RUDRAPRAYAG

चार धाम परियोजना प्रभावितों का रुद्रप्रयाग जिले में रहा अभूतपूर्व बंद

-प्रभावितों ने जुलूस निकाला शहर में जुलूस, राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन
-भवन स्वामियों को मुआवजा और व्यापारियों के पुनर्वास की मांग
-बच्छणस्यूं पट्टी को राजमार्ग से जोड़े रखने के लिए दो पुलों का हो निर्माण
-मांगे पूरी न होने पर जिला मुख्यालय में धरना देंगे प्रभावित   
देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
रुद्रप्रयाग । चारधाम परियोजना प्रभावित संघर्ष समिति के आह्वान पर जिले में ऐतिहासिक बंद रहा। सुबह से ही रुद्रप्रयाग मुख्यालय के साथ ही जिले के सभी बड़े बाजार पूर्ण रूप से बंद रहे। इसके साथ ही संघर्ष समिति ने जिला मुख्यालय में जोरदार जुलूस-प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भी भेजा। समिति ने एक सप्ताह के भीतर मांगे पूरी न होने पर जिला मुख्यालय में धरना शुरू करने की चेतावनी दी है। बंद के समर्थन में रुद्रप्रयाग के अलावा तिलवाड़ा, खांकरा, नरकोटा, अगस्त्यमुनि, सुमाड़ी, मयाली, भीरी, चन्द्रापुरी, गुप्तकाशी, ऊखीमठ, फाटा, सोनप्रयाग, सतेराखाल, चोपता, घिमतोली समेत अन्य कई छोटे बाजार बंद रहे। बंद का इतना व्यापक असर था कि लोगों को बाजार में चाय-पानी तक उपलब्ध नहीं हुआ। 
शुक्रवार को चारधाम परियोजना संघर्ष समिति के बैनर तले परियोजना प्रभावित और व्यापारी बड़ी संख्या में रुद्रप्रयाग बाजार में एकत्रित हुए। प्रभावितों ने शहर में रैली निकालते हुए केन्द्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस मौके पर आयोजित जनसभा को सम्बोधित करते हुए संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि सरकार ने परियोजना प्रभावित व्यापारियों और भवन स्वामियों को मुआवजा और उनके पुनर्वास की व्यवस्था नहीं की तो पूरे पहाड़ में उग्र आंदोलन छेड़ा जायेगा। उन्होंने जनपद बंद की अभूतपूर्व सफलता पर सभी व्यापार संगठनों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि यह लड़ाई सभी के हितों को देखते हुए लड़ी जा रही है। हम सरकार को चेताना चाहते हैं कि पहाड़ के लोग कमजोर नहीं हैं। वह अपने हक की लड़ाई लड़घ्ना जानते हैं। सरकार को प्रभावितों की मांग माननी ही पड़ेगी। व्यापार संघ रुद्रप्रयाग के जिलाध्यक्ष देशराज डुडेजा ने कहा कि प्रभावित व्यवसायियों और भवन स्वामियों को न्यूनतम दस लाख रुपए और सम्पत्ति का मूल्यांकन कर उसका चार गुना मुआवजा दिया जाय।
 
व्यापार संघ रुद्रप्रयाग के अध्यक्ष कांता नौटियाल ने कहा कि सरकार ने व्यापारियों के हितों की अनदेखी की तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। अब यह लड़ाई निर्णायक मोड़ लेने तक जारी रहेगी। व्यापार संघ खांकरा के अध्यक्ष बुद्धिबल्लभ ममगाई और प्रधान प्रदीप मलासी ने कहा कि सिरोबगड़ बाईपास पर तीसरा पुल निरस्त किया जाय, जिससे सम्पूर्ण बच्छणस्यूं क्षेत्र राजमार्ग की मुख्यधारा से जुड़ा रहे। रेलवे प्रभावितों को दिया गया मुआवजा वापस न लिया जाय और प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति को रोजगार दिया जाय। नगर पालिका अध्यक्ष गीता झिंक्वाण ने कहा कि प्रभावितों के हितों की लड़ाई में वह सदैव साथ है। प्रभावितों को उनका हक मिलना चाहिए।
व्यापार संघ तिलवाड़ा के अध्यक्ष सुरेन्द्र सकलानी और सुमाड़ी के अध्यक्ष विक्रम सजवाण ने कहा कि व्यवसायियों के लिए नए मार्केट बनाए जायें, ताकि उनका रोजगार सुचारू रूप से चल सके समिति के सदस्य जोत सिंह बिष्ट, कृष्णानंद डिमरी, अजय भंडारी, मगनानंद भट्ट, डाॅ अमित रतूड़ी ने कहा कि कई पीढ़ियों से संचालित हो रहे मकानों को उजड़ने से उनके संचालन और उनमें कार्य कर रहे हजारों परिवारों के सामने रोजगार का गंभीर संकट पैदा हो गया है। स्वाभाविक है कि इतने परिवारों को भी अन्यत्र पलायन करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हम परियोजना का विरोध नहीं कर रहे। हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि भवन स्वामियों को मुआवजा मिले और व्यापारियों को रोजगार के लिए दुकाने बनाई जाए।
सभा का संचालन करते हुए समिति के महामंत्री अशोक चैधरी ने कहा कि आज पहाड़ के सामने कई चुनौतियां खड़ी हैं। पहाड़ के प्रति सरकारें संवेदनशील नहीं है। आज पहाड़ के लोग बेघर हो रहे हैं और उनका रोजगार छीना जा रहा है। इसलिए हम सभी को एक होने की आवश्यकता है। इस मौके पर वरिष्ठ व्यापारी माधो सिंह नेगी, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष देवेन्द्र झिंक्वाण, जिला पंचायत उपाध्यक्ष लखपत भंडारी, व्यापार संघ महामंत्री विक्रांद खन्ना, केपी ढौंडियाल, विपिन वर्मा, तरूण पंवार, गढ़वाल विवि के पूर्व छात्र संघ उपाध्यक्ष अजय पुंडीर, सभासद संतोष रावत, लक्ष्मण बिष्ट, रमेश नौटियाल, राय सिंह रावत, भरत सिंह कठैत, चन्द्रमोहन नौटियाल, महिला मंगल दल खांकरा की अध्यक्ष बबीता कप्रवाण, अब्दुल रहीम, बृजमोहन सिंह बिष्ट, यशवंत सिंह बत्र्वाल, हैप्पी असवाल, धनंजय सिंह, बादल रावत, लक्ष्मण रावत, लक्ष्मण सिंह सिंधवाल समेत बड़ी संख्या में प्रभावित मौजूद थे। 

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