CRIME

छात्रवृत्ति घोटाले में अब तक 13 की गिरफ्तारी अब किसकी बारी ?

  • देहरादून के कॉलेज संचालकों की धड़कने बढ़नी हुई शुरू
  • कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर गिरफ्तारी की लटकी तलवार !

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून  : बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में रुड़की, हरिद्वार में कई गिरफ्तारियों के बाद अब देहरादून के कॉलेज संचालकों की धड़कने बढ़नी शुरू हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक, देहरादून के  कॉलेज मालिकों की भी अब कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है। बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में राजधानी के कई कॉलेजों के नाम सामने आए हैं,जिन्होंने जमकर घोटाला किया है। इनमें इंजीनियरिंग से लेकर कई गढ़वाल विवि के कॉलेज भी शामिल बताये गए हैं।
सूत्रों के अनुसार एसआईटी  ने इनके पूरे डाटा का मिलान संबंधित तकनीकी विश्व विद्यालय और गढ़वाल विवि के अलावा श्रीदेव सुमन विश्व विद्यालय से कर लिया है। अब इन कॉलेजों पर कार्रवाई की गाज गिरनी है। एसआईटी की जांच आगे बढ़ चली है। दून के कॉलेज संचालकों में से एक सप्ताह में ही किसी की भी गिरफ्तारी हो सकती है। लिहाजा, कॉलेजों के यह संचालक किसी न किसी तरह अपने बचाव में जुटे हुए हैं। वे जहाँ राजनीतिक आकाओं के चक्कर काट रहे हैं। वहीं दिन-रात कोर्ट-कचहरी में अपने बचाव के तरीके तलाश रहे हैं।
इतना ही नहीं छात्रवृत्ति घोटाले में समाज कल्याण विभाग के कई अधिकारियाें पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर के बाद अब गीता राम नौटियाल सहित किसकी बारी होगी कहा नहीं जा सकता है। इस पर हर किसी की निगाहें टिकी हैं। घोटाले के दौरान तैनात रहे कई अधिकारियों के चेहरों की हवाइयां उड़ी हुई हैं। एसआईटी जांच में कई अधिकारियों के खिलाफ  साक्ष्यों का संकलन अंतिम चरण में है। 

एसआईटी जांच में यह साफ हो चुका है कि करोड़ों की छात्रवृत्ति प्राइवेट शिक्षण संस्थानों ने समाज कल्याण विभाग के कुछ अधिकारियों की साठगांठ से हड़पी है। अधिकारियों ने नियमों का ताक पर रखकर इस फर्जीवाड़े में पूरा साथ निभाया है। सरकारी धन का गबन कराने के आरोप में ही हरिद्वार के पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर की गिरफ्तारी हुई। शंखधर के बाद एसआईटी तीन अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई करने की तैयारी में है। ये अधिकारी इसका पूरा ठीकरा बड़े अधिकारी के सिर फोड़ अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने में जुटे हैं। एसआईटी का मानना है कि यदि वे अपने दायित्व का सही ढंग से निर्वहन करते तो घोटाले को रोका जा सकता है। एसआईटी कभी भी उनकी गिरफ्तारी कर सकती है। 

एसआईटी जांच में आया है कि यह घोटाला समाज कल्याण विभाग के दो अधिकारियों के समय में सबसे ज्यादा हुआ है। दोनाें अधिकारी हरिद्वार और देहरादून में अदलते-बदलते रहे हैं। इसी कड़ी में पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी गीताराम नौटियाल को बयान दर्ज कराने को नोटिस जारी किया है। हालांकि नौटियाल ने बीमारी एसआईटी से कुछ दिन की मोहलत मांगी है। यह देखना दिलचस्प रहेगा कि एसआईटी कार्रवाई की गाज समाज कल्याण विभाग के किन अधिकारियों पर गिरती है। 

  • अब तक 13 की हो चुकी है गिरफ्तारी  
– 12 फरवरी 2019 को एसआईटी द्वारा  सबसे पहले रुड़की के बीरपुर स्थित आईपीएस कॉलेज के निदेशक अंकुर शर्मा को गिरफ्तार किया था। जबकि उसके भाई विवेक शर्मा को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेजा था। इस कॉलेज को छात्रवृत्ति के नाम पर वर्ष 2014-15 और वर्ष 2015-2016 में छह करोड़ 28 लाख 94 हजार 750 रुपये की छात्रवृत्ति जारी की गई थी।
– तीन मार्च 2019 को एसआईटी द्वारा अमृत कॉलेज ऑफ  एजूकेशन के मालिक ओम त्यागी की भी गिरफ्तारी हुई। अमृत कॉलेज को वर्ष 2012-13 और वर्ष 2016-17 में छात्रवृत्ति के रूप में 14 करोड़ 85 लाख 58 हजार 40 रुपये जारी हुए थे। 
– पांच मार्च 2019 को  एसआईटी द्वारा  टच वर्ल्ड ग्रामोद्योग विकास संस्थान मंगलौर के मालिक प्रदीप अग्रवाल, काजी नूरुद्दीन (कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन का भाई) और संजय बंसल की गिरफ्तारी हुई। छात्रवृत्ति के नाम पर इस कॉलेज को वर्ष 2012-13 और वर्ष 2014-15 से दो करोड़ 54 लाख 10 हजार रुपये 440 रुपये दिए गए थे।
– सात मार्च 1019 को एसआईटी द्वारा  छात्रवृत्ति घोटाले में फोनिक्स ग्रुप ऑफ  इंस्टीट्यूशन रुड़की के चेयरमैन चैरब जैन की गिरफ्तारी हुई। इस संस्थान को वर्ष 2012-13 और वर्ष 2016-17 के बीच 25 करोड़ 58 लाख 43 हजार रुपये की छात्रवृत्ति जारी हुई थी। इनमें से 20 से 25 प्रतिशत धनराशि गबन करने की बात सामने आ रही है। चैरब जैन रुड़की के पूर्व विधायक सुरेश चंद जैन के भतीजे बताए जा रहे हैं। 
– 16 मई 2019 को एसआईटी द्वारा  हरिद्वार के पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर को गिरफ्तार किया गया। शंखधर पर शैक्षणिक संस्थानों को आर्थिक लाभ पहुंचाने की नीयत से साठगांठ कर सरकारी धन का गबन करने का आरोप है।
– 19 मई को एसआईटी द्वारा रुड़की के चार शिक्षण संस्थानों के पांच पदाधिकारियों मनिका शर्मा, अंकुर राणा, शरद गुप्ता, मुजिब मलिक और योगेंद्र की गिरफ्तारी हुई।

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