्नेंस के अग्रणी देशों में खड़ा कर दिया है।जो पहले गरीब के हक का राशन लूटा जा रहा था, वह अब बंद हुआ है।

किसी भी विकसित देश में बीमा और पेंशन जैसे सामाजिक सुरक्षा कवच पर बहुत बल दिया जाता है लेकिन भारत में पेंशन तो छोड़िए,बीमा जैसी योजनाएं मध्यम वर्ग तक की पहुंच से बाहर थीं। परन्तु मोदी सरकार ने पहली बार 90 पैसे प्रतिदिन और एक रुपया महीना के मामूली प्रीमियम पर 2-2 लाख रुपए की जीवन बीमा और दुर्घटना बीमा की योजनाएं चलाई हैं। पहली बार गरीब को तीन हजार रुपए मासिक पेंशन का एक सहारा भी उपलब्ध हो पाया है।

ऐसे ही अनेक काम हैं,जो मीडिया की हेडलाइंस नहीं बनते हैं,लेकिन गरीब,उनका असर अनुभव कर रहा है। बीते सात साल में पहली बार गरीब को ये लग रहा है कि उसकी पहुंच सरकार तक है। यही कारण है कि विपक्ष और मोदी विरोधियों की तरफ से अपनाए गए हर हथकंडे और दुष्प्रच्रार के बावजूद गरीबों के बीच पीएम मोदी के प्रति समर्थन निरंतर बढ़ रहा है।

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