- दुरुपयोग रोकने का भरोसा दें केंद्र : कलराज मिश्र
- अपना दल सांसद ने कहा- जांच के बाद एफआईआर हो
- कई राज्यों में अलर्ट और धारा 144 लागू
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नयी दिल्ली : एससी/एक्ट को मूल रूप में बहाल करने पर सवर्ण संगठनों में नाराजगी बढ़ने लगी है।मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी सवर्ण लामबंद होने लगे हैं। सबसे मुखर विरोध मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नजर आ रहा है। वहीं, कई सवर्ण संगठनों ने 6 सितंबर (गुरुवार) को भारत बंद का भी आह्वान किया है। बंद का आह्वान सवर्ण समाज, करणी सेना, सपाक्स एवं कई अन्य संगठनों ने किया है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि भारत बंद की अपील सोशल मीडिया की देन है और किसी एक संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है। इसके बावजूद देश के सभी जिलों में पुलिस और प्रशासन को सतर्क रहने को कहा गया है।
वहीं एससी/ एसटी अत्याचार निरोधक कानून पर भाजपा में सवर्ण नेताओं की चिंता बढ़ने लगी है। भाजपा की चिंता है कि इस मामले की वजह से पार्टी का हिंदुत्व कार्ड कमजोर पड़ेगा। पार्टी के एक सांसद ने कहा कि हिंदुत्व के मसले पर पार्टी को अगड़ी जातियों के बड़े वर्ग का समर्थन मिलता रहा है। इन जातियों का मोहभंग पार्टी के लिए खतरे की घंटी हो सकता है। करीब दर्जन भर नेताओं ने अलग अलग तरीके से पार्टी को अपना फीडबैक देकर उत्तरप्रदेश सहित कई जगहों पर पनप रहे आक्रोश की जानकारी दी है।
भारत बंद को देखते हुए यूपी में अलर्ट जारी किया गया है। डीजीपी मुख्यालय ने इस संबंध में सभी जिला अधिकारियों को जरूरी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। संवेदनशील जिलों में पीएसी व अर्द्धसैनिक बलों को जरूरत के लिहाज से तैनात किया गया है। खुफिया विभाग को सतर्क रहने को कहा गया है। जानकारों के अनुसार राज्य के खुफिया विभाग ने बिजनौर, इलाहाबाद, कासगंज, बांदा, भदोही, हरदोई, बरेली, मथुरा, आजमगढ़, लखनऊ व मऊ आदि जिलों को अधिक संवेदनशील मानते हुए रिपोर्ट भेजी हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने दिया था आदेश
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने एससी/एसटी एक्ट को लेकर सु्प्रीम कोर्ट की ओर से सुनाए गए फैसले को पलट दिया था। जिसके बाद धीरे-धीरे सवर्णों में नाराजगी बढ़ने लगी। कई संगठनों ने सरकार पर दलितों के तुष्टिकरण का भी आरोप लगाया। बताया जा रहा है कि सवर्णों की नाराजगी अब बाकी राज्यों की ओर भी रुख करने लगी है। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एससी/एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी थी।शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस कानून के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी की बजाय पुलिस को 7 दिन के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर आगे ऐक्शन लेना चाहिए। सरकार के संशोधित एससी/एसटी एक्ट का विरोध की बड़ी वजह गिरफ्तारी वाली पहलू माना जा रहा है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि इस गिरफ्तारी वाले प्रावधान की वजह से कई बार इस एक्ट के दुरुपयोग के मामले सामने आए हैं। इसीलिए ऐसा न हो सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान में संशोधन कर गिरफ्तारी से पहले जांच की बात कही थी। लेकिन केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटते हुए एससी/एसटी एक्ट को वापस मूल स्वरूप में बहाल कर दिया।हाल ही में ये संशोधित एससी/एसटी (एट्रोसिटी एक्ट) फिर से लागू किया है। अब फिर से इस एक्ट के तहत बिना जांच गिरफ्तारी संभव हो गई।
- तो मामले में बिना जांच के ही हो जाएगी जेल ?
पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र के बाद कई अन्य नेताओं ने इस मामले में आलाकमान को अपना फीडबैक दिया है। बांदा से भाजपा सांसद भैरो प्रसाद मिश्र ने कहा कि एससी/एसटी कानून से लोगों को आशंका है कि इस मामले में बिना जांच के जेल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि दहेज कानून हो, महिलाओं से छेड़छाड़ का कानून हो या फिर एससी/ एसटी कानून इसका दुरुपयोग होता रहा है। कई बार विरोधी इसे हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। इनका दुरुपयोग रोकने का भरोसा दिया जाना चाहिए।
- कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए जारी हो एक स्पष्ट दिशा निर्देश
भाजपा सांसद ने कहा कि कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए एक स्पष्ट दिशानिर्देश जारी होना चाहिए। भाजपा सांसद ने कहा कि लोगों में गुस्सा है। यह आशंका है कि रिपोर्ट दर्ज होते ही कार्रवाई हो जाएगी। उन्होंने कहा, रिपोर्ट तुरंत दर्ज हो इसमें आपत्ति नहीं है। लेकिन रिपोर्ट दर्ज होने के बाद उचित जांच के बाद ही कोई कार्रवाई होगी यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- एससी/ एसटी ऐक्ट में बिना जांच के दर्ज नहीं होनी चाहिए एफआईआर
सहयोगी दल अपना दल के सांसद कुंवर हरिवंश सिंह ने कहा कि एससी/ एसटी ऐक्ट में बिना जांच के एफआईआर दर्ज नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी इसका दुरुपयोग कर सकता है। सिंह ने कहा, सरकार ने दलित सांसदों के दबाव में आकर जल्दी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बदलने का फैसला किया। उन्होंने कहा पैसे लेकर कोई आरोप लगा दे और आरोपी व्यक्ति को बिना जांच के छह माह के लिए जेल भेज दिया जाएगा। सांसद ने कहा, हमने इस मामले में 9 सितंबर को अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की बैठक बुलाई है। बैठक के निर्णय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को अवगत कराया जाएगा। कई सांसद नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर इस मामले में नुकसान की बात कर रहे हैं। एक सांसद ने कहा कि पार्टी को संतुलन के लिए तुरंत कदम उठाना चाहिए।
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